Demand for flood status for the district is also an issue this time, Chief Minister Nitish Kumar became MP 5 times from here | जिले का दर्जा दिलाने की मांग इस बार भी मुद्दा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यहां से 5 बार बने थे सांसद

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पटना4 घंटे पहले

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यह बाढ़ अनुमंडल मुख्यालय से गुजरने वाले एनएच-31 की हालत है। इससे अच्छा तो गांवों की सड़कें हैं। विधानसभा चुनाव में यह भी एक मुद्दा बनने वाला है।

(पवन प्रकाश) अभी उम्मीदवार ताे खुलकर सामने नहीं आए हैं, पर पुराने मुद्दे सतह पर तैरने लगे हैं। अनुमंडल मुख्यालय से गुजरने वाले एनएच-31 की हालत कस्बाई सड़कों से भी खराब है। अस्पताल की स्थिति भी ठीक नहीं है। स्थानीय स्तर पर रोजगार का संकट भी बरकरार है। लेकिन, लोगाें की एक ही मांग है-बाढ़ काे जिला का दर्जा मिलना चाहिए। 2008 तक बाढ़ लोकसभा सीट थी।

नालंदा जिले के चंडी और हरनौत विधानसभा क्षेत्र भी इसी के अंतर्गत आते थे। लेकिन परिसीमन में बाढ़ सिर्फ विधानसभा क्षेत्र बन कर रह गया। बाढ़ को जिला बनाने का संघर्ष 70 के दशक में शुरू हुआ और 22 मार्च 1991 को संयुक्त बिहार का 51वां जिला बनाने की घोषणा हुई। 1 अप्रैल को इसका औपचारिक उद‌्घाटन तत्कालीन डीएम अरविंद प्रसाद ने किया। लेकिन, 2 अप्रैल 1991 को ही यह फैसला रद्द हो गया।

सहरी गांव के सुनील कुमार कहते हैं-उम्मीदवारों के नाम आने पर क्षेत्र की जनता तय करेगी। लेकिन फिलहाल विकल्प की कमी है। राणाबिगहा में पहली बार वोट डालने का इंतजार कर रहे युवक अविनाश का कहना था-वोट जाति पर नहीं डालेंगे। 70 वर्षीय महेश्वर सिंह बताते हैं-सालों से जिस पार्टी को वोट देते आए हैं, उसी को देंगे। अगवानपुर के सुरेश काे नाराजगी है कि जनप्रतिनिधियों ने लॉकडाउन में कोई व्यवस्था नहीं करवाई।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का संसदीय क्षेत्र रहा बाढ़
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की संसदीय यात्रा बाढ़ लोकसभा क्षेत्र से शुरू हुई थी। वह 1989 में पहली बार यहां से सांसद चुने गए और 1999 तक लगातार पांच बार जीते। लेकिन 2004 में वे राजद के विजय कृष्ण से हार गए। 2008 में परिसीमन के दौरान बाढ़ लोकसभा क्षेत्र का अस्तित्व ही समाप्त हो गया।
राजपूत वोटर ही निर्णायक
यहां राजपूत वोटर ही विधायक तय करते हैं। यहां पर करीब 80 हजार राजपूत वोटर हैं। इसके बाद करीब 60 हजार वोट अतिपिछड़ा वर्ग के हैं। राजपूत व अतिपिछड़ा वोटर मिलकर निर्णायक स्थिति बना देते हैं। इनके अलावा 30 हजार पासवान वोटर भी पिछली बार एनडीए फोल्ड के साथ नजर आए थे। 20 हजार यादव, 15 हजार कुर्मी व 18 हजार भूमिहार वोट क्षेत्र में अलग भूमिका निभाते दिखते हैं।

नामांकन प्रक्रिया शुरू, पर उम्मीदवारों की घोषणा नहीं

बाढ़ विधानसभा क्षेत्र में पहले फेज में 28 अक्टूबर को मतदान होना है। नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। लेकिन प्रत्याशी घोषित नहीं हुए हैं। भाजपा के मौजूदा विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू की दावेदारी पुख्ता है। राजद से किसी महिला प्रत्याशी के उतारने की चर्चा है। राजद से टिकट की उम्मीद छोड़ चुके कर्णवीर सिंह यादव उर्फ लल्लू मुखिया ने निर्दलीय उम्मीदवार बनने का फैसला किया है और छह अक्टूबर को नामांकन की तिथि भी घोषित कर दी है।
सीट का इतिहास: बाढ़ विधानसभा क्षेत्र में 1951 से 1985 तक हुए नौ चुनावों में सात बार कांग्रेस के उम्मीदवार चुने गए। लेकिन 1990 से 2015 के बीच हुए छह चुनावों में कांग्रेस पूरी तरह गायब हो गई। तीन बार से ज्ञानेंद्र कुमार सिंह उर्फ ज्ञानू विधायक हैं। ज्ञानू 2015 में भाजपा के टिकट पर, जबकि नवंबर 2005 और 2010 के चुनाव में जदयू से जीते थे। इस सीट पर राजद काे एक ही बार मार्च 2005 में जीत मिली थी। लेकिन उसी साल दाेबारा हुए चुनाव में इस सीट को वापस जदयू ने जीत लिया।

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