Atma Nirbhar Bharat Abhiyan; Easier Entry For Local Companies To Bid For Road Projects | रोड प्रोजेक्ट में लोकल कंपनियां हो सकती हैं शामिल, नियमों को आसान करने की बन रही है योजना

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मुंबई20 मिनट पहले

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नए बदलाव के तहत सालाना टर्नओवर की जरूरत को घटा कर 15 पर्सेंट किया जाएगा। यह पहले 20 पर्सेंट होता था। यानी प्रोजेक्ट की जो अनुमानित कीमत होगी, उसकी तुलना में भाग लेने वाली कंपनी का टर्नओवर 15 पर्सेंट होना चाहिए

  • पिछले हफ्ते मंत्रालय ने हाइब्रिड एन्यूटी मोड (एचएएम) प्रोजेक्ट के नियमों में ढील दी थी
  • नियमों में ढील देने से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और इससे प्रोजेक्ट जल्दी पूरे किए जाएंगे

जल्द ही देश में लोकल कंपनियों, खासकर नई कंपनियों को रोड प्रोजेक्ट में भाग लेने में आसानी हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि सरकार आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत रोड प्रोजेक्ट के नियमों में ढील देने की तैयारी कर रही है। इससे इन कंपनियों को रोड प्रोजेक्ट में हिस्सा लेने में आसानी हो जाएगी।

एलिजिबिलिटी क्राइटीरिया में होगा बदलाव

जानकारी के मुताबिक इस पूरे नियम में जो सबसे बड़ा बदलाव होने वाला है, उसमें योग्यता (एलिजिबिलिटी क्राइटीरिया) के नियम हैं। यह नियम इंजीनियरिंग प्रोक्यूरमेंट एवं कंस्ट्रक्शन (ईपीसी) के लिए आसान किए जाएंगे। इसमें फाइनेंशियल और टेक्निकल की क्राइटीरिया भी आसान की जाएगी। सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के लिए काफी समय से फाइनेंशियल और टेक्निकल क्राइटीरिया को आसान नहीं किया है। इससे लोकल कंपनियां रोड प्रोजेक्ट में भाग नहीं ले पाती थीं। अब इसे आसान किया जा रहा है।

सालाना टर्नओवर की शर्तों में होगी कमी

नए बदलाव के तहत सालाना टर्नओवर की जरूरत को घटा कर 15 पर्सेंट किया जाएगा। यह पहले 20 पर्सेंट होता था। यानी जो प्रोजेक्ट की अनुमानित कीमत होगी, उसकी तुलना में टर्नओवर 15 पर्सेंट होना चाहिए। इसी तरह कैपिटल कॉस्ट को भी अनुमानित लागत की तुलना में कम कर 75 पर्सेंट किए जाने की उम्मीद है। इससे पहले फाइनेंशियल कैपासिटी क्राइटीरिया एक-एक के अनुपात में थी। इस वजह से कुछ ही कांट्रैक्टर ऐसे थे जो इस तरह के प्रोजेक्ट के लिए चुने जाते थे। ऐसी स्थिति में प्रतिस्पर्धा न होने से कई प्रोजेक्ट के पूरा होने में काफी समय लग जाता था।

नितिन गडकरी करेंगे घोषणा

बताया जा रहा है कि रोड ट्रांसपोर्ट एवं हाइवे मंत्री नितिन गडकरी कुछ दिन में इसकी घोषणा कर सकते हैं। इसी तरह मंत्रालय ने इसमें टेक्निकल अनुभव को भी कम कर दिया है। इसे प्रोजेक्ट की लागत के अनुपात में 10 पर्सेंट से घटाकर 5 पर्सेंट कर दिया गया है। उदाहरण के लिए अगर किसी कंपनी को कुल 100 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट का अनुभव है तो उसके 50 करोड़ के प्रोजेक्ट को भी उचित माना जाता था। अब यह 25 करोड़ रुपए की शर्त हो जाएगी।

छोटी कंपनियां ईपीसी प्रोजेक्ट में हो पाएंगी शामिल

प्रस्तावित नियमों में आसानी के कारण अब छोटी कंपनियां ईपीसी प्रोजेक्ट में शामिल हो पाएंगी। इसे पूरी तरह से आत्मनिर्भर भारत के कार्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए माना जा रहा है। पिछले हफ्ते मंत्रालय ने हाइब्रिड एन्यूटी मोड प्रोजेक्ट के नियमों में ढील दी थी। मंत्रालय ने 200 मीटर की टनल (गुफा) के लिए अब अनुभव को खत्म कर दिया है।

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