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मुंबई5 घंटे पहले
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देश में लॉकडाउन से एक साथ रहने पर घरेलू हिंसा में तेजी से बढ़त देखी गई है। पिछले 6-7 महीनों से देश में कोरोना की वजह से लॉकडाउन है। इसलिए आजकल परिवार पूरे समय एक साथ रह रहा है। ऐसे में महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा और बुरे बर्ताव की काफी शिकायतें आ रही हैं। वोडाफोन आइडिया का ऐप इसी मामले में मदद करेगा
- वोडाफोन का माई अंबर ऐप महिलाओं को मदद और गाइड करेगा। इसे गुरुवार को लांच किया जाएगा
- देश में 31 पर्सेंट महिलाओं ने अपने पति द्वारा शारीरिक, यौन या इमोशनल हिंसा का अनुभव किया है
टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया माई अंबर मोबाइल एप्लीकेशन को लांच करने की योजना बना रहा है। इस एप्लीकेशन से महिलाओं को घरेलू हिंसा से बचाव करने और सूचना देने में मदद मिलेगी। यह एप्लीकेशन महिलाओं को मदद और गाइड करेगा। इसे गुरुवार को लांच किया जाएगा।
महिलाओं की सुरक्षा के लिए किया गया है डेवलप
जानकारी के मुताबिक वोडाफोन आइडिया इस एप्लीकेशन को इंफॉर्मेटिव और प्रिवेंटिव (यानी सूचना और रोकथाम) के लिहाज से डेवलप कर रहा है। यह ऐप गुरुवार को नॉस्कॉम फाउंडेशन और युनाइटेड नेशन (यूएन) के सहयोग से लांच किया जाएगा। इसमें नॉस्कॉम फाउंडेशन के सीईओ अशोक पामिडी, यूएन वूमेन की डेप्यूटी कंट्री प्रतिनिधि निष्ठा सत्यम, दिल्ली सरकार की महिला एवं बाल विकास की डायरेक्टर रश्मि सिंह आदि उपस्थित होंगी।
संपूर्ण जानकारी देगा यह ऐप
जानकारी के मुताबिक इस ऐप का उद्देश्य भरोसेमंद तरीके से महिलाओं के साथ होने वाले बुरे बर्ताव और हिंसा की संपूर्ण जानकारी देना है। इसके आधार पर महिलाएं इस तरह की स्थितियों में फैसला कर सकती हैं। माई अंबर ऐप मदद के साथ एजुकेशन भी महिलाओं को देगा। यह इसलिए ताकि इस आधार पर महिलाएं मुद्दों और सपोर्ट सेवाओं को समझ सकें या उनकी मदद ले सकें।
यह घरेलू हिंसा से बचाव में करेगा मदद
यह उन महिलाओं के लिए एक सुरक्षा प्रदान करेगा जो इस तरह की हिंसा से प्रभावित हैं और बिना किसी एकतरफा फैसले के अपनी शिकायत पर मदद चाहती हैं। बता दें कि देश में लॉकडाउन से एक साथ रहने पर घरेलू हिंसा में तेजी से बढ़त देखी गई है। पिछले 6-7 महीनों से देश में कोरोना की वजह से लॉकडाउन है। इसलिए आजकल परिवार पूरे समय एक साथ रह रहा है। ऐसे में महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा और बुरे बर्ताव की काफी शिकायतें आ रही हैं।
दुनिया भर में कुछ घटनाओं ने भारत को शर्मसार किया
भारत में महिलाओं के खिलाफ हिंसा से संबंधित मामलों के निपटान, महिला सुरक्षा उपायों और हैंडलिंग के लिए दुनिया भर में आलोचना की जा रही है। 2012 के दिल्ली गैंगरेप मामले में काफी हंगामे के बाद भी देश में कठुआ मामले, हैदराबाद केस, उन्नाव केस और हाथरस केस की हिंसा ने फिर से एक बार देश में महिलाओं की सुरक्षा की पोल विभिन्न राज्यों में खोल दी है।
15 वर्ष की उम्र से ही हिंसा की शिकार हो जाती हैं महिलाएं
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे सुझाव देता है कि 15-49 आयु वर्ग में भारत में 30 प्रतिशत महिलाओं ने 15 वर्ष की आयु से ही शारीरिक हिंसा का दंश झेला है। रिपोर्ट में आगे ये भी भयानक खुलासा हुआ है कि एक ही आयु वर्ग में 6 पर्सेंट महिलाओं ने अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार यौन हिंसा का अनुभव किया है। लगभग 31 पर्सेंट महिलाओं ने अपने पति द्वारा शारीरिक, यौन या इमोशनल हिंसा का अनुभव किया है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीबी) 2019 के अनुसार, लगभग दस दलित महिलाओं का हर दिन बलात्कार होता है।