Olympian Pillay say – Hockey team of Rani and Savita will create new history in Tokyo by winning medals in Olympics | ओलिंपियन पिल्ले बोले- रानी और सविता की हॉकी टीम ओलिंपिक में मेडल जीतकर टोक्यो में रचेगी नया इतिहास

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नई दिल्ली2 घंटे पहले

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धनराज पिल्ले चार बार ओलिंपिक में देश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। उन्होंने कहा- महिला हॉकी टीम टोक्यो ओलिंपिक में मेडल जीतने में सक्षम है।

  • महिला टीम तीसरी बार टोक्यो ओलिंपिक में खेलेगी, सबसे पहले टीम ने 1980 ओलिंपिक में खेला था
  • महिला हॉकी टीम ने 2017 में एशिया कप जीता, 2018 में एशियन गेम्स में सिल्वर मेडल जीत चुकी है

ओलिंपियन धनराज पिल्ले का मानना है कि इस बार महिला हॉकी टीम कप्तान रानी रामपाल और सीनियर खिलाड़ी सविता की मौजूदगी में अगले साल टोक्यो ओलिंपिक में मेडल जीतकर इतिहास रचेगी। टीम की स्टेमिना और फिजिकल एबिलिटी अच्छी है। रानी 2018 एशियन गेम्स में टीम का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। एशियन गेम्स में टीम ने सिल्वर मेडल जीता था। वहीं सविता टीम की सीनियर खिलाड़ी हैं और काफी अनुभवी हैं। उन्होंने ओलिंपिक क्वालिफायर के दौरान मुश्किल घड़ी में टीम के लिए बेहतर प्रदर्शन किया।

पिल्ले ने कहा- रानी बेस्ट कप्तान

पिल्ले ने एक कार्यक्रम में कहा-रानी के तौर हमें बेस्ट कप्तान मिली है। मेरा मानना है कि रानी और गोलकीपर सविता टीम को ओलिंपिक में मेडल दिलाएंगी। इसके लिए टीम कड़ी मेहनत कर रही है और ओलिंपिक की बेहतर तैयारी कर रही है। मुझे पूरा भरोसा है कि टीम मेडल अवश्य जीतेगी। आज के दौर में टीम की तुलना अब जर्मनी, नीदरलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसी टीमों के साथ की जाने लगी है। टीम दुनिया की किसी भी टीम को हराने में सक्षम है।

टीम की फिटनेस लेवल बेहतर

पिल्ले ने कहा- आज के हॉकी खिलाड़ी जिस तरह की हॉकी खेल रहे हैं। मैने उस तरह की हॉकी नहीं खेली। पिछले 10-15 सालों में हॉकी में काफी बदलाव हुआ है। इनकी तुलना हमसे नहीं की जा सकती है। इन खिलाड़ियों की फिटनेस लेवल काफी बेहतर है। इनकी फिटनेस ने भारतीय हॉकी को बदल कर रख दिया है। खिलाड़ी भी फिटनेस और एंडुरेंस को लेकर काफी गंभीर हैं।

रियो ओलिंपिक में सबसे निचले पायदान पर थी टीम

महिला टीम तीसरी बार ओलिंपिक में खेलेगी। सबसे पहले टीम ने 1980 ओलिंपिक में खेला था।1980 में ही महिला हॉकी को ओलिंपिक में शामिल किया गया था। उसके बाद टीम को ओलिंपिक क्वालिफाई करने में 36 साल लग गए। टीम ने 2016 में रियो ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई किया था। रियो में टीम का प्रदर्शन काफी खराब रहा था। टीम सबसे नीचे पायदान पर थी।

रियो के बाद टीम के प्रदर्शन में सुधार

रियो ओलिंपिक के बाद टीम के प्रदर्शन में सुधार हुई। टीम ने 2017 में एशिया कप जीता। उसके बाद 2018 के वर्ल्ड कप में टीम क्वार्टर फ़ाइनल तक पहुंचने में कामयाब रही। वहीं 2018 के इंचियोन एशियाई खेलों में टीम ने सिल्वर मेडल जीता।

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