Mps And Mlas Are Also Accused Of Rape, Highest Number Of Cases Against 143 Honorable Mlas Of Uttar Pradesh – संसद और विधान सभाओं में भी बैठे हैं दुष्कर्म के आरोपी, उत्तर प्रदेश के 143 माननीयों पर सबसे ज्यादा मुकदमे

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हाथरस, बलरामपुर और राजस्थान के बारां में हुई दुष्कर्म की जघन्य वारदातों से पूरा देश हिल गया है। लोग ऐसी कानून-व्यवस्था की मांग कर रहे हैं जिससे देश की हर बेटी स्वयं को सुरक्षित महसूस कर सके। लेकिन एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक देश की संसद तक में दुष्कर्म के आरोपी बैठे हुए हैं। लोकसभा के कम से कम 43 फीसदी और राज्यसभा के 54 फीसदी सदस्यों पर विभिन्न मामलों में आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा के लगभग हर तीसरे विधायक (36 फीसदी) पर आपराधिक वारदातों के मुकदमे विभिन्न अदालतों में विचाराधीन हैं।

एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी उच्च न्यायालयों को निर्देश दिया है कि वे अपने क्षेत्र में जनप्रतिनिधियों पर चल रहे मुकदमों की त्वरित सुनवाई का रास्ता तैयार करें। किसी जनप्रतिनिधि को दो साल की सजा हो जाने पर वह छह साल के लिए चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य करार दिया जा सकता है।

वर्तमान संसद की स्थिति

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक लोकसभा चुनाव 2019 में जीते 539 सांसदों के हलफनामों का विश्लेषण किया गया। इनमें 233 (43 फीसदी) सांसदों ने अपने ऊपर आपराधिक मामला चलने की बात स्वीकार किया है। इनमें 159 (29 फीसदी) सांसदों ने अपने ऊपर हत्या, दुष्कर्म, अपहरण और महिलाओं के प्रति अपराध जैसे गंभीर मामले चलने की बात स्वीकार की है। इसके पूर्व यानी 2014 की लोकसभा में 34 फीसदी सांसदों ने अपने ऊपर आपराधिक मामला चलने की बात स्वीकार की थी। इनमें गंभीर अपराध वाले सांसदों की संख्या 112 (21 फीसदी) ही थी।

यानी संसद में कुल अपराध और गंभीर अपराध दोनों के मामलों वाले सदस्यों की संख्या में वृद्धि हुई है। तीन पर दुष्कर्म के आरोप कुल 19 सांसदों ने अपने ऊपर महिलाओं पर अत्याचार करने से संबंधित वाद चलने की जानकारी दी है। इनमें तीन सांसदों पर दुष्कर्म की गंभीर धारा (आईपीसी-376) में केस चल रहे हैं। ये तीन सांसद भाजपा के सौमित्र खान, कांग्रेस के हीबी इडेन और वाईएसआरसीपी के कुरुवा जी माधव हैं। इनके अलावा 6 सांसदों पर अपहरण करने से संबंधित मामले चल रहे हैं।

इडुक्की से जीते कांग्रेस सांसद डीन कुरिअकोसे पर हत्या के प्रयास, अपहरण जैसे गंभीर मामलों के साथ 204 मामले चल रहे हैं। कुल 11 सांसदों पर हत्या से संबंधित वाद चल रहे हैं। 30 सांसदों पर हत्या के प्रयास से संबंधित वाद चल रहे हैं।

राज्यसभा में स्थिति

एडीआर की जुलाई 2020 की एक रिपोर्ट के मुताबिक राज्यसभा के 229 सांसदों में से 54 सांसदों (24 फीसदी) ने हलफनामे में अपने ऊपर आपराधिक मामले चलने की जानकारी दी है। इनमें से 28 सांसदों (12 फीसदी) ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले चलने की बात स्वीकारी है। महाराष्ट्र भाजपा के सांसद भोंसले श्रीमंत उदयनराजे प्रताप सिंह महाराज ने अपने ऊपर हत्या (आईपीसी की धारा 302 के अंतर्गत) का केस चलने की जानकारी दी है।

चार राज्यसभा सांसदों ने अपने ऊपर महिलाओं के मामले में गंभीर मामले चलने की जानकारी दी है। कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने अपने ऊपर आईपीसी की धारा 376 के अंतर्गत दुष्कर्म का एक मामला चलने की जानकारी दी है।

