राजनाथ ने बताया कि इस सफलता के बाद अब अगले चरण की प्रगति शुरू हो गई है। वहीं, इस मौके पर रक्षा मंत्री ने डीआरडीओ और इसके वैज्ञानिकों को बधाई दी और कहा कि संस्थान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में जुटा है।
रक्षा मंत्री राजनाथ ने ट्वीट कर कहा, ‘डीआरडीओ ने आज स्वदेशी रूप से विकसित स्क्रैमजेट प्रोपल्शन सिस्टम का उपयोग कर हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। इस सफलता के साथ, सभी महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियां अब अगले चरण की प्रगति के लिए स्थापित हो गई हैं।
I congratulate to DRDO on this landmark achievement towards realising PM’s vision of Atmanirbhar Bharat. I spoke to the scientists associated with the project and congratulated them on this great achievement. India is proud of them.
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) September 7, 2020
उन्होंने कहा, ‘मैं डीआरडीओ को इस महान उपलब्धि के लिए बधाई देता हूं जो पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की दिशा में है। मैंने परियोजना से जुड़े वैज्ञानिकों से बात की और उन्हें इस महान उपलब्धि पर बधाई दी। भारत को उन पर गर्व है।’
#WATCH DRDO‘s successful demonstration of the Hypersonic air-breathing scramjet technology with the flight test of Hypersonic Technology Demonstration Vehicle, at 1103 hours today from Dr. APJ Abdul Kalam Launch Complex at Wheeler Island, off the coast of Odisha pic.twitter.com/aC1phjusDH
— ANI (@ANI) September 7, 2020
देश की एक प्रमुख तकनीकी सफलता
डीआरडीओ के चेयरमैन डॉ जी सतीश रेड्डी ने कहा, यह देश की एक प्रमुख तकनीकी सफलता है। यह परीक्षण अधिक महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों, सामग्रियों और हाइपरसोनिक वाहनों के विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा। यह भारत को उन चुनिंदा देशों की श्रेणी में रखता है जिन्होंने इस तकनीक का प्रदर्शन किया है।
क्या है हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल
भारत में हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी का सबसे पहला परीक्षण 2019 में किया गया था। इस तकनीक का इस्तेमाल हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाने और काफी कम खर्च में सैटेलाइन लॉन्च करने में किया जाएगा। साथ ही हाइपरसोनिक और लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलों के लिए यान के तौर पर भी इसका प्रयोग किया जाएगा।
हाइपरसोनिक टेक्नोलजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल, हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल प्रणाली विकसित करने संबंधी भारत के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम का हिस्सा है। भारत उन कुछ चुनिंदा देशों की श्रेणी में आ खड़ा हुआ है, जहां इस तकनीक का प्रयोग किया जाता है। फिलहाल, अमेरिका, रूस और चीन के पास ये तकनीक है।