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- Negotiations On Trade Between India And Taiwan May Take Place, China’s Problems May Increase Further
मुंबई7 घंटे पहले
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भारत के साथ ट्रेड वार्ता का मतलब होगा ताइवान के लिए दुनिया की बड़ी अर्थव्यस्थाओं के साथ बातचीत के दरवाजे खोलना। ऐसे देश जो चीन से परेशान हैं, वे ताइवान में चीन का हल तलाश सकते हैं
- भारत और ताइवान के बीच अगर ट्रेड पर बात हो जाती है तो यह साफ हो जाएगा कि भारत अब चीन की वन चाइना पॉलिसी को नहीं मानता है
- ताइवान पिछले कई वर्षों से भारत के साथ व्यापार वार्ता करना चाहता था, लेकिन भारत इस तरह के कदम से बचता आ रहा था
भारत चीन के बीच चल रही तनातनी में एक नया मोड़ आया है। खबर है कि चीन के दुश्मन ताइवान के साथ भारत ट्रेड पर बात करनेवाला है। इससे चीन को अब एक साथ दो देशों से दुश्मनी लेनी पड़ रही है। हालात यह है कि ताइवान और चीन के बीच दुश्मनी अब तक के सबसे खराब दौर में पहुंच गई है।
ताइवान और चीन के बीच युद्ध का खतरा
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ताइवान और चीन के बीच युद्ध का खतरा मंडरा रहा है। सूत्रों के मुताबिक भारत और ताइवान के बीच जल्द ही ट्रेड वार्ता होने की उम्मीद है। अगर ऐसा होता है तो यह चीन के लिए बड़ा झटका साबित होगा। इससे यह साफ हो जाएगा कि भारत अब चीन की वन चाइना पॉलिसी को नहीं मानता है।
ताइवान कई सालों से ट्रेड पर बात करना चाहता है
सरकारी सूत्रों के अनुसार, ताइवान पिछले कई वर्षों से भारत के साथ व्यापार वार्ता करना चाहता था, लेकिन भारत इस तरह के कदम से बचता आ रहा था। भारत को लगता था कि अगर ताइवान के साथ व्यापार संधि (ट्रेड एग्रीमेंट) का रजिस्ट्रेशन विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में होता है तो उसके और चीन के बीच तनाव और बढ़ जाएगा, पर अब चीन के साथ तनाव के बीच मोदी सरकार अपनी नीति को बदल सकती है।
चीन के साथ बिगड़ चुके हैं दोनों देशों के रिश्ते
मोदी सरकार में कुछ लोग मानते हैं कि दोनों देशों के रिश्ते चीन के साथ काफी बिगड़ चुके हैं। यह समय की मांग है कि चीन को उसके ही तरीके से जवाब दिया जाए। विशेषज्ञों का कहना है कि ताइवान के साथ होने वाली ट्रेड डील भारत को टेक्नोलॉजी और इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में होने वाले बड़े निवेश के लक्ष्य को पूरा करने में मदद करेगी। हालांकि अभी तक इस विषय पर कोई भी फैसला नहीं लिया गया है।
ताइवान की कंपनियों पर भरोसा
इसी महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने देश में अगले पांच साल में स्मार्टफोन प्रोडक्शन के लिए ताइवान के फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी ग्रुप, विस्ट्रॉन कॉर्प और पेगाट्रॉन कॉर्प को मंजूरी दी है। सरकार देश में कम से कम से 10.5 अरब रुपए के निवेश को स्मार्ट फोन उत्पादन के जरिए आकर्षित करना चाहती है। भारत और ताइवान के बीच साल 2019 में कुल व्यापार 18 प्रतिशत बढ़कर 7.2 बिलियन डॉलर पर हो गया था।
दोनों देशों के लिए फायदेमंद
अगर भारत और ताइवान के बीच ट्रेड समझौता होता है तो यह दोनों देशों के लिए फायदेमंद होगा। भारत के साथ ट्रेड वार्ता का मतलब होगा ताइवान के लिए दुनिया की बड़ी अर्थव्यस्थाओं के साथ बातचीत के दरवाजे खोलना। ऐसे देश जो चीन से परेशान हैं, वे ताइवान में चीन का हल तलाश सकते हैं।
कनाडा के साथ भी चीन के रिश्ते बिगड़ रहे हैं
हालांकि दूसरी ओर अब कनाडा के साथ भी चीन के रिश्ते बिगड़ रहे हैं। कनाडा और चीन के बीच रिश्ते पिछले कुछ सालों से बेहद नाजुक दौर से गुजर रहे हैं। दोनों देशों के रिश्तों के बीच खटास तब आनी शुरू हुई जब कनाडा ने हुआवी टेलीकॉम कंपनी की सीईओ को हिरासत मे ले लिया। जवाब में चीन ने भी अपने देश कनाडा के दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया।
हाल ही में कनाडा में चीन के राजदूत कोंगू पियू ने कहा है कि हांगकांग में लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारी हिंसक अपराधी हैं। साथ ही ये भी कहा है कि अगर इन लोगों को कनाडा शरण देता है तो यह चीन के आंतरिक मामलों में हस्ताक्षेप करना जैसा होगा।