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- After Ram Vilas Paswan Death; LJP Party Leader Kali Pandey Joins Congress, Will Contest Bihar Assembly Elections 2020
पटना3 घंटे पहले
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रामविलास पासवान के साथ काली पांडे। (फाइल फोटो)
- रामविलास पासवान के खास लोगों में थे, कुचायकोट से कांग्रेस के सिंबल पर मैदान में उतरेंगे
- चिराग के एनडीए छोड़ने के फैसले का किया था विरोध, गोपालगंज से सांसद रह चुके हैं
अभी रामविलास पासवान की चिता की आग ठंडी भी नहीं हुई थी कि उनके सबसे करीबी नेता काली पांडे ने लोजपा का दामन छोड़ दिया। काली पांडे लगातार लोजपा से जुड़े रहे। वे रामविलास पासवान के खास लोगों में थे। काली पांडे ने चिराग पासवान का इस बात पर विरोध किया था कि वह एनडीए ना छोड़ें, लेकिन चिराग पासवान ने एनडीए से रिश्ता तोड़ दिया और बिहार में 143 सीटों पर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया। इस बात से काली पांडे काफी दुखी थे और उन्होंने लोजपा को छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया। अब काली पांडे कुचायकोट से कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव लड़ेंगे।
काली पांडे पर 1989 में अपने ही प्रतिद्वंद्वी नगीना राय पर बम से हमला करने का आरोप लगा था। काली पांडे ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत निर्दलीय के रूप में की थी। उन्होंने 1984 में गोपालगंज से लोकसभा का चुनाव लड़ा था और निर्दलीय चुनाव जीत गए थे। 2003 में काली पांडे रामविलास पासवान के लोजपा में शामिल हुए थे। तब से लेकर अब तक वो लोजपा के लिए काम करते रहे हैं।
सबसे बड़े बाहुबली माने जाते थे
कहा जाता है कि 1987 में आई रामोजी राव की फिल्म ‘प्रतिघात’ काली पांडे पर ही आधारित थी। नेताओं और अपराधियों की सांठगांठ पर आधारित इस फिल्म में काली प्रसाद का रोल चरण राज ने किया था। कुचायकोट, गोपालगंज लोकसभा क्षेत्र में आता है और काली पांडे गोपालगंज से लोकसभा सांसद भी रह चुके हैं। काली पांडे के दबदबे का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राज्य में आज जितने भी बाहुबली नजर आते हैं, उनके उदय से पहले काली पांडे ही उत्तर बिहार के सबसे बड़े बाहुबली माने जाते थे।