नई दिल्ली3 घंटे पहले
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मोतीलाल ओसवाल इन्वेस्टमेंट सर्विसेज की रिपोर्ट के मुताबिक जो बिडेन हाइड्र्रॉलिक फ्रैक्चरिंग के लिए सख्त नियम बनाएंगे, जिससे उत्पादन गिरेगा
- बिडेन ने सरकारी भूमि पर नई ड्र्रिलिंग को बंद करने और कार्बन-मुक्त भविष्य बनाने का वादा किया है
- बिडेन ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन में कटौती के लिए 2 लाख करोड़ डॉलर खर्च करना चाहते हैं
अमेरिका में हो रहे राष्ट्रपति चुनाव का क्रूड ऑयल के भाव पर गहरा असर पड़ने वाला है। डेमोक्रैट प्रत्याशी जो बिडेन यदि चुनाव जीतेंगे, तो कुछ महीने के भीतर WTI क्रूड का प्राइस 45-55 डॉलर प्रति बैरल के दायरे में पहुंच सकता है। यह बात मोतीलाल ओसवाल इन्वेस्टमेंट सर्विसेज की एक ताजा रिपोर्ट में कही गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक जो बिडेन हाइड्र्रॉलिक फ्रैक्चरिंग के लिए सख्त नियम बनाएंगे, जिससे उत्पादन गिरेगा। बिडेन ने सरकारी भूमि पर नई ड्र्रिलिंग को बंद करने और कार्बन-मुक्त भविष्य बनाने का वादा किया है। वह ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन में कटौती के लिए 2 लाख करोड़ डॉलर खर्च करना चाहते हैं।
ट्रंप शैल सेक्टर को बढ़ावा देते हैं
रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रंप यदि चुनाव जीतेंगे तो वह क्रूड को 45 डॉलर प्रति बैरल के आसपास बनाए रखने की कोशिश करेंगे, क्योंकि इससे पेट्रोल की कीमत नियंत्रण में रहेगी, जो अमेरिकी नागरिकों के लिए एक बड़ा मुद्दा है। ट्र्रंप को शैल गैस को बढ़ावा देने वाला माना जाता है। शैल सेक्टर को बढ़ावा देने से उत्पादन बढ़ेगा और ओपेक प्लस देशों को उत्पादन कम करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। इससे कीमत और उत्पादन संतुलित रहेंगे।
क्रूड प्राइस का कई सेक्टर्स पर पड़ता है सीधा असर
क्रूड प्राइस का कई कारोबारी सेक्टर्स पर सीधा असर पड़ता है। तेल उत्पादन करने वाली कंपनियों को क्रूड का भाव बढ़ने का सीधा फायदा मिलेगा, क्योंकि उसके तेल को बाजार में ऊंची कीमत मिलेगी। दूसरी ओर एयरलाइन, पेंट्स, लुब्रिकेंट़स, टायर, एफएमसीजी और सीमेंट कंपनियों को क्रूड की कीमत बढ़ने से नुकसान होगा, क्योंकि उनका परिचालन या उत्पादन खर्च बढ़ जाएगा।