UNESCO started this day in November 1999, this change will be done in the country to maintain the existence of mother tongue | UNESCO ने नवंबर 1999 में की थी इस दिन की शुरुआत, मातृभाषा के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए देश में होंगे यह बदलाव

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19 मिनट पहले

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आज दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जा रहा है। लेकिन इसकी शुरुआत कब हुई? इसे मनाने के पीछे आखिर क्या मकसद था? UNESCO ने नवंबर 1999 को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा मनाए जाने का फैसला किया था, तब से लेकर हर साल 21 फरवरी को इसे मनाया जाता है। दरअसल, भाषायी आंदोलन में शहीद हुए युवाओं को श्रद्धांजलि देने के लिए यूनेस्को ने नवंबर 1999 को जनरल कांफ्रेंस में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने का फैसला किया।

क्या है भाषायी आंदोलन?

ढाका यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने 21 फरवरी 1952 में तत्कालीन पाकिस्तान सरकार की भाषायी नीति का विरोध किया। यह प्रदर्शन अपनी मातृभाषा के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए था। प्रदर्शनकारी बांग्ला भाषा को आधिकारिक दर्जा देने कर रहे थे, जिसके बदले में पाकिस्तान की पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां बरसाई। लेकिन लगातार जारी विरोध के चलते अंत में सरकार को बांग्ला भाषा को आधिकारिक दर्जा देना पड़ा।

क्यों चुनी गई 21 फरवरी की तारीख

मातृभाषा के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए हुए इस आंदोलन में शहीद युवाओं को श्रद्धांजलि देने के लिए जनरल कांफ्रेंस में यूनेस्को ने नवंबर 1999 को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने का फैसला किया और इसके लिए 21 फरवरी की तारीख तय की गई। जिसके बाद से हर साल दुनिया भर में 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है। इस साल के अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की थीम “शिक्षा और समाज में समावेश के लिए बहुभाषावाद को बढ़ावा देना” रखी गई है।

मातृभाषा में पढ़ेंगे भारतीय स्टूडेंट्स

मातृभाषा के अस्तित्व को बचाने के लिए भारत सरकार भी कई तरह से कदम उठा रही है। इसी क्रम में 34 साल बाद आई नई शिक्षा नीति में भी मातृभाषा को कई अहम फैसले लिए गए हैं। इसके तहत देश में अब अगले सत्र से मातृभाषा में पढ़ाई कराई जाएगी। नई शिक्षा नीति 2020 के तहत एकेडमिक ईयर 2021 से स्कूलों में पांचवी कक्षा तक अनिवार्य और अगर राज्य चाहें तो आठवीं कक्षा तक अपनी मातृभाषा में पढ़ाई करवा सकेंगे।

IIT-NIT में होगी मातृभाषा में पढ़ाई

इतना ही नहीं कुछ चुनिंदा आईआईटी और एनआईटी में भी स्टूडेंट्स को अपनी मातृभाषा में बीटेक प्रोग्राम की पढ़ाई का मौका मिलेगा। इसके अलावा मेडिकल पढ़ाई भी मातृभाषा में करवाने की योजना तैयार हो रही है। यूनेस्को ने भी इस बात पर सहमति जताई है कि प्रारंभिक पढ़ाई मातृभाषा में ही होनी चाहिए। इसी के चलते नई शिक्षा नीति में इसका प्रावधान किया गया है।

भाषाओं के संरक्षण के लिए सरकार कर रही पहल

मातृभाषा के प्रचार-प्रसार और इनके अस्तित्व की रक्षा के लिए भारतीय भाषाओं को विलुप्त होने से बचाने के लिए केंद्रीय बजट 2021 में भी उनके संरक्षण और अनुवाद के लिए विशेष प्रावधान किया गया है। इसके लिए देश के कई शहरों में केंद्र बनाए जाएंगे। इसमें 22 भारतीय भाषाओं के अलावा क्षेत्रीय और विलुप्त हो रही भाषाओं पर शोध और इन्हें पहचान दिलाने पर काम होगा।
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