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बिहार विधानसभा चुनाव का पहला चरण पूरा हो चुका है और राजनीतिक दल दूसरे चरण की तैयारियों में जुट गए हैं। इस दौरान चुनाव में बेरोजगारी जैसे मुद्दे हावी हैं, लेकिन कई अहम मुद्दे इस वक्त लोगों के जेहन में ही नहीं हैं। इनमें पिछले साल पटना में आई बाढ़ का मुद्दा भी शामिल है। दरअसल, पिछले साल अक्टूबर के दौरान महज 3 दिन की बारिश से समूचा पटना डूब गया था। इसके बाद भी यह मुद्दा चुनाव में कहीं नजर नहीं आ रहा।
ऐसा था बाढ़ का ‘लॉकडाउन’
गौरतलब है कि वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से देश में 24 मार्च से लॉकडाउन लगा दिया गया। बिहार में भी इसका अनुपालन हुआ और एकाएक जिंदगी ठहर गई। कोरोना के कारण सड़कें और चौक-चौराहे वीरान हो गए, लेकिन इसके करीब एक साल पहले अक्टूबर 2019 में भी बिहार की राजधानी पटना के लोगों को लॉकडाउन जैसे हालात का सामना करना पड़ा था। उस दौरान महज तीन दिन हुई लगातार बारिश से समूचा पटना डूब गया था। स्मार्ट सिटी की राह पर निकल चुके पटना शहर के लोगों की जिंदगी हिचकोले खाने को मजबूर रही। उन्हें बदबूदार पानी के बीच कई दिन गुजारने पड़े।
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डिप्टी सीएम का घर भी डूबा था पानी में
आपको बता दें कि उस दौरान रईसों ने स्थानीय होटलों में शरण ले ली थी, लेकिन वे भी अपने-अपने घरों के सामान को पानी में बर्बाद होते देखते रहे। इसके अलावा आम लोगों के करोड़ों रुपये का सामान बर्बाद हो गया। हालात इतने ज्यादा खराब थे कि डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी का घर भी पानी में डूब गया था। ऐसे में वह अपने मोहल्ले वालों की सुध लेने की जगह सुरक्षित ठिकाने पर चले गए थे।
इन इलाकों में बरपा था बारिश का कहर
जानकारी के मुताबिक, बारिश का कहर पटना के तीन विधानसभा क्षेत्रों बांकीपुर, कुम्हरार और दीघा के राजेंद्र नगर, कंकड़बाग, कुम्हरार, बाजार समिति, श्री कृष्णा नगर, श्री कृष्णा पुरी, नागेश्वर कॉलोनी, कदमकुआं, नाला रोड, पाटलिपुत्र कॉलोनी और राजीव नगर कॉलोनी आदि इलाकों में बरपा था। ये तीनों विधानसभा सीटें भाजपा का गढ़ मानी जाती हैं। यहां बांकीपुर से नितिन नवीन, कुम्हरार से अरुण कुमार सिन्हा और दीघा से संजीव चौरसिया विधायक हैं।
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यह है आम लोगों की राय
पटना की बाढ़ को याद करते हुए कंकड़बाग के प्रभात रंजन और राजेंद्र नगर निवासी अनिल कुमार कहते हैं कि हम वो समय याद नहीं करना चाहते। नारकीय स्थिति के बीच हमें छोड़ दिया गया था। लेकिन वोट देने के सवाल पर विकल्प के बारे में पूछने लगे। राजीव नगर की ज्योति भारती कहती हैं कि अगर विकसित देश में ऐसी त्रासदी होती तो वहां सरकार गिर जाती। लेकिन बिहार में यह स्थिति बनी रहेगी। यहां जो भी आएगा, उसको जनता से कोई मतलब नहीं रहेगा। ऐसा मेरा अनुभव रहा है। वहीं, आनंद पुरी निवासी युवा राजेश कुमार कहते हैं कि मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रशंसक हूं। सबने उस समस्या को झेला था, लेकिन इसमें पीएम कहां से दोषी हैं? उनको मजबूत करना है।