Is Google not infringing on the fundamental rights of users by controlling Choice Parliamentary committee questioned | च्वॉइस को कंट्रोल कर क्या गूगल यूजर्स के मौलिक अधिकारों का हनन नहीं कर रही? संसदीय समिति ने किया सवाल

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नई दिल्ली39 मिनट पहले

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भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी की अध्यक्षता वाली समिति के सामने गूगल के भारतीय कारोबार की डायरेक्टर और लीगल हेड गीतांजलि दुग्गल, गवर्नमेंट अफेयर्स एंड पब्लिक पॉलिसी हेड अमन जैन और पब्लिक पॉलिसी एंड गवर्नमेंट रिलेशन के मैनेजर राहुल जैन पेश हुए

  • पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल की समीक्षा के लिए गठित समिति के सामने गूगल की पेशी हुई
  • गूगल के वरिष्ठ अधिकारियों ने डाटा सुरक्षा को लेकर पूछे गए सवालों के जवाब दिए

संसद की एक समिति ने गुरुवार को गूगल से विज्ञापन और कंटेंट को लेकर उसकी न्यूट्रलिटी के बारे में पूछा। संयुक्त संसदीय समिति (JPC) ने गूगल से यह भी सवाल किया कि च्वाइस को कंट्रोल कर क्या गूगल यूजर्स के फंडामेंटल अधिकारों का हनन नहीं कर रहा। पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल की समीक्षा के लिए गठित समिति के सामने गूगल के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित हुए थे और उन्होंने डाटा सुरक्षा को लेकर पूछे गए सवालों के जवाब दिए।

भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी की अध्यक्षता वाली समिति के सामने गूगल के भारतीय कारोबार की डायरेक्टर और लीगल हेड गीतांजलि दुग्गल, गवर्नमेंट अफेयर्स एंड पब्लिक पॉलिसी हेड अमन जैन और पब्लिक पॉलिसी एंड गवर्नमेंट रिलेशन के मैनेजर राहुल जैन पेश हुए। लेखी ने गूगल के साथ हुई बैठक के बाद कहा कि वे खुद प्लेटफॉर्म्स, सेलर्स और न्यूज एजेंसी हैं। गूगल के ही पास यह कंट्रोल करने का बटन है कि कौन सी सूचना पहले आएगी, कौन सी बाद में आएगी, कौन सी न्यूज फ्लैश करेगी और किसी न्यूज को दबा दिया जाएगा। ऐसे में वह एक न्यूट्रल प्लेटफॉर्म कैसे हो सकता है?

कुछ विज्ञापनदाताओं के साथ तरजीही व्यवहार का उठा मुद्दा

सूत्रों के मुताबिक संसदीय समिति के किसी सदस्य ने गूगल से पूछा कि सर्च इंजन आपके यूजर्स के च्वाइस को कंट्रोल कर रहा है। क्या यह मौलिक अधिकारों का हनन नहीं है? सदस्यों ने पूछा कि गूगल न्यूट्रल प्लेटफॉर्म कैसे हो सकता है, जबकि वह विज्ञापन और कंटेंट दोनों का कारोबार करती है और यह कैसे संभव हो सकता है कि वह सर्च रिजल्ट में कुछ विज्ञापनदाताओं के साथ तरजीही व्यवहार नहीं करती है।

डाटा स्टोरेज के बारे में पूछा गया

सूत्रों के मुताबिक किसी सदस्य ने यह भी पूछा कि क्या डाटा को स्रोत देश में स्टोर और प्रोसेस किया जाता है या किसी अन्य देश में। किसी सदस्य ने कहा कि गूगल के पास यूजर्स के च्वाइस को प्रभावित करने की क्षमता है और उसपर सीमा लगाने की जरूरत है। सदस्यों ने कहा कि डाटा की सुरक्षा और प्रोसेसिंग के लिए नियम बनाने की जरूरत है।

फेसबुक, ट्विटर, अमेजन और पेटीएम की भी हो चुकी है पेशी

गूगल के अलावा फेसबुक, ट्विटर, अमेजन और पेटीएम के अधिकारी भी समिति के सामने पेश हो चुके हैं। रिलायंस जियो, एयरटेल, ओला और उबर के अधिकारियों को भी पेश होने के लिए कहा गया है। समिति पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल-2019 की समीक्षा कर रही है।

11 दिसंबर 2019 को लोकसभा में पेश हुआ था डाटा प्रोटेक्शन बिल

यह विधेयक इलेकट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने 11 दिसंबर 2019 को लोकसभा में पेश किया था। विधेयक में व्यक्ति निजी डाटा की सुरक्षा और एक डाटा प्रोटेक्शन अथॉरिटी बनाने का प्रावधान है। बाद में विधेयक को संसद के दोनों सदनों की संयुक्त समिति के पास भेज दिया गया।

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