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मुंबई25 मिनट पहले
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अमेरिकी शेयर ब्रोकर सैटर आज भी ढेर सारे आरोपों के बावजूद एक आराम की जिंदगी जी रहे हैं। अब जबकि अमेरिका में चुनाव है ऐसे में फिनसेन फाइल में सैटर का नाम आने से जरूर इस पर कुछ न कुछ दांव खेले जाने की आशंका है
- भारत में हर्षद मेहता से लेकर ढेर सारे घोटालों में राजनेताओं के साथ साठगांठ की बात सामने आई है
- अमेरिकी चुनाव से पहले फिनसेन फाइल में ट्रम्प के करीबी शेयर ब्रोकर का नाम आने से मामला गरमा सकता है
भारतीय शेयर बाजार के सबसे बड़े घोटाले के आरोपी हर्षद मेहता एक बार फिर चर्चा में हैं। यह चर्चा उन पर एक चैनल पर सीरीज के रूप में आने से हुई है। 1992 में भारतीय शेयर बाजार में घोटाले के आरोपी हर्षद मेहता की साठगांठ नेताओं से रही है। वैसे हर्षद मेहता ही नहीं, बल्कि देश में ज्यादातर घोटालों के आरोपी नेताओं से साठगांठ रखते हैं।
इस समय अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव है। ऐसे में हाल में फिनसेन फाइल में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के एक नजदीकी शेयर ब्रोकर का नाम आया है। यानी घोटालों का नेताओं से संबंध केवल भारत ही नहीं, बल्कि कई देशों में है।
हाल में फिनसेन फाइल में आया था नाम
बता दें कि हाल में इंटरनेशनल इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट एसोसिएशन ने फिनसेन फाइल को उजागर किया था। इसमें भारत के कई फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट और व्यक्तियों के नाम हैं। इसी फिनसेन फाइल में ट्रम्प के नजदीकी शेयर ब्रोकर फेलिक्स सैटर का भी नाम भी है। 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रूस के दखल के मामलों में नाम आने से पहले फेलिक्स सैटर उन तौर-तरीकों से कारोबार कर रहे थे, जिन्हें अमेरिकी फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट संदिग्ध मानते थे।
10 करोड़ डॉलर का लेन-देन शक के दायरे में
2013 और 2017 के बीच, बैंक ऑफ अमेरिका, वेल्स फारगो, अमेरिकन एक्सप्रेस और तीन अन्य ने सरकार को सैटर और उनके बिजनेस, उनकी पत्नी की ग्रनोल कंपनी और कजाखस्तान के एक पावरफुल राजनीतिक परिवार की ओर से किए जा रहे 10 करोड़ डॉलर से अधिक के संदिग्ध लेन-देन के बारे में कम से कम 10 बार आगाह किया था।
सैटर जब जेल जाते-जाते बचे
ट्रम्प के कार्यकाल में पनाह पाने वाले और अक्सर संदिग्ध वित्तीय लेन-देन करने वाले सैटर एक समय जेल जाते-जाते बचे थे, पर किस्मत का खेल देखिए कि वे बच निकले। बहुत जल्द ही वे बड़े आराम की स्थिति में पहुंच गए, जहां उनका बड़े-बड़े रसूखदारों से संबंध बहाल हो गए। दस्तावेजों से पता चलता है कि उन्होंने बड़े लोगों की मदद से स्विट्जरलैंड और ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स में ऐसे-ऐसे अकाउंट्स शुरू किए थे जिन्हें ट्रैक कर पाना बहुत ही मुश्किल था।
पैसे को ठिकाने लगाने का मकसद
वेल्स फारगो ने बताया कि उनके अकाउंट खोलने का मकसद पैसे को ठिकाने लगाने का था जो कि लॉन्ड्रिंग प्रॉसेस में एक महत्वपूर्ण कदम माना जाता है। अदालती दस्तावेजों के अनुसार, सैटर एक सजायाफ्ता अपराधी हैं जिन्होंने अमेरिका को वित्तीय अपराध से लड़ने में मदद भी की। ब्रुकलिन का यह बंदा रूसी और यूक्रेनी साइबर अपराधियों को पकड़ने के लिए साइप्रस और इस्तांबुल में अंडरकवर भी हो गया। यह एक ऐसा आदमी है जिसने पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश और राज्य के पूर्व सचिव कॉलिन पॉवेल की हत्या के प्रयास को एक्सपोज किया।
सैटर छोटी उम्र में अमेरिका में आकर बसे थे
सैटर जब एक लड़के की उम्र के थे, तभी रूस से आकर अमेरिका में बस गए। बाद में वह न्यूयॉर्क के ब्राइटन बीच में पले-बढ़े और फिर वॉल स्ट्रीट पर स्टॉक ब्रोकर के रूप में काम करने लगे। 1991 में उन्होंने शराब के नशे में विवाद के दौरान टूटे ग्लास से एक शख्स का चेहरा बुरी तरह जख्मी कर दिया। फिर जेल चले गए। इसके बाद उनके ब्रोकर का लाइसेंस रद्द हो गया। इस बात को सैटर मानते हैं कि उन्होंने वित्तीय लेन-देन का एक अलग ही काम चुना जो कि चार करोड़ डॉलर की एक “पंप और डंप” शेयर योजना थी। इसमें न्यूयॉर्क शहर के माफिया परिवारों की मदद ली गई थी, ताकि पीड़ितों को कंट्रोल किया जा सके।