भाजपा के 77 में से 14 और कांग्रेस के 40 में से 8 राज्यसभा सांसदों ने अपने ऊपर आपराधिक मामला चलने की बात स्वीकार किया है। इसी प्रकार बीजू जनता दल के 9 में से 3, तृणमूल कांग्रेस के 13 में से 2 और समाजवादी पार्टी के आठ में से दो सांसदों ने अपने ऊपर आपराधिक मामला चलने की जानकारी दी है। इनमें 203 सांसद करोड़पति हैं। राज्यों की दृष्टि से उत्तरप्रदेश के 30 में से आठ, बिहार के 15 में से आठ, महाराष्ट्र के 19 में से आठ, तमिलनाडु के 18 में से चार सांसदों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले की जानकारी दी है।

उत्तरप्रदेश में यह है स्थिति

उत्तरप्रदेश की वर्तमान विधानसभा के 403 विधायकों में से 402 के शपथपत्रों के अध्ययन के बाद यह तथ्य सामने आया है कि इनमें से 143 (36%) विधायकों पर आपराधिक मामले चल रहे हैं। इनमें 107 (26 फीसदी) पर गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं। 107 विधायकों पर हत्या, हत्या के प्रयास और अपहरण जैसे गंभीर मामले चल रहे हैं।

क्या बदलेगा बिहार

बिहार विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया जारी है। लेकिन वर्तमान विधानसभा के 240 विधायकों के हलफनामे के अध्ययन के बाद यह तस्वीर सामने आई है कि वर्तमान विधायकों में से 136 (57 फीसदी) विधायक आपराधिक पृष्ठभूमि वाले हैं। इनमें 94 (39 फीसदी) पर गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं। इन तथ्यों की जानकारी के बाद क्या राजनीतिक दल साफ-सुथरी छवि के उम्मीदवार उतारेंगे, क्या बिहार में स्वच्छ छवि के उम्मीदवार चुने जाएंगे, इन सवालों के जवाब 10 नवंबर को चुनाव परिणाम सामने आने के बाद ही मिल पाएगा।

कैसे सुधरेगी स्थिति

सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने देश की सभी उच्च न्यायालयों को निर्देश दिया है कि वे अपने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों के मामलों की फास्ट ट्रैक आधार पर सुनवाई सुनिश्चित करें। ऐसे मामलों की सुनवाई एक साल के अंदर निपटाने का आदेश दिया गया है। अश्विनी उपाध्याय के मुताबिक अगर यह व्यवस्था लागू होती है तो इससे अपराधियों के राजनीति में आने पर लगाम लगेगी। क्योंकि उन्हें पता होगा कि वे जिन मामलों में आरोपी हैं, अगर उनमें उन्हें सजा सुनाई जाएगी तो उन्हें दस-बीस साल तक भी जेल में रहना पड़ सकता है।

ऐसी परिस्थिति में अपराधी स्वयं चुनाव में उतरने से बचेंगे। उन्होंने कहा कि देश में कुल 790 सांसद और लगभग 4200 विधायकों का चुनाव होता है। यह पूरे देश की जिम्मेदारी है कि अपनी व्यवस्था में से पांच हजार साफ-स्वच्छ छवि के लोगों का चयन करें जिससे वे देश की जनता के लिए बेहतर कानून बनाएं। इससे देश में अच्छे कानून बनाने और उन्हें लागू कराने की बेहतर शुरुआत हो सकेगी।

सार

  • 43 फीसदी जनप्रतिनिधियों पर चल रहे हैं आपराधिक मुकदमे
  • यूपी के हर तीसरे विधायक पर अपराध में लिप्त होने के आरोप

विस्तार

हाथरस, बलरामपुर और राजस्थान के बारां में हुई दुष्कर्म की जघन्य वारदातों से पूरा देश हिल गया है। लोग ऐसी कानून-व्यवस्था की मांग कर रहे हैं जिससे देश की हर बेटी स्वयं को सुरक्षित महसूस कर सके। लेकिन एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक देश की संसद तक में दुष्कर्म के आरोपी बैठे हुए हैं। लोकसभा के कम से कम 43 फीसदी और राज्यसभा के 54 फीसदी सदस्यों पर विभिन्न मामलों में आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा के लगभग हर तीसरे विधायक (36 फीसदी) पर आपराधिक वारदातों के मुकदमे विभिन्न अदालतों में विचाराधीन हैं।

एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी उच्च न्यायालयों को निर्देश दिया है कि वे अपने क्षेत्र में जनप्रतिनिधियों पर चल रहे मुकदमों की त्वरित सुनवाई का रास्ता तैयार करें। किसी जनप्रतिनिधि को दो साल की सजा हो जाने पर वह छह साल के लिए चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य करार दिया जा सकता है।

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