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इंदौर4 दिन पहले
तनिष्का को 12 वर्ष की उम्र में 12वीं पास करने पर एशिया बुक ऑफ अवॉर्ड मिल चुका है।
डीएवीवी में एक ऐसी स्पेशल छात्रा ने एडमिशन लिया है, जिसने 11 साल की उम्र में 10वीं पास कर इंडिया बुक ऑफ अवॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाया। अगले ही साल उसने 12 साल की उम्र में 12वीं पास कर एशिया बुक ऑफ अवार्ड का सम्मान भी अपने नाम कर लिया। यूनिवर्सिटी के तक्षशिला परिसर के स्कूल ऑफ लाइफ लांग लर्निंग में बीए में एडमिशन मिलने के साथ ही 13 साल की तनिष्का की चर्चा इंदौर ही नहीं देशभर में हो रही है।

तनिष्का के पिता सुजीत का हाल ही में कोरोना से निधन हो गया।
एरोड्रम निवासी तनिष्का अपनी मां अनुभा के साथ रहती हैं। उनके पिता का कुछ समय पहले ही कोरोना से निधन हुआ है। कुलपति और उच्च शिक्षा विभाग की विशेष अनुमति से एडमिशन की प्रक्रिया नवंबर में पूरी हो गई थी, लेकिन अब यह पक्का हो गया है। तनिष्का में एक और खास बात यह है कि वह आंखों पर पट्टी बांधकर भी लिख और पढ़ सकती है। उसके इसी गुण की वजह से उसे हमेशा असामान्य छात्रा का दर्जा मिलता रहा है।

साढ़े आठ वर्ष की उम्र में तनिष्का ने पांचवी तक की पढ़ाई पूरी कर ली थी।
8 साल की उम्र में 5वीं पास कर ली
ढाई वर्ष की उम्र में नर्सरी से साढ़े आठ वर्ष की उम्र तक तनिष्का ने पांचवी तक पढ़ाई की। इसके बाद उसने होम स्कूलिंग शुरू की, लेकिन 11 वर्ष की उम्र में उसने विशेष परमिशन के साथ मालवा कन्या स्कूल से 10वीं का प्राइवेट फाॅर्म जमा कर परीक्षा दी। फर्स्ट क्लास पास भी हुई। इतनी कम उम्र में 10वीं पास होने पर उसे इंडिया बुक ऑफ अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। अगले ही साल उसने 12वीं की परीक्षा का प्राइवेट फाॅर्म भर दिया। 12 वर्ष की उम्र में ही तनिष्का ने 12वीं पास कर ली। इस पर उसे एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड से सम्मानित किया गया। अब उसने सांसद शंकर लालवानी की विशेष मदद के बाद शासन की विशेष अनुमति पर डीएवीवी में एडमिशन लिया है।

11 साल की उम्र में 10वीं पास कर इंडिया बुक ऑफ अवॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाया।
कोरोना से चल बसे पिता, अब उनका सपना पूरा करना चाहती हूं
तनिष्का के पिता सुजीत का हाल ही में कोरोना से निधन हो गया। अब वह अपने पिता के सपने को पूरा कर जज बनना चाहती है। वह कहती है, इतनी कम उम्र में कॉलेज की पढ़ाई शुरू होना ही मेरी मंजिल नहीं है। पिता के सपने को पूरा करना है। उन्होंने मुझे विशेष अनुमति दिलवाने के लिए हमेशा खूब प्रयास किया। हर जगह पहुंचकर गुहार लगाई। उनका भी सपना था कि मैं कुछ बनकर दिखाऊं। मेरा प्रयास रहेगा कि कभी भी मेरे सपने को पूरा करने में उम्र आड़े न आए। अगर मुझे बीए एलएलबी में प्रवेश मिलता है तो मैं जरूर दस गुना समय देकर पढ़ाई करूंगी। सबसे कम उम्र में जज बनकर पिता का सपना पूरा करूंगी। तनिष्का की माताजी अनुभा कहती हैं अब मैं तनिष्का को बीए एलएलबी में एडमिशन दिलाने के लिए केंद्र, राज्य शासन और बीसीआई से अनुमति को लेकर प्रयास करूंगी।

तनिष्का का सपना जज बनने का है। वे अपने पिता के इस सपने को पूरा करना चाहती हैं।