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- H1B Visa: US H1B Visa Rules 2020 | H1B VISA Indian IT Companies | Here’s Latest Updates From Donald Trump Administration
वॉशिंगटन2 घंटे पहले
अमेरिकी कंपनियां एच1-बी वीजा के तहत दूसरे देशों के टेक्निकल एक्सपर्ट्स को नियुक्त करती हैं। इसमें ज्यादातर भारतीय होते हैं। -फाइल फोटो
- व्हाइट हाउस ने फ्रॉड डिटेक्शन फोर्स को ज्यादा अधिकार दिया है, इससे अब वीजा मंजूरी से पहले होने वाली जांच ज्यादा सख्त हो जाएगी
- व्हाइट हाउस ने नए वीजा नियम पर कहा- इससे अमेरिकी लोगों की नौकरियां बचाने और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में मदद मिलेगी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चुनाव से पहले मंगलवार की रात एच-1बी वीजा से जुड़े नियमों में बदलाव कर दिया। इनसे भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स की मुश्किल बढ़ सकती है। इसमें भत्तों से जुड़े पारामीटर्स बढ़ा दिए गए हैं। कंपनियों के लिए विदेशी कर्मचारियों को काम पर रखने की शर्तों में बदलाव किए गए हैं। व्हाइट हाउस ने फ्रॉड डिटेक्शन फोर्स को ज्यादा अधिकार दिया है। इससे अब वीजा मंजूरी से पहले होने वाली जांच ज्यादा सख्त हो जाएगी। व्हाइट हाउस के डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी ने एच1बी वीजा से जुड़े दो इंटैरिम फाइनल रुल्स (आईएफआर) के जरिए ये बदलाव किए हैं
नए नियम में थर्ड पार्टी क्लाइंट के तौर पर नियुक्त किए जाने वाले कर्मचारियों के वीजा के मान्य रहने का समय भी कम कर दिया गया है। ऐसे एच1बी वीजा वाले कर्मचारी अब ज्यादा से ज्यादा एक साल तक ही काम कर सकेंगे। पहले उन्हें तीन साल तक काम करने की इजाजत दी जाती थी।
अब स्पेशल टैलेंट वालों को मिलेगा मौका: व्हाइट हाउस
नए नियम जारी करने के बाद व्हाइट हाउस ने कहा- राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका के वर्क वीजा प्रोग्राम को सुधार रहे हैं। वीजा जारी करने में स्पेशल टैलेंट और हाई स्किल्ड वर्कर्स को प्राथमिकता दी जाएगी। कोरोना महामारी की वजह से देश की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ा है। नए नियमों से अमेरिकी लोगों की नौकरियां बचाने और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में मदद मिलेगी। राष्ट्रपति ट्रम्प जानते हैं एच1बी वीजा स्पेशल टैलेंट वाले लोगों के लिए है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत हो। अब तक इस प्रोग्राम का गलत इस्तेमाल हुआ। इसे एक सस्ते वीजा प्रोग्राम के तौर पर इस्तेमाल किया गया।
आईटी कंपनियों की कैसे बढ़ेगी मुश्किल?
एच1 बी वीजा के आधार पर विदेशी एम्पलाई रखने वाले कंपनियों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। उन्हें इमिग्रेशन एजेंसियों के सामने साबित करना होगा कि जिन कर्मचारियों की उन्हें जरूरत है, वे अमेरिका में नहीं हैं। अब अमेरिका में काम कर रही भारतीय आईटी कंपनियों को स्थानीय लोगों को काम पर रखने के लिए उन्हें ज्यादा रुपए देने होंगे। अगर भारतीय कर्मचारियों के लिए वीजा जारी करवाती हैं तो इसके लिए भी पहले से ज्यादा रकम देनी होगी।
यूएस एडमिनिस्ट्रेशन ने कई बार कहा है कि कई अमेरिकी और भारतीय आईटी कंपनियां सिर्फ कागजों पर विदेशी कर्मचारियों को एच-1 बी वीजा जारी करवाती हैं। इससे उन्हें टैक्स बचाने में मदद मिलती है। अब वे ऐसा नहीं कर सकेंगी।
हर साल औसतन 85,000 जारी होता है एच-1 वीजा
एच-1 बी वीजा पर नजर डालें तो अमेरिका 85,000 वीजा हर साल हाई स्किल्ड वर्कर्स को जारी करता है। यह वीजा 6 सालों के लिए रहता है। 2019 में 188,123 एच 1 वीजा जारी किया गया था। हालांकि इसमें रिन्युअल वाले भी वीजा थे। इसमें से भारतीयों के लिए 131,549 वीजा जारी किए गए थे। जबकि चाइनीज नागरिकों के लिए 28,483 वीजा जारी किए गए थे। इस साल मई 2020 में केवल 143 एच-1 वीजा जारी किए गए थे। जबकि 2019 के मई में 13,367 वीजा जारी किए गए थे।
पिछले साल 18,354 भारतीयों को जारी किया गया था एल 1 वीजा
एल1 वीजा की बात करें तो यह हाई लेवल और स्पेशलाइज्ड कंपनी कर्मचारियों के लिए जारी किया जाता है। यह सात सालों तक के लिए होता है। 2019 में 76,988 वीजा जारी किया गया था। इसमें से 18,354 वीजा भारतीयों के लिए जारी किए गए थे। ब्रिटेन के लिए 5,902 वीजा जारी किए गए थे। आयरलैंड के लिए 5,295 वीजा जारी किए गए थे।
क्या है एच-1बी वीजा?
एच-1 बी वीजा गैर-प्रवासी वीजा है। अमेरिकी कंपनियां इसके तहत दूसरे देशों के टेक्निकल एक्सपर्ट्स को नियुक्त करती हैं। नियुक्ति के बाद सरकार से इन लोगों के लिए एच-1बी वीजा मांगा जाता है। अमेरिका की ज्यादातर आईटी कंपनियां हर साल भारत और चीन जैसे देशों से लाखों कर्मचारियों की नियुक्ति इसी वीजा के जरिए करती हैं। नियम के अनुसार, अगर किसी एच-1बी वीजाधारक की कंपनी ने उसके साथ कांट्रैक्ट खत्म कर लिया है तो वीजा स्टेटस बनाए रखने के लिए उसे 60 दिनों के अंदर नई कंपनी में जॉब तलाशना होगा। यूएससीआईएस के मुताबिक, एच-1बी वीजा के सबसे बड़े लाभार्थी भारतीय ही हैं।