Bihar Assembly Elections 2020, First Time Exit Polls In Indian Political History – भारत में कब शुरू हुआ एग्जिट पोल, जानिए लोगों के बीच कैसे बढ़ी इसकी लोकप्रियता?

पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर


कहीं भी, कभी भी।

*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!

ख़बर सुनें

साल 1960 में सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसायटीज (सीएसडीएस) द्वारा मतदान के बाद जनता का मूड जानकर नतीजों का आकलन करने के लिए एक खाका तैयार किया गया था, जिसे ‘एग्जिट पोल’ के नाम से जानते हैं। एग्जिट पोल जनमत संग्रह(ओपिनियन पोल) का ही एक हिस्सा है, जिसका आकलन मतदान के ठीक बाद किया जाता है। 

जनमत संग्रह में चुनाव के दौरान जनता की राय को समझने के लिए अलग-अलग तरीके से आंकड़े इकट्ठे किए जाते हैं। इसके लिए प्री पोल, एग्जिट पोल और पोस्ट पोल ओपिनियन सर्वे किए जाते हैं। तीनों सर्वे के तरीके एक दूसरे से अलग हैं। एग्जिट पोल में वोट डालने के बाद मतदाता जब बाहर निकलता है, तो उससे कुछ सवाल पूछे जाते हैं और उसके टटोलने की कोशिश की जाती है। जिससे ये पता लग सके कि वोटर किस दल को या किस प्रत्याशी को अपना कीमती वोट देकर आ रहा है। बूथ से जुटाए गए इन आंकड़ों का विश्लेषण कर चुनाव खत्म होने के बाद एग्जिट पोल जारी किया जाता है।

1996 में किया गया था पहला एग्जिट पोल

1996 में हुए लोकसभा चुनावों में सीएसडीएस ने तैयार खाके के आधार पर एग्जिट पोल जारी किया था, जिसमें संकेत दिए गए थे कि इस बार खंडित जनादेश आ सकता है। जब असल नतीजे आए तो पूरा देश चकित रह गया। चुनाव के नतीजों और सीएसडीएस के एग्जिट पोल का अनुमान काफी हद तक समान था।

अनुमान के मुताबिक 1996 में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ा दल बनकर सामने आई, लेकिन बहुमत से दूर रही। इसी समय राष्ट्रपति ने अटल बिहारी वाजपेयी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था। सरकार बनी थी, लेकिन महज 13 दिन में ही गिर गई थी। 

1980 के मध्य में मीडिया द्वारा पहली बार मतदान के बाद वोटरों की नब्ज टटोलने की कोशिश की गई थी। इसके बाद 1990 के दशक में जैसे-जैसे टेलीविजन का प्रसार होता गया, लोगों के बीच एग्जिट पोल उतना ही लोकप्रिय होता गया। 1998 के लोकसभा चुनावों में लगभग हर प्रमुख समाचार चैनलों ने एग्जिट पोल किए।

इस दौरान भी एग्जिट पोल्स के आंकड़ों में अंदाजा लगाया गया था कि भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी। हालांकि एग्जिट पोल सीट के सटीक आंकड़े नहीं निकाल पाए थे, लेकिन उनकी अंदाजा काफी हद तक अनुमान के आसपास ही रहा। पोल के मुताबिक एनडीए को 214-249 के बीच सीटें और कांग्रेस नीत यूपीए को 145-164 सीटें मिलने का अनुमान था। वहीं असल में एनडीए को 252 और कांग्रेस को 166 सीटें मिली थीं।

अबतक जनता के बीच एग्जिट पोल्स का खुमार चढ़ चुका था। मतदान के बाद लोगों को एग्जिट पोल्स के अनुमान की बेचैनी होती थी। 1999 के चुनाव के एग्जिट पोल्स में एनडीए को 300 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया था और असल में 296 सीटें मिली थीं। यूपीए के लिए 132-150 सीटों का अनुमान था और उन्हें 134 सीटें मिली थीं।

हालांकि 2004 के लोकसभा चुनाव के एग्जिट पोल बेहद निराशाजनक साबित हुए। इस बार एनडीए को दोबारा जनादेश मिलने का अनुमान लगाया था, लेकिन नतीजे आने पर पता चला कि एनडीए 200 सीटों का आंकड़ा भी नहीं छू पाई। इस बार यूपीए को 222 सीटें मिली थीं, जिसके बाद सपा और बसपा के सहयोग से यूपीए की सरकार बनी थी। 

इसी तरह एग्जिट पोल के अनुमानों में उतार चढ़ाव देखने को मिलता रहा है। कभी नतीजे बिल्कुल सटीक, कभी अनुमान के आसपास तो कभी बिल्कुल ही विपरीत आते हैं। फिलहाल देशभर की नजर बिहार विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल्स पर टिकी हुई है, जिसमें महागठबंधन और एनडीए के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है। 

साल 1960 में सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसायटीज (सीएसडीएस) द्वारा मतदान के बाद जनता का मूड जानकर नतीजों का आकलन करने के लिए एक खाका तैयार किया गया था, जिसे ‘एग्जिट पोल’ के नाम से जानते हैं। एग्जिट पोल जनमत संग्रह(ओपिनियन पोल) का ही एक हिस्सा है, जिसका आकलन मतदान के ठीक बाद किया जाता है। 

जनमत संग्रह में चुनाव के दौरान जनता की राय को समझने के लिए अलग-अलग तरीके से आंकड़े इकट्ठे किए जाते हैं। इसके लिए प्री पोल, एग्जिट पोल और पोस्ट पोल ओपिनियन सर्वे किए जाते हैं। तीनों सर्वे के तरीके एक दूसरे से अलग हैं। एग्जिट पोल में वोट डालने के बाद मतदाता जब बाहर निकलता है, तो उससे कुछ सवाल पूछे जाते हैं और उसके टटोलने की कोशिश की जाती है। जिससे ये पता लग सके कि वोटर किस दल को या किस प्रत्याशी को अपना कीमती वोट देकर आ रहा है। बूथ से जुटाए गए इन आंकड़ों का विश्लेषण कर चुनाव खत्म होने के बाद एग्जिट पोल जारी किया जाता है।

1996 में किया गया था पहला एग्जिट पोल

1996 में हुए लोकसभा चुनावों में सीएसडीएस ने तैयार खाके के आधार पर एग्जिट पोल जारी किया था, जिसमें संकेत दिए गए थे कि इस बार खंडित जनादेश आ सकता है। जब असल नतीजे आए तो पूरा देश चकित रह गया। चुनाव के नतीजों और सीएसडीएस के एग्जिट पोल का अनुमान काफी हद तक समान था।

अनुमान के मुताबिक 1996 में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ा दल बनकर सामने आई, लेकिन बहुमत से दूर रही। इसी समय राष्ट्रपति ने अटल बिहारी वाजपेयी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था। सरकार बनी थी, लेकिन महज 13 दिन में ही गिर गई थी। 


आगे पढ़ें

टीवी के साथ बढ़ती गई एग्जिट पोल की लोकप्रियता

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

Anupam Kher to release a book on his COVID-19 experiences and learnings : Bollywood News

Sun Nov 8 , 2020
Veteran actor Anupam Kher has penned down his experiences during the COVID-19 pandemic. He said that he will be releasing a book to share his experiences and learnings very soon. “The #Pandemic has changed our lives forever. It has also put us on the path of self-discovery, willpower, small triumphs […]