धमकी देने के आरोपों के दोषी
वैसे 1998 में से सैटर को धमकी देने के आरोपों का दोषी भी पाया गया। अमेरिका में जब स्टॉक स्कीम अलग होने लगी तो वह रूस में काम करने चए गए। वहां रहते हुए उन्हें अमेरिकी रक्षा खुफिया एजेंसी के लिए जानकारी जुटाने के लिए भर्ती किया गया था। अदालत के दस्तावेजों के अनुसार, फिर उन्होंने एफबीआई और अन्य संघीय एजेंसियों के लिए एक गोपनीय सोर्स के रूप में लगभग दो दशकों तक काम किया। इसमें अलकायदा से लेकर उत्तर कोरिया के परमाणु हथियार कार्यक्रम के लिए उन्होंने खुफिया सूचनाएं जुटाने का काम किया।
बताते हैं कि सैटर की कंपनियां बाद में संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त हो गईं और अमेरिका की जांच एजेंसी फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (एफबीआई) ने कभी उसके वित्तीय सौदों के बारे में पूछताछ नहीं की।
ट्रम्प ब्रांड से टॉवर बनाने की योजना
हाल ही में सैटर ने ट्रम्प के पूर्व अटॉर्नी और फिक्सर माइकल कोहेन के साथ मॉस्को में ट्रम्प-ब्रांड से टॉवर कन्स्ट्रक्ट करने की कोशिश की। 2015 में उन्होंने कोहेन को लिखा कि खुद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इसमें खरीद सकते हैं। इस प्रक्रिया में हम डोनाल्ड ट्रम्प को चुनाव जिता कर उन्हें राष्ट्रपति बना सकेंगे। सैटर ने अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में किसी भी रूसी हस्तक्षेप से इनकार कर दिया और कहा कि उन्होंने वही किया जो अब तक करते आए हैं यानि कि सौदे पर काम कर रहे थे।
2012 से खोले गए खातों की रिपोर्ट मांगी गई
चुनाव की जांच के हिस्से के रूप में सीनेट की खुफिया समिति ने फिनसेन से कहा कि वह सैटर और उनके द्वारा 2012 से खोले गए खातों की रिपोर्ट मुहैया कराए। फिनसेन की अन्य फ़ाइलों की तरह इससे पता चल सकेगा कि उन्होंने कैसे और कितना संदिग्ध लेन-देन किया और किस तरह से बैंकों ने उन्हें रोकने के लिए कुछ किया या नहीं। 30 अगस्त 2013 को ट्राई-काउंटी ने चेस बैंक में एक खाते का इस्तेमाल कर बेरॉक ग्रुप को 2.6 मिलियन डॉलर का भुगतान किया। यहां सैटर मैनेजिंग डायरेक्टर के रूप में थे।
कनाडाई कंपनी को 2.5 मिलियन डॉलर भेजा गया
वेल्स फारगो द्वारा दायर एसएआर के अनुसार, एक हफ्ते बाद बेरॉक ने एक कनाडाई कंपनी को 2.5 मिलियन डॉलर भेजा। इसका मानना था कि बैंक को इस तरह से स्थापित किया गया था कि उसके लेन-देन के वास्तविक ओनरशिप और उद्देश्य को विवादित बना दिया जाए। बाद में सितंबर में, ट्राइ-काउंटी के चेस खाते ने बैरॉक को अतिरिक्त 8 लाख 66 हजार डॉलर भेजा। महीने के आखिरी दिन ट्राई-काउंटी ने चेज़ खाते से अपने वेल्स फारगो खाते में 1.3 मिलियन डॉलर से ज्यादा की राशि भेजी। सैटर ने उस दिन ट्राई-काउंटी अकाउंट बंद कर दिया। जब बैंक जांचकर्ताओं ने वर्षों बाद देखा तो कई गलतियां पाई और अलार्म की घंटी बजा दी।
मुखौटा कंपनियों का किया गया उपयोग
बैंक ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि कई शेल (मुखौटा) कंपनियों का उपयोग कर बहुत पैसों को इधर उधर किया गया है जिनके ओनरशिप सोर्स का अता पता नहीं है। उस महीने जब वेल्स फ़ार्गो खाता बंद किया जा रहा था, बैंक ऑफ अमेरिका सैटर के अकाउंट में पैसे भेजे जाने के एक अलग मामले की जांच कर रहा था। 29 अक्टूबर, 2013 को सैटर ने अपनी रियल एस्टेट निवेश कंपनी सैंड्स पॉइंट पार्टनर्स को 32 मिलियन डॉलर भेजे। तीन दिन बाद इसने लॉंग आईलैंड पर एक ग्रेनोला कंपनी को 25 मिलियन डॉलर भेजे। उन्होंने कहा कि वह उस समय देश से बाहर थे और उसने अपनी पत्नी को पैसे भेजे ताकि वह उसे लॉ फर्म में ट्रांसफर कर सके।
चार बैंकों ने दायर की रिपोर्ट
सैटर ने कहा कि उसकी पत्नी को इसके बारे में पता नहीं था। अगले तीन वर्षों में, कम से कम चार बैंकों और एक क्रेडिट कार्ड कंपनी ने एक-एक कर सभी ने सैटर की कंपनियों पर संदिग्ध गतिविधियाँ अपनाने की रिपोर्ट दायर की। हालांकि सैटर आज भी इतने आरोपों के बावजूद एक आराम की जिंदगी जी रहे हैं। यह भारत के उन घोटालों की तरह ही लगता है जहां कुछ दिनों तक हंगामा मचाने के बाद मामला शांत हो जाता है। अब जबकि अमेरिका में चुनाव है ऐसे में फिनसेन फाइल में सैटर का नाम आने से जरूर इस पर कुछ न कुछ दांव खेले जाने की आशंका है।