बड़हरा21 मिनट पहले
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- दुर्गटोला-फरहदा सड़क हुआ जर्जर, बाढ़ के पानी के दबाव के कारण धंसने लगी साईफन की दीवार
जानलेवा हो गयी है। इस सड़क पर वाहन चलना तो दूर पैदल चलना भी खतरे से खाली नही है। यह अचानक नही हुआ है। यह लम्बे समय से उपेक्षा का शिकार है। सड़क बनाने के नाम पर मार्च अप्रैल में जेसीबी से सड़क के उपरी परत को छिछोलकर नया निर्माण के नाम पर छोड़ दिया गया।
उसकी मरम्मति भी नही हुई। उसके बाद बरसात शुरु होते ही सड़क पर बने गढ़े पानी से लबालब भर गये है। ज्यादा फिसलन से आये दिन पैदल व बाईक सवार दुर्घटना का शिकार हो रहे है। आधा दर्जन से अधिक लोग बाईक समेत पानी भरे चाट में गीर चुके है।
डर के मारे लोग इस रास्ते को छोड़ दुर्गटोला से गजियापुर, सरैया से गुंडी, पैगा, सबलपुर के रास्ते फरहदा, शिवपुर, तुलसीछपरा, ज्ञानपुर व अन्य गांव की करीब 15 हजार से अधिक आबादी लम्बी दूरी तय कर सफर कर रहे है। जबकि बरसात के पूर्व इस सड़क से ट्रैक्टर, फोर ह्विलर, ट्रक, बस व अन्य वाहन आवागमन करते थे।
दूसरी ओर गंगा नदी के जलस्तर में वृद्धि होते ही नीचला क्षेत्र होने के कारण पानी का जमाव ज्यादा रहता है। दो दिन पूर्व शिवपुर गांव के सामने साईफन पुलिया का दिवाल गीरकर सबसे ज्यादा खतरा पैदा कर दिया है। जिसे लोग ऑटो व बाईक से चलने वाले डर से इस रास्ते चलना बंद कर दिया है।
सबसे परेशानी शिवपुर गांव की है। नजदिक का बाजार सरैया है। जहा लोगो को 9 किलोमीटर अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ रही है। यहा के सिधु सिंह व अन्य लोगो का कहना है कि 10 वर्ष पूर्व हमलोगो ने सड़क के जगह कीचड़ में पैदल चलकर आरा व सरैया जाते थे।
आज वही हाल है। उस वक्त तो सूबे बिहार की सड़को हालत मिलाजुलाकर एक जैसी थी। सरकार बदली सड़को का कायाकल्प बदला गाड़िया फराटेदार चलने लगी। लेकिन दुर्गटोला फरहदा सड़क की हालत बदतर हो गयी है। इमरजेंसी में क्षेत्र के लोग लाचार हो गये है।
यदि सड़क के उपरी परत जेसीबी से छिछोला नही गया होता तो यह सड़क पैदल चलने लायक तो जरुर होता। इलाके के सड़को का हाल ऐसा नही है। उस सड़क पर तेज रफ्तार से वाहने फराटे मार चल रही है। जबकि यहा के लोग पुराने जमाने की तरह हाथ से साईकिल, चप्पल, जूता टांगकर यात्रा कर रहे है। इसका जिम्मेवार कौन– सरकार या ठेकेदार?
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