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- Zaid Hasan, Resident Of Noida, Chose Sanskrit Over Foreign Languages In CBSE 10th Class And Scored100 Out Of 100 Marks.
एक दिन पहले
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दिल्ली पब्लिक स्कूल में पढ़ रहे मो. जैद हसन ने अभी 10वीं की बोर्ड परीक्षा पास की है। उनके 500 में से कुल 487 मार्क्स आए हैं।
- जैद के पिता के एम. हसन का कहना है कि संस्कृत में इतना अच्छा स्कोर आने का श्रेय शिक्षक सुधाकर मिश्रा को जाता है
- जैद को 10वीं में संस्कृत चुनने की सलाह उनके बड़े भाई यूसुफ ने दी थी, यूसुफ का कहना था कि संस्कृत एक स्कोरिंग सब्जेक्ट है
बुधवार को CBSE बोर्ड ने 10वीं कक्षा के रिजल्ट जारी किए। परिणामों में मार्क्स के साथ कई यूनिक स्टोरी भी निकलकर सामने आती हैं। ऐसी ही एक कहानी है नोएडा के रहने वाले मो. जैद हसन की। जैद को 10वीं में हिंदी, संस्कृत या अन्य फॉरेन लैंग्वेज में से किसी एक को चुनना था। उन्होंने संस्कृत को न सिर्फ चुना बल्कि इस विषय में 100 मे से 100 मार्क्स भी हासिल किए।
दि प्रिंट वेबसाइट की खबर के अनुसार, जैद के पिता न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर के एम. हसन कहते हैं कि उनके बड़े बेटे युसूफ़ हसन ने भी अपनी बोर्ड परीक्षाओं में संस्कृत भाषा में अच्छा प्रदर्शन किया था।
शिक्षक सुधाकर मिश्रा ने पढ़ाई संस्कृत
जैद के पिता के एम. हसन का कहना है कि संस्कृत में इतना अच्छा स्कोर आने का श्रेय शिक्षक सुधाकर मिश्रा को जाता है। जैद के अच्छे स्कोर में सुधाकर मिश्रा की मेहनत शामिल है। सुधाकर, बिहार में सीतामढ़ी के रहने वाले हैं।
भाई ने दी थी संस्कृत चुनने की सलाह
जैद को 10वीं में संस्कृत चुनने की सलाह उनके बड़े भाई यूसुफ ने दी थी। यूसुफ का कहना था कि संस्कृत एक स्कोरिंग सब्जेक्ट है। इसलिए जैद के लिए यही चुनना सबसे बेहतर होगा।
इंजीनियर बनना चाहते हैं जैद हसन
दिल्ली पब्लिक स्कूल में पढ़ रहे मो. जैद हसन ने अभी 10वीं की बोर्ड परीक्षा पास की है। उनके 500 में से कुल 487 मार्क्स आए हैं। 12वीं के बाद जैद इंजीनियर बनना चाहते हैं।
संस्कृत और उर्दू की हालत को लेकर नाखुश हैं जैद के पिता
जैद के पिता डॉ. हसन इस दौर में संस्कृत और उर्दू जैसी भाषाओं की अहमियत कम होने को लेकर नाखुश हैं। उनका मानना है कि इस दौर में संस्कृत और उर्दू में भविष्य बनाना संभव नहीं है।
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