Gill and Siraj show that Indian domestic cricket is alive | गिल और सिराज ने दिखाया कि भारतीय घरेलू क्रिकेट जीवित है

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मुंबईएक घंटा पहले

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चंद्रेश नारायणन

मेलबर्न टेस्ट में शुभमन गिल और मोहम्मद सिराज के शानदार प्रदर्शन ने भारतीय घरेलू क्रिकेट के स्ट्रेंथ को दिखाया। डेब्यू कर रहे गिल और सिराज मैच के दौरान कभी भी नौसिखिया नहीं दिखे। वे आत्मविश्वास से भरे थे। सिराज ने समय-समय पर टीम को सफलता दिलाई। टेस्ट गेंदबाज की सबसे बड़ी खासियत होती है, लंबे स्पेल डालना। सिराज ने दिखाया कि हैदराबाद के लिए देश के अलग-अलग मैदानों पर गेंदबाजी ने उन्हें मजबूत बना दिया है।

विकेट नहीं मिलने पर भी उन्होंने हड़बड़ी नहीं दिखाई। सिराज इंडिया ए के लिए काफी खेल चुके हैं। उन्हें पहले भी टेस्ट टीम में जगह मिली थी। इंडिया ए के लिए भी उनके काफी विकेट हैं। वे भले ही सबसे तेज गेंदबाज नहीं हैं लेकिन धैर्य रखते हैं, उनका प्लान शानदार होता है और बल्लेबाजों की कड़ी परीक्षा लेते हैं। एक साल पहले तक भारतीय टीम इस बात को लेकर चिंतित थी कि अगली पीढ़ी के तेज गेंदबाजों का ट्रांजिशन कैसे होगा?

उमेश यादव, इशांत शर्मा, मोहम्मद शमी और जसप्रीत बुमराह चार प्रमुख गेंदबाज हैं। लेकिन उमेश, शमी और इशांत की उम्र 30 पार कर चुकी है। अगली पीढ़ी के गेंदबाजों को मौका देने का प्लान भी शुरू होना था। दुर्भाग्य से इशांत, शमी और उमेश के चोटिल होने की वजह से भारत को अगली पीढ़ी को फास्टट्रैक करना पड़ रहा। सिराज को मौका मिल चुका है। नवदीप सैनी अगले हो सकते हैं। टी नटराजन, इशान पोरेल, कार्तिक त्यागी जैसे खिलाड़ी भी कतार में हैं। तेज गेंदबाजी काफी अच्छी तरह विकसित हो रही है। सिराज के प्रदर्शन से घरेलू क्रिकेट की सफलता भी दिखती है।

दूसरी तरफ शुभमन गिल भी आत्मविश्वास से भरे दिखे और खुलकर स्ट्रोक खेले। उनके बारे में सबसे बड़ी बात है कि टेस्ट डेब्यू से पहले ही फ्यूचर सुपरस्टार कहा जाने लगा था। भविष्य में उन्हें मिडिल ऑर्डर में खेलना पड़ सकता है। गिल की सफलता में ही घरेलू क्रिकेट और इंडिया ए के मैचों का असर है।

वे इंडिया ए की कप्तानी भी कर चुके हैं। जहां उन्होंने मिडिल ऑर्डर में काफी रन बनाए हैं। अपने डेब्यू टेस्ट में सिराज और गिल की सफलता में पिछले कुछ सालों से रहे भारतीय चयनकर्ताओं का भी योगदान है। उन्होंने योजना पर काम किया और सीनियर टीम में सावधानीपूर्वक बदलाव किया। सभी चयनकर्ता को इसका श्रेय जाता है।

भारत के घरेलू सर्किट में चकाचौंध और ग्लैमर की कमी हो सकती है, लेकिन क्रिकेटर उस स्तर पर कड़ी मेहनत करते हैं। इसलिए अगली बार कोई भी भारतीय घरेलू क्रिकेट का मजाक उड़ाए, तो उसे हाल के सालों में डेब्यू करने वाले खिलाड़ियों का प्रदर्शन देखना चाहिए।

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