Loan Moratorium Extension News: Rbi Informed Sc That It Is Not Possible To Extend Loan Moratorium Period – लोन मोरेटोरियम मामला: Rbi ने दायर किया हलफनामा, कहा- और राहत देना संभव नहीं

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली

Updated Sat, 10 Oct 2020 12:53 PM IST

ऋण अधिस्थगन विस्तार: RBI ने दायर किया हलफनामा
– फोटो : पीटीआई

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देश के बैंकिंग नियामक, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लोन मोरेटोरियम मामले में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है। हलफनामे में भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित क्षेत्रों को अधिक राहत देना संभव नहीं है। साथ ही बैंकिंग नियामक ने यह भी कहा है कि बैंक छह महीने से अधिक की अवधि के लिए लोन मोरेटोरियम की सुविधा प्रदान नहीं कर सकेंगे।

केंद्रीय बैंक ने कहा कि दो करोड़ तक के ऋण के लिए ‘ब्याज पर ब्याज’ माफ किया जा सकता है, लेकिन इसके अलावा कोई और राहत देना राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और बैंकिंग क्षेत्र के लिए हानिकारक होगा। आरबीआई ने कहा कि छह महीने से अधिक समय के लिए लोन मोरेटोरियम की सुविधा प्रदान करने से समग्र ऋण अनुशासन समाप्त हो सकता है, जिसका अर्थव्यवस्था में ऋण निर्माण की प्रक्रिया पर दुर्बल प्रभाव पड़ेगा। आगे आरबीआई ने कहा कि यह कदम निर्धारित भुगतानों को फिर से शुरू करने में देरी के जोखिमों को बढ़ा सकता है और उधारकर्ताओं के लिए पुनर्भुगतान के लिए दबाव बढ़ेगा।

सेक्टर्स को पर्याप्त राहत पैकेज दिया गया- केंद्र सरकार

इस संदर्भ में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को कहा कि विभिन्न सेक्टर्स को पर्याप्त राहत पैकेज दिया गया है। इसलिए अब सरकार के लिए संभव नहीं है कि इन सेक्टर्स को और राहत दे सके। साथ ही केंद्र सरकार ने इस बात पर भी जोर दिया कि वित्तीय नीतियों के मामले में कोर्ट को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

इससे पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे में कहा था कि वह मोरेटोरियम अवधि (मार्च से अगस्त तक) के दौरान ब्याज पर ब्याज को माफ करने के लिए तैयार हो गई है। ये राहत दो करोड़ रुपये तक के लोन पर मिल सकती है।

गौरतलब है कि पांच अक्तूबर को उच्चतम न्यायालय ने लोन मोरेटोरियम की अवधि के दौरान स्थगित ईएमआई में ब्याज पर ब्याज में छूट को लेकर सुनवाई की थी। मामले में न्यायालय ने सरकार और रिजर्व बैंक को एक हफ्ते की और मोहलत दी थी। कोर्ट ने कहा था कि ब्याज पर जो राहत देने की बात की गई है, उसके लिए केंद्रीय बैंक द्वारा किसी तरह का दिशा-निर्देश जारी नहीं किया गया। 

13 अक्तूबर को होगी अगली सुनवाई

कोर्ट ने 12 अक्तूबर तक नया हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया था। मामले में अगली सुनवाई 13 अक्तूबर को होगी। जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने याचिकाओं पर सुनवाई की। इससे पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक अक्तूबर तक हलफनामा दायर करने का समय दिया था और बैंकों से अभी एनपीए घोषित नहीं करने को कहा गया था।

देश के बैंकिंग नियामक, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लोन मोरेटोरियम मामले में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है। हलफनामे में भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित क्षेत्रों को अधिक राहत देना संभव नहीं है। साथ ही बैंकिंग नियामक ने यह भी कहा है कि बैंक छह महीने से अधिक की अवधि के लिए लोन मोरेटोरियम की सुविधा प्रदान नहीं कर सकेंगे।

केंद्रीय बैंक ने कहा कि दो करोड़ तक के ऋण के लिए ‘ब्याज पर ब्याज’ माफ किया जा सकता है, लेकिन इसके अलावा कोई और राहत देना राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और बैंकिंग क्षेत्र के लिए हानिकारक होगा। आरबीआई ने कहा कि छह महीने से अधिक समय के लिए लोन मोरेटोरियम की सुविधा प्रदान करने से समग्र ऋण अनुशासन समाप्त हो सकता है, जिसका अर्थव्यवस्था में ऋण निर्माण की प्रक्रिया पर दुर्बल प्रभाव पड़ेगा। आगे आरबीआई ने कहा कि यह कदम निर्धारित भुगतानों को फिर से शुरू करने में देरी के जोखिमों को बढ़ा सकता है और उधारकर्ताओं के लिए पुनर्भुगतान के लिए दबाव बढ़ेगा।

सेक्टर्स को पर्याप्त राहत पैकेज दिया गया- केंद्र सरकार

इस संदर्भ में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को कहा कि विभिन्न सेक्टर्स को पर्याप्त राहत पैकेज दिया गया है। इसलिए अब सरकार के लिए संभव नहीं है कि इन सेक्टर्स को और राहत दे सके। साथ ही केंद्र सरकार ने इस बात पर भी जोर दिया कि वित्तीय नीतियों के मामले में कोर्ट को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

इससे पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे में कहा था कि वह मोरेटोरियम अवधि (मार्च से अगस्त तक) के दौरान ब्याज पर ब्याज को माफ करने के लिए तैयार हो गई है। ये राहत दो करोड़ रुपये तक के लोन पर मिल सकती है।

गौरतलब है कि पांच अक्तूबर को उच्चतम न्यायालय ने लोन मोरेटोरियम की अवधि के दौरान स्थगित ईएमआई में ब्याज पर ब्याज में छूट को लेकर सुनवाई की थी। मामले में न्यायालय ने सरकार और रिजर्व बैंक को एक हफ्ते की और मोहलत दी थी। कोर्ट ने कहा था कि ब्याज पर जो राहत देने की बात की गई है, उसके लिए केंद्रीय बैंक द्वारा किसी तरह का दिशा-निर्देश जारी नहीं किया गया। 

13 अक्तूबर को होगी अगली सुनवाई

कोर्ट ने 12 अक्तूबर तक नया हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया था। मामले में अगली सुनवाई 13 अक्तूबर को होगी। जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने याचिकाओं पर सुनवाई की। इससे पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक अक्तूबर तक हलफनामा दायर करने का समय दिया था और बैंकों से अभी एनपीए घोषित नहीं करने को कहा गया था।

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