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- Biggest Wealth Destroyer Government Companies Hurt Investors The Most In Last 6 Years Says Mutual Fund Experts
नई दिल्ली10 घंटे पहले
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मार्च 2009 के बाद से पीएसयू इंडेक्स लगभग एक ही जगह पर बना हुआ है, जबकि कई अन्य असेट क्लास ने इस दौरान 5 गुना रिटर्न दे दिया है
- एमटीएनएल का वैल्यू कभी आरआईएल से ज्यादा था, आज आरआईएल का वैल्यू सभी लिस्टेड पीएसयू से ज्यादा
- सरकारी बैंकों को छोड़ दिया जाए, तो पिछले 6 साल में बाकी किसी सरकारी कंपनी में कोई सुधार नहीं हुआ है
सरकारी कंपनियां पिछले 6 साल में सबसे बड़ी वेल्थ डिस्ट्रॉयर रहीं। जबकि बाजार में इन कंपनियों की या तो मोनोपॉली वाली स्थिति है या फिर इनके प्रतियोगियों की संख्या काफी कम है। यह बात सोमवार को असेट मैनेजर्स ने कही।
फ्रैंकलिन टेंपल्टन के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफीसर (सीआईओ) आनंद राधाकृष्णन ने कहा कि यदि आप ऐसी कंपनियों की खोज करेंगे, जिन्होंने पिछले 6 साल में निवेशकों के फंड को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है, तो पाएंगे कि वे सरकारी कंपनियां हैं या सरकारी बैंक हैं या सरकारी तेल मार्केटिंग कंपनियां हैं। एक वेबीनार में उन्होंने कहा कि सरकार या तो इन कंपनियों की क्षमता में सुधार करे या फिर इन कंपनियों से बाहर हो जाए। उन्होंने कहा कि कॉनकोर और बीपीसीएल का रणनीतिक विनिवेश अभी तक नहीं हो पाया है।
सरकारी कंपनियों के पास अकूत संपत्ति और अच्छा कैश फ्लो है
एसबीआई म्यूचुअल फंड के सीआईओ नवनीत मुनोत ने कहा कि मार्च 2009 के बाद से पीएसयू इंडेक्स लगभग एक ही जगह पर बना हुआ है। जबकि कई अन्य असेट क्लास ने इस दौरान 5 गुना रिटर्न दे दिया है। आप अनुमान लगा सकते हैं कि निवेशकों का कितना बड़ा नुकसान हुआ है। जबकि इनमें से कई कंपनियों के पास अकूत संपत्ति और बेहतरीन कैश फ्लो है।
कभी रिलायंस इंडस्ट्रीज से बड़ी कंपनी थी एमटीएनएल
कोटक म्यूचुअल फंड के एमडी और सीईओ नीलेश शाह ने महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) का उदाहरण दिया। एक समय था जब एमटीएनएल का मार्केट कैपिटलाइजेशन (एमकैप) मुकेश अंबानी के रिलायंस इंडस्ट्रीज से ज्यादा था। लेकिन आज रिलायंस इंडस्ट्रीज का एमकैप सभी लिस्टेड पीएसयू के कुल वैल्यू से ज्यादा हो गया है।
सरकारी कंपनियों का प्रदर्शन सबसे खराब
राधाकृष्णन ने कहा कि सरकार यदि इन कंपनियों में सुधार करे, तो ये कंपनियां शेयरधारकों और सरकार के लिए काफी संपत्ति बनाएगी। लेकिन पिछले 6 साल में सरकारी बैंकों को छोड़कर बाकी सरकारी कंपनियों में कोई सुधार नहीं हुआ है। इस अवधि में सरकारी बैंकों की संख्या घटाई गई है। यदि सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली कंपनियों की रैकिंग करने के लिए कहा जाए, तो मैं सरकारी कंपनियों को पहले नंबर पर रखूंगा।
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