Orthodox priest seriously hurt in France shooting, attacker flees | 3 दिन में दूसरी बार चर्च पर आतंकी हमला; पादरी को गोली मारकर फरार हुआ दहशतगर्द

3 घंटे पहले

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चर्च पर हमले के बाद मौके पर जांच करती मौजूद पुलिस।

फ्रांस में चर्च पर आतंकी हमले रूकने का नाम नहीं ले रहे हैं। 3 दिनों में दूसरी बार असलहों से लैस एक आतंकी ने चर्च पर हमला कर दिया। घटना लियोन शहर की है। यहां शनिवार को असलहों से लैस एक आतंकी ने चर्च के बाहर ऑर्थोडॉक्स पादरी को गोली मार दी। फिलहाल पादरी अस्पताल में भर्ती हैं और उनकी हालत नाजुक बताई जा रही है। हमले में घायल पादरी ग्रीस के नागरिक हैं।

हमले के बाद फरार हुए आतंकी
हमला करने के बाद आतंकी मौके से फरार हो गया है। पुलिस के मुताबिक, सीसीटीवी फुटेज के आधार पर आरोपी की पहचान की जा रही है। जल्द ही उसे पकड़ा जाएगा। फ्रांस के आंतरिक मंत्रालय ने भी घटना पर दुख जताया। ट्वीट किया ”दक्षिण-पूर्वी शहर लियोन में यह घटना हुई है। सुरक्षा के लिहाज से सिक्योरिटी बढ़ा दी गई है।”

तीन दिन पहले नीस में चर्च पर हमला हुआ था

29 अक्टूबर को ही नीस शहर में हमलावर ने एक महिला का सिर कलम कर दिया और चर्च के बाहर 2 लोगों की चाकू मारकर हत्या कर थी। नीस के मेयर क्रिस्टियन एट्रोसी ने इसे आतंकवादी घटना बताया था। घटना के कुछ घंटों बाद आतंकी पकड़ा गया था। वह मूल रूप से ट्यूनीशिया का नागरिक था। वो इटली से फ्रांस पहुंचा था। आरोपी की उम्र करीब 20 साल है।

क्यों चल रहा है विवाद?

  • दरअसल 16 अक्टूबर को 18 साल के चेचेन रिफ्यूजी ने क्लास में पैगंबर के कार्टून दिखाने पर फ्रेंच टीचर सैमुअल पैटी की स्कूल के बाहर हत्या कर दी। उनका सिर धड़ से अलग कर दिया था। इसके जवाब में हिंसक अतिवादियों और इस्लामिक ग्रुप्स पर छापे मारे गए।
  • नतीजा यह हुआ कि कई फ्रेंच शहरों में पैगंबर के कैरिकेचर इमारतों की दीवारों पर बनवाए गए। यह एक तरह से सेक्युलरिज्म का डिफेंस था और बर्बर हत्या का विरोध। मैक्रों ने पेरिस में यह भी साफ कर दिया कि उनका देश कार्टून बंद नहीं करने वाला।
  • प्रेसिडेंट मैक्रों ने कहा कि फ्रांस न तो कार्टून बनाना छोड़ेगा और न ही ड्राइंग बनाना। भले ही अन्य लोग पीछे हट जाएं। हम अपनी आजादी की रक्षा करेंगे और हमारे अपने सेक्युलरिज्म पर कायम रहेंगे।
  • सैमुअल पैटी की हत्या के बाद मैक्रों ने जो भी बोला, उसे लेकर इस्लामिक देशों में विरोध शुरू हो गया है। तुर्की और पाकिस्तान में तो फ्रेंच राष्ट्रपति के इस्लामोफोबिया की जमकर आलोचना हो रही है। बांग्लादेश तक पीछे नहीं है।

फ्रांस में मुस्लिम कट्टरपंथी संगठन क्यों पनप रहे हैं?

  • जनवरी 2015 में चार्ली हेब्दो के ऑफिस में हमला पैगंबर मुहम्मद के कार्टून पब्लिश करने का बदला था और यह फ्रांस के लिए टर्निंग पॉइंट बना है। नवंबर में पेरिस में सिलसिलेवार बम धमाके हुए और इसने पूरी दुनिया को दहला दिया था।
  • इन हमलों में आत्मघाती हमले, फुटबॉल स्टेडियम में शूटिंग, कैफे और रेस्त्रां में मास शूटिंग, थिएटर में बंधक बनाने की घटनाएं शामिल हैं। यूरोप में फ्रांस ही एक ऐसा देश है, जहां से सबसे ज्यादा नागरिक 2014-15 में इराक और सीरिया जाकर ISIS में शामिल हुए।

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