Bihar Election 2020: Bjp Has Already Become Elder Brother In Terms Of Gaining Votes – बिहार चुनाव: वोट हासिल करने के मामले में भाजपा पहले ही बन चुकी बड़ा भाई

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली

Updated Sun, 27 Sep 2020 07:16 AM IST

नरेंद्र मोदी-नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
– फोटो : PTI

पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर


कहीं भी, कभी भी।

*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!

ख़बर सुनें

चुनाव से पहले भाजपा ने भी नीतीश और जदयू को राज्य में बड़ा भाई माना है। मगर हकीकत यह है कि वोट हासिल करने के मामले में भाजपा पहले ही बड़ा भाई बन चुकी है। मसलन वर्ष 2005 के विधानसभा चुनाव में जदयू को भाजपा से 5 फीसदी अधिक वोट मिले थे। मगर 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को जदयू के मुकाबले 2 फीसदी अधिक वोट हासिल हुए। यही नहीं जदयू के बीच वोटों का अंतर 7 फीसदी का था।

समीकरण और दलों की रणनीति

बीते तीन दशकों से हर बार बिहार में जातीय राजनीति से ऊपर उठने का दावा किया जाता रहा लेकिन ऐसा होता नहीं। हर चुनाव में अलग-अलग दलों के बंधनों के पक्ष में बनी जातीय लामबंदी ही नतीजे तय करती है।बिहार में ओबीसी मतदाता 51 फीसदी हैं। इनमें यादव 14.74 फीसदी, कुर्मी-कुशवाह भी 14.4 फीसदी के अलावा करीब 21 फीसदी अति पिछड़ी जातियां हैं। दलित मतदाता 16 फीसदी, सवर्ण 17 फीसदी और मुसलमान मतदाता 16.9 फीसदी हैं।

राजद का मुख्य आधार 31 फीसदी यादव और मुस्लिम मतदाता हैं। पार्टी का जनाधार इन्हीं दो बिरादरियों तक सिमट जाने के कारण ही इसकी राज्य की सत्ता से विदाई हुई।अब राजद की कोशिश महागठबंधन में शामिल दलों के सहारे दूसरी जातियों को लुभाने की है। मसलन पार्टी को उम्मीद है कि महागठबंधन में शामिल कांग्रेस सवर्ण वीआईपी के मुकेश सहनी मल्ला मतदाताओं को साथ लाने में मददगार होंगे लेकिन आरएलएसपी के पाला बदलने की घोषणा भर बाकी है।

राजग का मुख्य आधार अगड़ी और अति पिछड़ी जातियों के अलावा दलित मतदाता हैं। बीते डेढ़ दशक में इसी समीकरण से राजग को महागठबंधन पर बढ़त मिली हुई है। इनमें भाजपा का अगड़ी जातियों में वर्चस्व है, जबकि पीएम मोदी के कारण पार्टी की अति पिछड़ी जातियों में भी पैठ बनी है। जदयू को पिछड़ी जाति के कुर्मी-कोइरी-कुशवाह और कुछ अति पिछड़ी जातियों का समर्थन मिलता आया है।

अब राजग अपने पुराने समीकरण को मजबूत करने के अलावा राजद समर्थक माने जाने वाले यादव मतदाताओं को साधने में जुटा है। इसी रणनीति के तहत इसी बिरादरी के नित्यानंद राय को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बनाया गया। इसके अलावा राज्य सरकार में मंत्री नंदकिशोर यादव और पूर्व सांसद हुकुमदेव नारायण यादव के जरिए भाजपा तो लालू के समधी शहीद राजद के कई यादव विधायकों के सहारे जदयू को यादव वोट बैंक में सेंध लगाने की उम्मीद है।

एनडीए की मजबूती और कमजोरी

मजबूती

  • पीएम मोदी-नीतीश के रूप में मजबूत सियासी चेहरा 
  • विपक्ष में इनके कद का नेता नहीं
  • भाजपा जनता दल-यू के बीच बेहतर तालमेल 
  • नीतीश कुमार को नेता मानने पर आम सहमति 
  • अगली और अति पिछड़ी जातियों में भी अच्छी पैठ 

कमजोरी

  • प्रवासियों का बड़ी संख्या में राज्य से पलायन 
  • इस बार पहले की तरह नीतीश जनता की पसंद नहीं मजबूरी 
  • 15 साल की सत्ता के खिलाफ हालात का डर 
  • बेहतर रणनीति का अभाव
  • कोरोना काल में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में अराजकता
महागठबंधन की मजबूती और कमजोरी

मजबूती

  • नीतीश की डेढ़ दशक की सत्ता खिलाफ नाराजगी 
  • राजद के सर्वे सर्वा लालू प्रसाद के जेल में होने पर जातीय सहानुभूति 
  • चुनाव पूर्व गठबंधन के बाद नीतीश का पाला बदल 
  • कोरोना, पलायन और बेरोजगारी के खिलाफ नाराजगी 

