Bail granted to one accused, application for cancellation of another, action will be taken against the then ADJ of the city | एक आरोपी को दी जमानत, दूसरे की रद्द की अर्जी, सिटी के तत्कालीन एडीजे पर होगी कार्रवाई

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पटनाकुछ ही क्षण पहले

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  • मामला हत्या का, हाईकोर्ट ने रद्द की आरोपी की जमानत, चार हफ्ते में आत्मसमर्पण करने का दिया आदेश

हत्या के एक मामले में दो आरोपियों पर एकसमान आरोप होने के बावजूद एक को अग्रिम जमानत देने और दूसरे की अर्जी को खारिज करने के मामले को पटना हाईकोर्ट ने काफी गंभीरता से लिया है। जस्टिस वीरेंद्र कुमार की एकलपीठ ने मामले को चीफ जस्टिस के पास अग्रिम जमानत देने वाले पटना सिटी के तत्कालीन एडीजे (प्रथम) के विरुद्ध प्रशासनिक कार्रवाई के लिए रेफर किया है।

साथ ही एडीजे ने जिस आदेश से एक आरोपी को अग्रिम जमानत दी थी उसे भी रद्द कर दिया। कोर्ट ने आरोपी बृंद पासवान को चार हफ्ते में निचली अदालत में सरेंडर करने और नियमित जमानत की अर्जी दाखिल करने का आदेश दिया है। हत्या को लेकर दनियावां थाना में दर्ज कांड संख्या 171 /2019 के दो अभियुक्त पुतुर पासवान और वृंद पासवान पर एक ही तरह के आरोप लगाए गए थे।

दोनों ने कट्टा (काटने का हथियार) और लोहे के रॉड से सूचिका और उसकी मां पर वार किया। उक्त वार से घायल सूचिका की मां ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। मामला हत्याकांड का बना क्योंकि पोस्टमार्टम में मौत का कारण उक्त वार से हुई शारीरिक चोट ही थी। इसी मामले में पहले एक आरोपी पुतुर पासवान ने अग्रिम जमानत की अर्जी दायर की।

पटना सिटी के एडीजे प्रथम ने पुतुर की अग्रिम जमानत अर्जी को 11 नवम्बर 2019 को खारिज कर दिया, जबकि वृंद पासवान को 23 दिसम्बर 2019 को उसी अदालत ने अग्रिम ज़मानत दे दी। इसी जमानत को रद्द करने की अर्जी राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में दायर की थी।

कोर्ट ने वृंद पासवान को नोटिस जारी करने के साथ ही पटना के जिला व सत्र न्यायाधीश से रिपोर्ट भी तलब किया था। जिला जज की रिपोर्ट पर हाईकोर्ट ने पाया कि एडीजे के दोनों आदेश में न्यायिक विसंगति है। किसी भी दृष्टि से उसे न्यायोचित माना जा सकता है। गौरतलब है कि एक ही महीने में यह दूसरा ऐसा मामला है जिसमें निचली अदालत के आदेश पर हाईकोर्ट ने न्यायिक आदेश पर सवालिया निशान लगाया। पिछला मामला मोतिहारी के तत्कालीन सीजेएम का था। हत्या के एक मामले में तत्कालीन सीजेएम ने बेल दे दिया था। हाईकोर्ट ने उस मामले में भी स्वतः संज्ञान लिया था।

अपर जिला जज दो के कोर्ट में काम नहीं करने का निर्णय
जिला अधिवक्ता संघ ने शुक्रवार को आपात बैठक कर अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय के काेर्ट में कार्य नहीं करने का प्रस्ताव पारित किया। अपर जिला जज सुषमा त्रिवेदी द्वारा पटना हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए वकीलों से अभद्र व्यवहार करने पर यह निर्णय लिया है। संघ ने सर्वसम्मति से उनका पटना से अन्यत्र स्थानांतरण करने का भी निवेदन किया है। बैठक अध्यक्ष अशोक कुमार सिन्हा की अध्यक्षता में हुई। प्रस्ताव की प्रति जिला जज को भेजी गई है।

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