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- Increasing The Legal Age Of Women Marriage: A Dominant Strategy For Societal Good, Financially Empowering Women : Soumya Kanti Ghosh
नई दिल्ली2 घंटे पहले
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SBI के ग्रुप चीफ इकोनामिक एडवाइजर सौम्य कांति घोष
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के ग्रुप चीफ इकोनामिक एडवाइजर सौम्य कांति घोष ने एक रिपोर्ट में लिखा है कि भारत में महिलाओं की कानूनी शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाने के कई सारे सामाजिक और आर्थिक लाभ हैं। उन्होंने कहा है कि इससे मातृ मृत्यु दर में कमी, पोषण में सुधार, अधिक लड़कियों का कॉलेज जाना और अधिक महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता के फायदे मिलेंगे। बता दें कि जल्द ही सरकार महिलाओं की शादी की वैधानिक उम्र में बढ़ोतरी की घोषणा कर सकती है।
पीएम मोदी लगातार शादी की न्यूनतम उम्र में बदलाव की बात कर रहे हैं
इस साल 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं की शादी की उम्र में जल्द ही बढ़ोतरी करने की घोषणा की थी। इसके बाद से ही हाल ही फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन (एफएओ) के कार्यक्रम में इस बात की चर्चा की गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार लड़कियों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र में बदलाव की बात कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट पूछ चुके हैं कि लड़के और लड़की की शादी की न्यूनतम उम्र में फर्क क्यों है। टास्क फोर्स ने भी लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र में बदलाव की सिफारिश की है। यदि यह सिफारिशें लागू होती हैं तो 42 वर्ष बाद विवाह की उम्र बदलेगी।
अभी शादी के लिए महिलाओं की कानूनी उम्र 18 साल है
अभी शादी के लिए महिलाओं की कानूनी उम्र 18 साल तो पुरुष की 21 वर्ष है। कांति घोष ने लिखा है कि उम्र सीमा में बदलाव के बाद मातृत्व मृत्यु दर के साथ शिशु मृत्यु दर में भी कमी आएगी। महिलाओं की शादी की कानूनी उम्र में अगर बढ़ोतरी होती है तो देश में महिलाओं की सारक्षता दर में वृद्धि आएगी। देश में बीए पास महिलाओं की संख्या बढ़ जाएगी। वर्तमान में भारत में 9.8 फीसदी महिलाएं ही ग्रेजुएट हैं। वे कहते हैं कि शादी की उम्र 18 साल से अधिक करने के बाद देश में ग्रेजुएट होने वाली महिलाओं की संख्या में कम से कम 5 से 7 फीसदी की बढ़ोतरी होने का अनुमान है। इतना ही नहीं इससे महिलाओं को मिलने वाले वेतन में भी बढ़ोतरी होगी।
सामाजिक बदलाव होगा, लोगों की मानसिकता भी बदलेगी
कांति घोष ने लिखा है कि महिलाओं की शादी की उम्र में बढ़ोतरी होने से ना केवल देश में महिलाओं की साक्षरता वृद्धि दर में बढ़ोतरी होगी बल्कि सामाजिक स्तर पर बदलाव देखने को मिलेगा। समाज में महिलाओं को लेकर लोगों की मानसिकता भी बदलेगी। उन्होंने लिखा है कि अभी भी भारत में 35% महिलाओं की शादी 21 साल की उम्र से पहले कर दी जाती है। कुछ राज्यों में स्थिति गंभीर है। पश्चिम बंगाल में स्थिति सभी राज्यों में सबसे खराब है। बंगाल में 47 फीसदी महिलाओं की शादी 21 साल की उम्र से पहले होती है। इस मामले में बंगाल बिहार और राजस्थान से भी बदतर हालात में है।
एसबीआई के मुताबिक, 12 साल या इससे अधिक समय तक स्कूल जाने वाली महिला की शादी की औसतन उम्र 22.7 साल है जबकि स्कूल नहीं जाने वाली महिलाओं की शादी की औसतन उम्र 17.2 होती है। बहुत जल्द महिलाओं की शादी की कानूनी उम्र को 18 साल से 21 साल कर दिया जाएगा। इससे पहले वर्ष 1978 में शादी की उम्र को 15 साल से बढ़ाकर 18 साल किया गया था। उम्र में बदलाव होने पर भारत चीन, सिंगापुर और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों की कतार में शामिल हो जाएगा, जहां शादी की वैधानिक उम्र 21 साल है। दुनिया के 65 फीसद देशों में शादी की वैधानिक उम्र 18 साल है।