दिल्ली में प्रदूषण
– फोटो : एएनआई
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राजधानी में प्रदूषण पर नजर अब दिल्ली सरकार वॉर रूम से रखेगी। पड़ोसी राज्यों में पराली जलने से कितना प्रदूषण दिल्ली को प्रभावित कर रहा है इसपर भी वॉर रूम में लगे स्क्रीन बोर्ड से मॉनीटरिंग की जाएगी। इसके साथ ही ग्रीन दिल्ली एप के माध्यम से आम लोग प्रदूषण से संबंधित शिकायत भी कर सकेंगे।
शिकायत वॉर रूम में लगे स्क्रीन बोर्ड पर डिस्प्ले होगी और संबंधित एजेंसी निस्तारित कराने का प्रयास करेगी। दिल्ली सरकार का प्रदूषण के खिलाफ जंग शुरू हो गया है। दिल्ली सचिवालय में इसे नियंत्रित करने के लिए वॉर रूम बनाया गया है।
दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय ने गुरुवार को इस वॉर रूम का उद्घाटन किया। प्रदूषण को नियंत्रित करने को लेकर किए गए उपायों पर यहीं से निगरानी की जाएगी। इस मौके पर गोपाल राय ने बताया कि वॉर रूम से हॉटस्पॉट, रियल टाइम मॉनिटर में पीएम-10, पीएम-2.5 समेत अन्य गैसों की स्थिति के साथ नासा व इसरो सैटेलाइट से दिल्ली और आसपास के राज्यों में पराली या कूड़ा जलाने की स्थिति पर निगरानी की जा सकेगी।
समस्याओं पर निगरानी रखने के लिए दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के वरिष्ठ वैज्ञानिकों डॉ. मोहन जॉर्ज और डॉ. बीएल चावला के नेतृत्व में 10 सदस्यीय विशेषज्ञ टीम बनाई गई है।
गोपाल राय ने बताया कि लॉन्च होने वाले ग्रीन दिल्ली एप पर आने वाली शिकायतें भी वॉर रूम से मॉनिटर होंगी। शिकायतें संबंधित एजेंसी के पास ऑटोमैटिक जाएगी और वॉर रूम एजेंसी से संपर्क कर उसे निस्तारित कराने का प्रयास करेगा।
वॉर रूम में तीन बड़ी-बड़ी स्क्रीन लगी हैं
वॉर रूम में मुख्य तौर पर तीन स्क्रीन लगाई गई हैं। पहली स्क्रीन पर दिल्ली में लगे 40 जगहों का रियल टाइम विश्लेषण किया जाएगा। उसमें पीएम-10, पीएम-2.5, सल्फर ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, ओजोन और हवा की गति उस समय क्या है, इसकी निगरानी करने का काम किया जाएगा। दूसरी स्क्रीन में चिन्हित किए गए 13 हॉटस्पॉट प्रदर्शित होंगे, जिसे वॉर रूम से मॉनिटर किया जाएगा। हॉटस्पॉट एरिया की निगरानी की जाएगी। तीसरी स्क्रीन पर नासा और इसरो की विंडो है।
सैटेलाइट पर वॉर रूम से नजर रखी जाएगी। देश के अंदर, खास तौर पर दिल्ली के पड़ोसी राज्य पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उतर प्रदेश में कहां पर कितनी पराली या कूड़ा जलाया जा रहा है। सैटेलाइट के माध्यम से रिपोर्ट का विश्लेषण किया जाएगा।
10 लोगों की टीम की रहेगी नजर
वॉर रूम को संचालित करने के लिए 10 लोगों की टीम बनी है। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. मोहन जॉर्ज और डॉक्टर बीएल चावला के नेतृत्व में टीम पर्यावरण मंत्री के ओएसडी अनिल गिल्डियाल, डीडीसी की एडवाइजर बीना गुप्ता, रिसर्च फेलो हितेश सैनी व स्वाति शर्मा, एनजीओ ए-पैग के निपुन मात्रेजा व आसिमा अरोड़ा, ट्रेनी इंजीनियर सूरज राय और अमन गुप्ता शामिल हैं। टीम प्रतिदिन रिपोर्ट बनाकर मुख्यमंत्री को सौंपेगी।
वैज्ञानिकों का कहना है कि दिल्ली में कुल 40 रियल टाइम मॉनिटर लगे हुए हैं, जिसमें से 26 स्टेशन दिल्ली सरकार के हैं। उन्होंने स्क्रीम पर दिल्ली के अंदर वर्तमान में पीएम-10, पीएम-2.5, सल्फर ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, ओजोन और हवा की गति की स्थिति प्रदर्शित होती रहेगी।
पता चल सकेगा कि दिल्ली में प्रदूषित हवा किस दिशा से आ रही है और उसकी गति कितनी है? इस आधार पर पता कर सकते हैं कि निचले स्तर पर किस तरफ से प्रदूषण आकर उस क्षेत्र को प्रभावित कर रहा है।
