Supreme Court Rejected A Petition Against Identification Of People Based On Religion In Relation Of Covid19 Pandemic – Covid-19: धर्म के आधार पर लोगों की पहचान करने के खिलाफ दायर याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्ट
– फोटो : सोशल मीडिया

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सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 से संबंधित जानकारी के संबंध में लोगों की जाति, धर्म, और समुदाय के आधार पर पहचान नहीं करने का सरकार और अन्य प्राधिकारियों को निर्देश देने के लिए दायर याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया। यह याचिका राजधानी दिल्ली के दो निवासियों ने दायर की थी। 

याचिका में प्राधिकारियों को जाति, धर्म, समुदाय, धार्मिक पहचान या सांप्रदायिक वर्गीकरण के आधार पर कोरोना वायरस या दूसरी महामारी की जानकारी को साझा करने से रोकने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया था। अनुरोध किया गया था कि इस तरह की जानकारी एकत्र करने और उसके प्रसार में मदद करने वाले लोगों, संगठनों, वेबसाइटों या मीडिया घरानों को चिह्नित किया जाए।

याचिका में कहा गया है कि संबंधित प्राधिकारियों को इस तरह की वेबसाइट तत्काल ब्लाक करने के साथ ही आहत करने वाली ऐसी सामग्री इंटरनेट से तुरंत हटानी चाहिए। याचिका में इस साल मार्च में आयोजित तब्लीगी जमात मरकज का जिक्र करते हुए कहा है कि इस तरह की घटनाएं मीडिया के एक वर्ग में राष्ट्रीय सुर्खियां बनी थीं। इस मामले में संयम बरतने के बजाय इसे सांप्रदायिक रंग देते हुए पेश किया गया था।

याचिका में कहा गया था कि सांप्रदायिक नफरत फैलाने और सार्वजनिक व्यवस्था में समस्या पैदा करने वाले तत्वों के खिलाफ सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए। याचिका में कहा गया था कि निजामुद्दीन पश्चिम में तब्लीगी जमात के मुख्यालय में हुए धार्मिक आयोजन के दौरान हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद समूचे मुस्लिम समुदाय पर ही दोषारोपण किया जाने लगा था।

सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 से संबंधित जानकारी के संबंध में लोगों की जाति, धर्म, और समुदाय के आधार पर पहचान नहीं करने का सरकार और अन्य प्राधिकारियों को निर्देश देने के लिए दायर याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया। यह याचिका राजधानी दिल्ली के दो निवासियों ने दायर की थी। 

याचिका में प्राधिकारियों को जाति, धर्म, समुदाय, धार्मिक पहचान या सांप्रदायिक वर्गीकरण के आधार पर कोरोना वायरस या दूसरी महामारी की जानकारी को साझा करने से रोकने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया था। अनुरोध किया गया था कि इस तरह की जानकारी एकत्र करने और उसके प्रसार में मदद करने वाले लोगों, संगठनों, वेबसाइटों या मीडिया घरानों को चिह्नित किया जाए।

याचिका में कहा गया है कि संबंधित प्राधिकारियों को इस तरह की वेबसाइट तत्काल ब्लाक करने के साथ ही आहत करने वाली ऐसी सामग्री इंटरनेट से तुरंत हटानी चाहिए। याचिका में इस साल मार्च में आयोजित तब्लीगी जमात मरकज का जिक्र करते हुए कहा है कि इस तरह की घटनाएं मीडिया के एक वर्ग में राष्ट्रीय सुर्खियां बनी थीं। इस मामले में संयम बरतने के बजाय इसे सांप्रदायिक रंग देते हुए पेश किया गया था।

याचिका में कहा गया था कि सांप्रदायिक नफरत फैलाने और सार्वजनिक व्यवस्था में समस्या पैदा करने वाले तत्वों के खिलाफ सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए। याचिका में कहा गया था कि निजामुद्दीन पश्चिम में तब्लीगी जमात के मुख्यालय में हुए धार्मिक आयोजन के दौरान हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद समूचे मुस्लिम समुदाय पर ही दोषारोपण किया जाने लगा था।

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