कमजोरी

  • महागठबंधन का चेहरा तेजस्वी का सियासी कद, शुरू हुआ बिखराव 
  • लालू परिवार में गंभीर मतभेद
  • महागठबंधन में ठोस रणनीति का अभाव अपनी ढफली-अपना राग
  • पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की अनुपस्थिति में कद्दावर नेता रघुवंश प्रसाद सिंह का निधन
  • तेजस्वी का अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ तालमेल का अभाव
चुनाव से पहले भाजपा ने भी नीतीश और जदयू को राज्य में बड़ा भाई माना है। मगर हकीकत यह है कि वोट हासिल करने के मामले में भाजपा पहले ही बड़ा भाई बन चुकी है। मसलन वर्ष 2005 के विधानसभा चुनाव में जदयू को भाजपा से 5 फीसदी अधिक वोट मिले थे। मगर 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को जदयू के मुकाबले 2 फीसदी अधिक वोट हासिल हुए। यही नहीं जदयू के बीच वोटों का अंतर 7 फीसदी का था।

समीकरण और दलों की रणनीति

बीते तीन दशकों से हर बार बिहार में जातीय राजनीति से ऊपर उठने का दावा किया जाता रहा लेकिन ऐसा होता नहीं। हर चुनाव में अलग-अलग दलों के बंधनों के पक्ष में बनी जातीय लामबंदी ही नतीजे तय करती है।बिहार में ओबीसी मतदाता 51 फीसदी हैं। इनमें यादव 14.74 फीसदी, कुर्मी-कुशवाह भी 14.4 फीसदी के अलावा करीब 21 फीसदी अति पिछड़ी जातियां हैं। दलित मतदाता 16 फीसदी, सवर्ण 17 फीसदी और मुसलमान मतदाता 16.9 फीसदी हैं।

राजद का मुख्य आधार 31 फीसदी यादव और मुस्लिम मतदाता हैं। पार्टी का जनाधार इन्हीं दो बिरादरियों तक सिमट जाने के कारण ही इसकी राज्य की सत्ता से विदाई हुई।अब राजद की कोशिश महागठबंधन में शामिल दलों के सहारे दूसरी जातियों को लुभाने की है। मसलन पार्टी को उम्मीद है कि महागठबंधन में शामिल कांग्रेस सवर्ण वीआईपी के मुकेश सहनी मल्ला मतदाताओं को साथ लाने में मददगार होंगे लेकिन आरएलएसपी के पाला बदलने की घोषणा भर बाकी है।

राजग का मुख्य आधार अगड़ी और अति पिछड़ी जातियों के अलावा दलित मतदाता हैं। बीते डेढ़ दशक में इसी समीकरण से राजग को महागठबंधन पर बढ़त मिली हुई है। इनमें भाजपा का अगड़ी जातियों में वर्चस्व है, जबकि पीएम मोदी के कारण पार्टी की अति पिछड़ी जातियों में भी पैठ बनी है। जदयू को पिछड़ी जाति के कुर्मी-कोइरी-कुशवाह और कुछ अति पिछड़ी जातियों का समर्थन मिलता आया है।

अब राजग अपने पुराने समीकरण को मजबूत करने के अलावा राजद समर्थक माने जाने वाले यादव मतदाताओं को साधने में जुटा है। इसी रणनीति के तहत इसी बिरादरी के नित्यानंद राय को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बनाया गया। इसके अलावा राज्य सरकार में मंत्री नंदकिशोर यादव और पूर्व सांसद हुकुमदेव नारायण यादव के जरिए भाजपा तो लालू के समधी शहीद राजद के कई यादव विधायकों के सहारे जदयू को यादव वोट बैंक में सेंध लगाने की उम्मीद है।

एनडीए की मजबूती और कमजोरी

मजबूती

  • पीएम मोदी-नीतीश के रूप में मजबूत सियासी चेहरा 
  • विपक्ष में इनके कद का नेता नहीं
  • भाजपा जनता दल-यू के बीच बेहतर तालमेल 
  • नीतीश कुमार को नेता मानने पर आम सहमति 
  • अगली और अति पिछड़ी जातियों में भी अच्छी पैठ 

कमजोरी

  • प्रवासियों का बड़ी संख्या में राज्य से पलायन 
  • इस बार पहले की तरह नीतीश जनता की पसंद नहीं मजबूरी 
  • 15 साल की सत्ता के खिलाफ हालात का डर 
  • बेहतर रणनीति का अभाव
  • कोरोना काल में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में अराजकता
महागठबंधन की मजबूती और कमजोरी

मजबूती

  • नीतीश की डेढ़ दशक की सत्ता खिलाफ नाराजगी 
  • राजद के सर्वे सर्वा लालू प्रसाद के जेल में होने पर जातीय सहानुभूति 
  • चुनाव पूर्व गठबंधन के बाद नीतीश का पाला बदल 
  • कोरोना, पलायन और बेरोजगारी के खिलाफ नाराजगी 

कमजोरी

  • महागठबंधन का चेहरा तेजस्वी का सियासी कद, शुरू हुआ बिखराव 
  • लालू परिवार में गंभीर मतभेद
  • महागठबंधन में ठोस रणनीति का अभाव अपनी ढफली-अपना राग
  • पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की अनुपस्थिति में कद्दावर नेता रघुवंश प्रसाद सिंह का निधन
  • तेजस्वी का अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ तालमेल का अभाव

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

Deepika Padukone grilled for more than 5 hours : Bollywood News

Sun Sep 27 , 2020
The Narcotics Control Bureau (NCB) questioned Deepika Padukone for over five hours. There is no information on the nature of the questions. But Deepika apparently handled the questions, posed to her by a 5-member panel, well. Apparently she didn’t give anything away, and the NCB is expected to call her for questioning soon again. As for the […]

You May Like