Another experiment on teachers in Madhya Pradesh; School Education Minister Inder Singh Parmar says South Korea model not good will prepare fresh course | दक्षिण कोरिया के नहीं, बल्कि देश भर के शिक्षकों से सीखेंगे पढ़ाना; मंत्री बोले- हमारा दुर्भाग्य, विदेशी भाषा के पीछे भागते रहे

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भोपालएक घंटा पहलेलेखक: अनूप दुबे

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मध्यप्रदेश के शिक्षक कल से देश के प्रमुख शिक्षकों से बच्चों को पढ़ाने के तरीकों के बारे में सीखेंगे। यह जानकारी स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने भोपाल में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में दी। - Dainik Bhaskar

मध्यप्रदेश के शिक्षक कल से देश के प्रमुख शिक्षकों से बच्चों को पढ़ाने के तरीकों के बारे में सीखेंगे। यह जानकारी स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने भोपाल में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में दी।

  • राष्ट्रीय संगोष्ठी 5 और 6 मार्च को भोपाल की प्रशासन अकादमी में होगी
  • कमलनाथ सरकार में एक साल तक शिक्षकों और अधिकारियों को भेजा गया था दक्षिण कोरिया

मध्यप्रदेश की स्कूली शिक्षा में सुधार के लिए एक बार फिर शिक्षकों पर प्रयोग किया जा रहा है। अब शिक्षकों के लिए दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला भोपाल की प्रशासन अकादमी में 5 और 6 मार्च को होगी। इस बार अंतर सिर्फ इतना है कि शिक्षकों की क्लास भोपाल में ही लगेगी और उसमें देशभर से शिक्षक आएंगे। जबकि कमलनाथ सरकार में शिक्षक अधिकारियों के साथ दक्षिण कोरिया सीखने जा रहे थे।

पिछली सरकार में शिक्षा सुधार के लिए दक्षिण कोरिया को आदर्श मॉडल माना था, जबकि शिवराज सरकार ने अपने देश के शिक्षकों पर भरोसा जताया है। स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कमलनाथ की सरकार के निर्णय पर कोई भी कमेंट्स करने से इनकार कर दिया, लेकिन उन्होंने कहा कि हमारा दुर्भाग्य है कि हम विदेशी भाषा के पीछे भागते हैं, जबकि हकीकत यह है कि हमारे देश से ही पूरी दुनिया में शिक्षा का प्रसार हुआ। हमसे दूसरे देशों ने सीखा है।

विदेशी तक पढ़ने आते रहे हैं हमारे यहां
भारत की शैक्षणिक सभ्यता 5 हजार साल का इतिहास है। उज्जैन में श्रीकृष्ण ने शिक्षा ली। नालंदा और तक्षशिला ऐसे विश्वविद्यालय थे, जहां दुनियां के लोग शिक्षा लेने आते थे। एक हजार साल में भोपाल के राजाभोज का शिक्षा और संस्कृति के लिए अहम योगदान दिया। भारत को किसी की नकल करने की जरूरत हैं।

हमारे पास ज्ञान और विजन दोनों हैं। केवल हम अपने को भूल गए हैं। हमें उसी पर लौटना है। नई शिक्षा नीति उसी को दोबारा खड़ी करने जा रही है। पिछली सरकारों को लेकर नहीं है। हम अपने प्रयास करने जा रहे हैं। हमारा दुर्भाग्य है कि विदेशी भाषा के आधार पर उसे अच्छा मान लेते हैं। अपनी भाषाओं को या तो समाप्त कर दिया या उसे भुला दिया। सभी भाषाओं के आधर नई शिक्षा नीति बनाई जाएगी।

राष्ट्रीय संगोष्ठी में नया कोर्स बनाने पर फोकस
मंत्री परमार ने बताया कि सुबह 10.30 बजे प्रशासन अकादमी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उद्धाटन करेंगे। यह कार्यक्रम को विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान मध्यप्रदेश और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा किया जा रहा है। इसमें जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली के कुलपति प्रोफेसर एम जगदीश कुमार, कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर कैलाश चंद्र शर्मा, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के कुलपति प्रोफेसर नरेंद्र कुमार तनेजा रहेंगे। दोनों दिनों तक पैनल चर्चा, विशेषज्ञों की बातचीत, केस स्टडी और बेस्ट प्रैक्टिसेज होगा। इसके बाद नया मैटर तैयार किया जाएगा।

कांग्रेस सरकार में यह प्रयोग किया गया था
कमलनाथ सरकार ने प्रदेश की शिक्षा में सुधार के लिए शिक्षकों को दक्षिण कोरिया की सैर करवाई गई। बताया गया था कि वहां की स्कूल शिक्षा दुनिया में सबसे बेहतर थी। इसके लिए शिक्षकों के साथ अधिकारियों को भेजा गया। इस दौरान भोपाल में एक कार्यशाला का आयोजन भी किया गया था। इसमें कहा गया था कि इससे नया कोर्स तैयार किए जाएंगे। कार्यक्रम के दौरान एक शिक्षक ने सवाल किया था कि जिसे नया बताया जा रहा है, वह तो हम कई सालों से पहले से ही कर रहे हैं। इसके बाद कई सवाल भी खड़े हो गए थे।

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