राजधानी में प्रदूषण पर नजर अब दिल्ली सरकार वॉर रूम से रखेगी। पड़ोसी राज्यों में पराली जलने से कितना प्रदूषण दिल्ली को प्रभावित कर रहा है इसपर भी वॉर रूम में लगे स्क्रीन बोर्ड से मॉनीटरिंग की जाएगी। इसके साथ ही ग्रीन दिल्ली एप के माध्यम से आम लोग प्रदूषण से संबंधित शिकायत भी कर सकेंगे।
शिकायत वॉर रूम में लगे स्क्रीन बोर्ड पर डिस्प्ले होगी और संबंधित एजेंसी निस्तारित कराने का प्रयास करेगी। दिल्ली सरकार का प्रदूषण के खिलाफ जंग शुरू हो गया है। दिल्ली सचिवालय में इसे नियंत्रित करने के लिए वॉर रूम बनाया गया है।
दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय ने गुरुवार को इस वॉर रूम का उद्घाटन किया। प्रदूषण को नियंत्रित करने को लेकर किए गए उपायों पर यहीं से निगरानी की जाएगी। इस मौके पर गोपाल राय ने बताया कि वॉर रूम से हॉटस्पॉट, रियल टाइम मॉनिटर में पीएम-10, पीएम-2.5 समेत अन्य गैसों की स्थिति के साथ नासा व इसरो सैटेलाइट से दिल्ली और आसपास के राज्यों में पराली या कूड़ा जलाने की स्थिति पर निगरानी की जा सकेगी।
समस्याओं पर निगरानी रखने के लिए दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के वरिष्ठ वैज्ञानिकों डॉ. मोहन जॉर्ज और डॉ. बीएल चावला के नेतृत्व में 10 सदस्यीय विशेषज्ञ टीम बनाई गई है।
गोपाल राय ने बताया कि लॉन्च होने वाले ग्रीन दिल्ली एप पर आने वाली शिकायतें भी वॉर रूम से मॉनिटर होंगी। शिकायतें संबंधित एजेंसी के पास ऑटोमैटिक जाएगी और वॉर रूम एजेंसी से संपर्क कर उसे निस्तारित कराने का प्रयास करेगा।
वॉर रूम में तीन बड़ी-बड़ी स्क्रीन लगी हैं
वॉर रूम में मुख्य तौर पर तीन स्क्रीन लगाई गई हैं। पहली स्क्रीन पर दिल्ली में लगे 40 जगहों का रियल टाइम विश्लेषण किया जाएगा। उसमें पीएम-10, पीएम-2.5, सल्फर ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, ओजोन और हवा की गति उस समय क्या है, इसकी निगरानी करने का काम किया जाएगा। दूसरी स्क्रीन में चिन्हित किए गए 13 हॉटस्पॉट प्रदर्शित होंगे, जिसे वॉर रूम से मॉनिटर किया जाएगा। हॉटस्पॉट एरिया की निगरानी की जाएगी। तीसरी स्क्रीन पर नासा और इसरो की विंडो है।
सैटेलाइट से नजर रखी जाएगी
सैटेलाइट पर वॉर रूम से नजर रखी जाएगी। देश के अंदर, खास तौर पर दिल्ली के पड़ोसी राज्य पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उतर प्रदेश में कहां पर कितनी पराली या कूड़ा जलाया जा रहा है। सैटेलाइट के माध्यम से रिपोर्ट का विश्लेषण किया जाएगा।
10 लोगों की टीम की रहेगी नजर
वॉर रूम को संचालित करने के लिए 10 लोगों की टीम बनी है। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. मोहन जॉर्ज और डॉक्टर बीएल चावला के नेतृत्व में टीम पर्यावरण मंत्री के ओएसडी अनिल गिल्डियाल, डीडीसी की एडवाइजर बीना गुप्ता, रिसर्च फेलो हितेश सैनी व स्वाति शर्मा, एनजीओ ए-पैग के निपुन मात्रेजा व आसिमा अरोड़ा, ट्रेनी इंजीनियर सूरज राय और अमन गुप्ता शामिल हैं। टीम प्रतिदिन रिपोर्ट बनाकर मुख्यमंत्री को सौंपेगी।
वैज्ञानिकों का कहना है कि दिल्ली में कुल 40 रियल टाइम मॉनिटर लगे हुए हैं, जिसमें से 26 स्टेशन दिल्ली सरकार के हैं। उन्होंने स्क्रीम पर दिल्ली के अंदर वर्तमान में पीएम-10, पीएम-2.5, सल्फर ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, ओजोन और हवा की गति की स्थिति प्रदर्शित होती रहेगी।
पता चल सकेगा कि दिल्ली में प्रदूषित हवा किस दिशा से आ रही है और उसकी गति कितनी है? इस आधार पर पता कर सकते हैं कि निचले स्तर पर किस तरफ से प्रदूषण आकर उस क्षेत्र को प्रभावित कर रहा है।
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Thu Oct 8 , 2020
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