नई दिल्ली42 मिनट पहले
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संघ ने कहा कि प्रधानमंत्री, वित्तमंत्री और सड़क परिवहन मंत्री को मदद के लिए कई पत्र लिखे लेकिन अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई
- अगर ओला-उबर के चालक हड़ताल पर जाते हैं तो यात्रियों की मुश्किल बढ़ जाएगी
- संघ ने कहा एक सितंबर से ड्राइवर्स के पास काम रोकने के अलावा कोई विकल्प नहीं है
कैब सेवा प्रदाता कंपनी ओला और उबर के ड्राइवरों ने किराया बढ़ाने, ईएमआई की किस्त देने की छूट अवधि बढ़ाने समेत कई मांगों के समर्थन में एक सितंबर से दिल्ली-एनसीआर में हड़ताल पर जाने की धमकी दी है।
करीब दो लाख कैब चालक हड़ताल जाएंगे
दिल्ली सर्वोदय ड्राइवर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष कमलजीत सिंह गिल ने कहा कि अगर सरकार हमारी समस्याओं का समाधान करने में असफल होती है,तो इन कंपनियों के साथ काम कर रहे करीब दो लाख कैब चालक हड़ताल का हिस्सा होंगे। चालकों के बीच बांटी गई पुस्तिका के मुताबिक ऋण के पुन: भुगतान में छूट की अवधि 31 दिसंबर तक बढ़ाने, किराए में वृद्धि, कंपनी द्वारा कमीशन बढ़ाने, तेज गति की वाहन चलाने पर कटने वाले ई-चालान वापस लेने की मांगें प्रमुख हैं।
यात्रियों को हो सकती है परेशानी
अगर ओला-उबर के चालक हड़ताल पर जाते हैं तो यात्रियों की मुश्किल बढ़ जाएगी क्योंकि महामारी की वजह से मेट्रो सेवा अब तक बंद है और बसें भी सीमित क्षमता के साथ चलाई जा रही हैं। इस मामले पर ओला और उबर ने तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। गिल ने कहा कि हमारी तत्काल चिंता अधिकतर कैब चालकों के वाहन पर ईएमआई है। केंद्र सरकार द्वारा ऋण के पुन:भुगतान के लिए दी जाने वाली किस्त पर 31 अगस्त तक छूट है और यह अवधि समाप्त होने के बाद बैंक किस्त देने से चूकने पर वाहनों को जब्त करना शुरू कर देंगे।
भोजन का प्रबंध करना भी मुश्किल
उन्होंने कहा कि महामारी और लॉकडाउन से सबसे अधिक प्रभावित कैब चालक हुए हैं। गिल ने कहा कि अधिकतर चालक अपने परिवार के भोजन का प्रबंध करने में भी मुश्किल का सामना कर रहे हैं ऐसे में वित्तीय देनदारी पूरा करने का मतलब नहीं है। जबतक सरकार मदद नहीं करती, वाहन के खोने के डर के साथ काम करने के अलावा हमारे पास कोई रास्ता नहीं है।
हड़ताल के अलावा कोई विकल्प नहीं
उन्होंने कहा कि वाहन चालकों के ऊपर बड़ी वित्तीय देनदारी है। ऋण की किस्त के अलावा चालकों के ऊपर निर्धारित से अधिक गति पर वाहन चलाने की वजह से जुर्माना की बड़ी राशि देने का भी बोझ है। गिल ने कहा संघ ने प्रधानमंत्री, वित्तमंत्री और सड़क परिवहन मंत्री को मदद के लिए कई पत्र लिखे लेकिन अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में एक सितंबर से चालकों के पास काम रोकने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
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