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- Gratuity Money Will Also Be Available For A Job Below 5 Years, The Government Is Preparing To Change The Rules
नई दिल्ली17 मिनट पहले
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ऐसी कोई संस्था जहां पिछले 12 महीनों के दौरान किसी भी एक दिन 10 या उससे अधिक कर्मचारियों ने काम किया हो तो वो संस्था ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट के अंतर्गत आती है
- सरकार ग्रेच्युटी भुगतान की समय सीमा को 5 साल से घटाकर 1 से 3 साल के बीच करने पर विचार कर रही
- श्रम मामलों की संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में इसे घटाने की सिफारिस की है
केंद्र सरकार कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी भुगतान के नियमों में बदलाव करने पर विचार कर रही है। इसके तहत सरकार कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी भुगतान की समय सीमा को 5 साल से घटाकर 1 से 3 साल के बीच करने पर विचार कर रही।
श्रम मामलों की संसदीय समिति ने हाल ही में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ग्रेच्युटी भुगतान के पात्रता की समय सीमा को 5 साल से घटाकर 1 साल किया जाना चाहिए। ग्रेच्युटी भुगतान के पात्रता की समय-सीमा को घटाने की लगातार मांग को देखते हुए इस बात पर विचार किया जा रहा है।
क्यों बनाया गया था 5 साल वाला नियम
ग्रेच्युटी के लिए 5 साल की लिमिट इसलिए तय की गई थी ताकि लोग लम्बे समय तक एक ही कंपनी में टिक कर काम करें। लेकिन अब कर्मचारी अपनी ग्रोथ को देखते हुए किसी कंपनी या संस्थान में 5 साल नहीं रुकते। इसीलिए इस अवधि को कम करने पर विचार किया जा रहा है।
क्या है ग्रेच्युटी?
किसी कर्मचारी को किया जाने वाला ग्रेच्युटी भुगतान कंपनी में कर्मचारी के काम करने के साल के आधार पर प्रति साल 15 दिन की सैलरी के आधार पर किया जाता है। ये भुगतान कर्मचारी के किसी कंपनी में लगातार 5 साल पूरे होने पर ही मिलता है। आमतौर पर ये रकम तब दी जाती है, जब कोई कर्मचारी नौकरी छोड़ता है, उसे नौकरी से हटाया जाता है या वो रिटायर होता है।
इसके अलावा किसी वजह से कर्मचारी की मौत हो जाने या फिर बीमारी या दुर्घटना की वजह से उसके नौकरी छोड़ने की स्थिति में भी उसे या उसके द्वारा नामित व्यक्ति को ग्रेच्युटी की रकम मिलती है। ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट 1972 के नियमों के मुताबिक ग्रेच्युटी की रकम अधिकतम 20 लाख रुपए तक हो सकती है।
कौन सी संस्था एक्ट के दायरे में आती है?
ऐसी कोई संस्था जहां पिछले 12 महीनों के दौरान किसी भी एक दिन 10 या उससे अधिक कर्मचारियों ने काम किया हो तो वो संस्था ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट के अंतर्गत आ जाती है। एक बार एक्ट के दायरे में आने के बाद संस्था हमेशा के लिए एक्ट के दायरे में ही रहती है, फिर भले ही चाहे बाद में कर्मचारियों की संख्या 10 से कम क्यों ना हो जाए।
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