Those taking the sixth subject will get the average marks of the 3 subjects with the highest marks. | छठा विषय लेने वालों को सर्वाधिक अंक वाले 3 विषयों के औसत अंक मिलेंगे

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2 घंटे पहलेलेखक: अनिरुद्ध शर्मा

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सीबीएसई ने 10वीं कक्षा का रिजल्ट तय करने की नीति जारी की है। - Dainik Bhaskar

सीबीएसई ने 10वीं कक्षा का रिजल्ट तय करने की नीति जारी की है।

  • जानिए, नतीजे तय करने की इस नई व्यवस्था से जुड़े हर सवाल का जवाब

सीबीएसई ने 10वीं का रिजल्ट तय करने की नीति जारी कर दी। इसमें रिजल्ट कमेटी बनाने के साथ-साथ रेफरेंस ईयर का क्राइटेरिया भी बताया गया, लेकिन छात्रों व अभिभावकों के मन में इससे जुड़े तमाम सवाल हैं, जिनके जवाब बोर्ड नोटिफिकेशन व बोर्ड एक्सपर्ट से बातचीत करके बता रहे हैं…
10वीं के नतीजे स्कूल टेस्ट, छमाही व प्री-बोर्ड परीक्षा के नतीजों पर तय होने हैं। किसी स्कूल में तीनों श्रेणियों में एक से ज्यादा टेस्ट हों तो क्या होगा?
ऐसी स्थिति में रिजल्ट कमेटी हर श्रेणी के सभी टेस्ट व परीक्षाओं के वेटेज तय कर सकती है। इसमें औसत अंक या हर श्रेणी के सर्वश्रेष्ठ अंक लिए जा सकते हैं।
किसी स्कूल में सिर्फ ऑनलाइन मिड टर्म एक्जाम, किसी में टेस्ट व हाफ ईयरली एक्जाम ऑनलाइन और प्री-बोर्ड ऑफलाइन हुआ। यानी 80 अंक के लिए तय श्रेणियों के नतीजे ही उपलब्ध नहीं हैं, तो क्या होगा?
ऐसे में रिजल्ट कमेटी मूल्यांकन के लिए व्यापक मानकों के आधार पर विचार करेगी और 80 अंक के मानदंड तय करेगी।
किसी ने छठे विषय के रूप में आर्ट, म्यूजिक, तीसरी भाषा या अन्य विषय लिया था, उसे कितने अंक मिलेंगे?
सर्वाधिक अंक वाले तीन विषयों के औसत अंक छठे विषय में मिलेंगे।
क्या कोई अभिभावक रिजल्ट कमेटी की मीटिंग की निगरानी कर सकता है?
नहीं, यह बैठक गोपनीय होगी। कमेटी के मिनट्स रेशनल डॉक्यूमेंट में शामिल होंगे।
कोई दिव्यांग छात्र टेस्ट व परीक्षा में शामिल नहीं हो सका, तो क्या होगा?
उनका मूल्यांकन पोर्टफोलियो, प्रेजेंटेशन, प्रोजेक्ट, क्विज, ओरल टेस्ट से होगा।
कुछ स्कूलों में एक या दो बार ही बोर्ड परीक्षा हुई है, उनका क्या होगा?
दो साल में बेहतर वाले को और एक साल में उसी वर्ष को रेफरेंस ईयर माना जाएगा। {कोई छात्र सख्त मार्किंग के चलते शत-प्रतिशत अंक नहीं ला पाया, वहीं अन्य स्कूल में छात्रों को पूरे नंबर मिले, क्योंकि उनका पेपर व मार्किंग अलग थे। इनका फेयर रिजल्ट कैसे बनेगा?
इसके लिए 3 साल की बोर्ड परीक्षाओं में स्कूल के सर्वश्रेष्ठ ओवरऑल प्रदर्शन को रेफरेंस ईयर के तौर पर माना जाएगा। जैसे 2017-18 में ओवरऑल प्रदर्शन 72%, 2018-19 में 74% और 2019-20 में 71% फीसदी था तो 2018-19 को रेफरेंस ईयर माना जाएगा। बोर्ड स्कूलों को चार्ट भेजेगा, उसी आधार पर अंक तय होंगे। चूंकि औसत अंक से 2 कम या ज्यादा देने की छूट होगी, यानी किसी विषय के औसत 98 हों, तभी 100 अंक की संभावना है।
जिन स्कूलों के छात्र पहली बार बोर्ड परीक्षा देने वाले थे, उनके पास तो कोई रेफरेंस ईयर ही नहीं है, तब क्या होगा?
ऐसी स्थिति में बोर्ड पिछले दो वर्ष में उस स्कूल के जिले, राज्य व राष्ट्रीय स्तर के बेहतर ओवरऑल औसत अंकों को रेफरेंस ईयर के तौर पर लेंगे। सीबीएसई यह डेटा सभी स्कूलों को उनके समूह के मुताबिक यानी नवोदय, केंद्रीय विद्यालय, निजी व सरकारी स्कूल श्रेणियों में मुहैया कराएगा।
यह कैसे तय होगा कि रिजल्ट कमेटी ने जो अंक तय किए हैं, वे उचित हैं?
बोर्ड इसके लिए ऑनलाइन सिस्टम बना रहे हैं। यदि स्कूल द्वारा दिए गए अंक बोर्ड के चार्ट से मेल नहीं खाएंगे तो कमेटी को अंकों में संशोधन करना होगा।
कमेटी बोर्ड के चार्ट के हिसाब से अंक देने में अक्षम रही हो क्या होगा?
ऐसे में 9वीं के प्रदर्शन को वेटेज दे सकते हैं या प्रोजेक्ट बेस्ड असेसमेंट हो सकता है।
ऑनलाइन पोर्टल पर नंबर अपलोड करने के बाद उसमें संशोधन संभव है?
बिल्कुल नहीं, इंटरनल अंक या रिजल्ट कमेटी द्वारा अपलोड अंक अंतिम होंगे।

क्या अंकों का सत्यापन, उत्तर पुस्तिका की फोटोकॉपी प्राप्त करने या पुनर्मूल्यांकन का मौका भी होगा?

यूनिट टेस्ट, मिड टर्म, प्री बोर्ड की कॉपियां सभी छात्रों को स्कूलों द्वारा दिखाई गई हैं या दे दी गई हैं। ऐसे में सत्यापन या पुनर्मूल्यांकन की सुविधा नहीं होगी।
प्राइवेट/पत्राचार/कंपार्टमेंट का दूसरा मौका कब मिलेगा?
इस पर जल्द ही विस्तृत नीति जारी करेंगे।

नई व्यवस्था में ग्रेस मार्क मिलने की गुंजाइश कितनी होगी?
स्कूलों द्वारा अपलोड किए गए इंटरनल असेसमेंट और रिजल्ट कमेटी द्वारा तय किए गए अंकों की गणना के आधार पर जब बोर्ड रिजल्ट की गणना करेगा, तब बोर्ड ग्रेस मार्क की नीति भी लागू करेगा।
क्या छात्रों को कंपार्टमेंट एक्जामिनेशन का मौका मिलेगा?
20 जून को रिजल्ट घोषित करने के बाद बोर्ड ऑनलाइन या ऑफलाइन कंपार्टमेंट एक्जाम आयोजित कर सकता है। इसके नतीजे आने तक इन छात्रों को 11वीं कक्षा में बैठने की अनुमति होगी।

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