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- Bharat Petroleum Corporation Limited (BPCL) Disinvestment Update; PIL Dismisses By Bombay High Court
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18 मिनट पहले
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सरकार बीपीसीएल के सौदे को 31 मार्च 2021 से पहले पूरा करने के लिये काफी गंभीर है। इससे चालू वित्त वर्ष के 2.10 लाख करोड़ रुपए के विनिवेश लक्ष्य को पाने में मदद मिलेगी
- बीपीसीएल को बेचने के लिए आवेदन की पहली समय सीमा दो मई रखी गई। इसके बाद इसे पहली बार 13 जून तक बढ़ाया गया
- दूसरी बार 31 जुलाई तक और उसके बाद 30 सितंबर और फिर चौथी बार समय सीमा को 16 नवंबर 2020 तक के लिये बढ़ाया गया
बॉम्बे हाई कोर्ट ने सरकारी तेल कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) को बेचने से रोकने के लिए दायर की गई जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया है। इस याचिका में यह मांग की गई थी कि BPCL की बिक्री के लिए जो कैबिनेट कमिटी ऑफ इकोनॉमिक (CCEA) की मंजूरी दी गई है, उसे रोका जाए।
चारों पीआईएल खारिज
जस्टिस एस.सी. गुप्ते और माधव जामदार की बेंच ने कुल 4 PIL को खारिज किया है। इन सभी PIL में BPCL के विनिवेश के सरकार के फैसले को रोकने की मांग की गई थी। बेंच ने कहा कि इन याचिकाओं में विनिवेश को रोकने का कोई मेरिट नहीं दिख रहा है। BPCL देश की दूसरी सबस बड़ी तेल कंपनी है।कोर्ट ने अपने 26 पेज के ऑर्डर में कहा कि वर्तमान में इस तरह का फैसला सोच समझ कर लिया गया है। सरकार पिछले कुछ सालों से निजीकरण कर रही है। नीति आयोग इस मामले में इकोनॉमिक पॉलिसी एडवाइजर्स है जिसने सरकारी कंपनियों को रणनीतिक विनिवेश करने का फैसला किया है। इसमें BPCL भी है।
इन चारों ने फाइल की थी पीआईएल
बता दें कि महाराष्ट्र पेट्रोल डीलर्स एसोसिशन, BPCL (रिफाइनरी) इंप्लॉयीज यूनियन, पेट्रोलियम इंप्लॉयीज यूनियन और सुरेश पवार ने मिलकर चार पीआईएल फाइल किया था। यह पीआईएल पिछले साल 20 नवंबर को फाइल की गई थी। कोर्ट ने कहा कि इस तरह की चुनौती इस ग्राउंड पर नहीं दी जा सकती है। इस मामले में सीनियर काउंसिल नवरोज सिरवाई ने महाराष्ट्र पेट्रोल डीलर्स की ओर से बहस की।
डीलर्स एसोसिएशन शेयर धारक है
नवरोज ने कहा कि यह डीलर्स एसोसिएशन बीपीसीएल के एक शेयर धारक के रूप में है। इसलिए एसोसिशएन की याचिका पर सुनवाई की जाए। याचिका में कहा गया कि संसद से इस तरह के विनिवेश के लिए विशेष अनुमति के बिना विनिवेश नहीं किया जा सकता है। यह केंद्र सरकार के लिए लीगल संभावना नहीं है कि वह बीपीसीएल की शेयर होल्डिंग का विनिवेश करे।
विनिवेश को रोकने के लिए कोई मेरिट नहीं है
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह और सीनियर काउंसिल डारियस खंबाटा ने कहा कि ऐसी कोई मेरिट नहीं है जिस ग्राउंड पर बीपीसीएल के विनिवेश को चुनौती दी जा सके। बता दें कि कुछ ही दिन पहले दीपम (DIPAM) के सचिव ने कहा था कि बीपीसीएल के लिए पांचवीं बार बोली नहीं बढ़ाने की संभावना है। अब तक इसकी समय सीमा को चार बार बढ़ाया गया है। बोली लगाने के लिये मौजूदा समय सीमा 16 नवंबर 2020 है।
निवेशकों ने और समय मांगा है
वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडे ने बताया था कि रणनीतिक विनिवेश मामले में हमें कोविड- 19 का गंभीर प्रभाव झेलना पड़ा है। निवेशकों ने और समय मांगा, खासतौर से महत्वपूर्ण सौदों में यह स्थिति रही। मुझे उम्मीद है कि विशेषतौर से बीपीसीएल के मामले में समयसीमा को आगे बढ़ाने की जरूरत नहीं होगी। पिछले साल नवंबर में बीपीसीएल में सरकार की पूरी 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने को मंजूरी दे गई थी।
पहली समय सीमा दो मई रखी गई थी
इसकी शुरू में पहली समय सीमा दो मई रखी गई। इसके बाद इसे पहली बार 13 जून तक बढ़ाया गया, फिर 31 जुलाई तक। उसके बाद 30 सितंबर और फिर चौथी बार समय सीमा को 16 नवंबर 2020 तक के लिये बढ़ाया गया। पांडे ने कहा कि सरकार इस सौदे को 31 मार्च 2021 से पहले पूरा करने के लिये काफी गंभीर है। इससे चालू वित्त वर्ष के 2.10 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य को पाने में मदद मिलेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020- 21 के आम बजट में विनिवेश से 2.10 लाख करोड़ रुपये प्राप्त होने का अनुमान रखा है।