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- Bihar: RLSP And BSP Split Seats, Upendra Kushwaha To Field Candidates In 153 Assembly Constituencies, Mayawati’s Party Gets 90 Seats
पटना3 मिनट पहले
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चार दिन पहले तमाम कयासों पर विराम लगाते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने बसपा से गठबंधन का ऐलान किया था।
- गठबंधन से अगर कोई और पार्टी जुड़ती है तो कुशवाहा उसे अपने हिस्से की 153 सीटों में से सीट देंगे
- इन 153 सीटों में जनवादी सोशलिस्ट पार्टी भी कुछ सीटों पर चुनाव लड़ेगी
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा (राष्ट्रीय लोक समता पार्टी) और उत्तरप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की पार्टी बीएसपी (बहुजन समाज पार्टी) के बीच सीटों का बंटवारा हो गया है। उपेंद्र कुशवाहा 153 सीटों पर और मायावती 90 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगी।
उपेंद्र कुशवाहा और बीएसपी ने 4 दिन पहले अपना गठबंधन बनाया था। यह गठबंधन और पुख्ता हो गया, जब उपेंद्र कुशवाहा और बीएसपी ने आपसी सूझबूझ के साथ सीटों का बंटवारा कर लिया। इस गठबंधन से अगर कोई और पार्टी जुड़ती है तो कुशवाहा उसे अपने हिस्से की 153 सीटों में से सीट देंगे। इन 153 सीटों में जनवादी सोशलिस्ट पार्टी भी कुछ सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
गठबंधन में शामिल होंगे कई और छोटे दल
जैसे-जैसे पहले पेज के नॉमिनेशन का अंतिम तारीख नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे सभी पार्टियां अपने उम्मीदवारों की लिस्ट और संख्या जाहिर करने लगी हैं। उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा और बीएसपी ने भी अपने सीटों के बंटवारे को जाहिर किया है। सूत्रों की मानें तो इस गठबंधन में और कई छोटे दल शामिल होंगे और इसे मजबूत बनाएंगे।
चार दिन पहले तमाम कयासों पर विराम लगाते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने बसपा से गठबंधन का ऐलान किया था। उन्होंने कहा था कि राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन में इतनी ताकत नहीं है कि वह बिहार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुक्ति दिला सके। इसके चलते हमने बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन किया है। हम बिहार को नया और बेहतर विकल्प देने जा रहे हैं।
बताया जा रहा है कि कुशवाहा को एनडीए में शामिल होने के बाद विधानसभा की पांच सीटें और लोकसभा उपचुनाव की एक सीट दी जानी थी। साथ ही उन्हें एनडीए में रहते हुए अपने चुनाव चिह्न पर न लड़कर जदयू के चुनाव चिह्न पर लड़ने की बात कही गई थी। कुशवाहा को यह फॉर्मूला पसंद नहीं आया। सोमवार को अपने प्रदेश अध्यक्ष भूदेव चौधरी के राजद में चले जाने से भी वे आहत थे। इन्हीं सब कारणों की वजह से उन्होंने अपनी अलग राह चुनी थी।