Raghuvansh Babu revealed the truth of the Lalu family, after his demise tejaswi will face trouble in sitting Raghopur assembly seat | जाते-जाते लालू परिवार का सच खोल गए रघुवंश बाबू, राघोपुर सीट निकालने में अब तेजस्वी यादव को होगी परेशानी

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पटना41 मिनट पहले

तेजस्वी यादव और रघुवंश प्रसाद सिंह(दाएं), फाइल फोटो।

  • आशंका से चिंतित लालू ने जेल से लिखी था रघुवंश को जवाबी चिट्‌ठी- कहीं नहीं जा रहे आप
  • चिर-यात्रा पर निकलने के पहले संदेश लिख रघुवंश ने लालू परिवार पर की थी तल्ख टिप्पणी
  • फॉरवर्ड वोट कटकर मिलता था राजद को, जदयू के साथ रहते 22 हजार से जीते थे तेजस्वी

74 साल के जीवन में 50 साल से ज्यादा जमीनी राजनीति को देने वाले डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह को लालू प्रसाद यादव का ईमानदार दोस्त कहा जाता है। लालू प्रसाद पर कितने भी आरोप लगे, रघुवंश बेदाग भी रहे और लालू के साथ भी। लेकिन, जाने से पहले वह लालू परिवार का ‘सच’ खोलकर चले गए। जीवन के अंतिम 83 दिन ही वह लालू प्रसाद से दूर-दूर नजर आए। 23 जून को एम्स में भर्ती रहते ही उन्होंने लालू की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के उपाध्यक्ष और निधन से तीन दिन पहले उन्होंने राजद से इस्तीफा दिया।

रघुवंश ने खुद कभी सामने आकर तो तेजस्वी यादव के खिलाफ कुछ नहीं कहा, लेकिन लालू को भेजे इस्तीफे की चिट्‌ठी और फिर इसी संदर्भ में उनके लिखे संदेश से साफ था कि वह राजद में चल रहे परिवारवाद से परेशान थे। रघुवंश रहते और लालू के खिलाफ कुछ नहीं बोलते, तब भी तेजस्वी को परेशानी नहीं आती, लेकिन अंतिम समय में लालू परिवार के खिलाफ सामने आए उनके तेवर से लालू परिवार की परेशानी बढ़नी तय है। सबसे ज्यादा परेशानी तेजस्वी यादव को रघुवंश की छाप वाले राघोपुर सीट पर होगी, यह भी एक तरह से तय है।

20 साल के दुश्मन रामा सिंह की नहीं चाहते थे एंट्री

जिस तरह लालू-रघुवंश की दोस्ती पूरे बिहार में नामी रही, उसी तरह रघुवंश बाबू और रामा सिंह की दुश्मनी भी राजनीतिक हलके में चर्चित थी। 20 साल से दोनों एक-दूसरे के कट्‌टर विरोधी थे। वैशाली सीट पर रामा सिंह हमेशा उनके खिलाफ रहे। 1996 से लगातार 5 बार वैशाली सीट पर राजद का झंडा गाड़ने वाले रघुवंश सिंह का विजय रथ भी 2014 में लोजपा के रामा सिंह ने ही रोका था। उसके बाद 2019 में भी उनके खिलाफ ही रामा गोलबंदी में रहे, जबकि उनकी सीट पर लोजपा ने वीणा देवी को उतारा था।

20 साल की दुश्मनी और लगातार दो हार के कारण रघुवंश गुस्से में थे, जबकि लालू प्रसाद की अनुपस्थिति में 2019 के लोकसभा चुनाव और फिर 2020 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भी तेजस्वी यादव रामा सिंह को राजद में लाने के लिए प्रयासरत थे। इसी के गुस्से में रघुवंश ने पहले उपाध्यक्ष का पद छोड़ा और फिर पार्टी से इस्तीफा दिया।

अंतिम संदेश से तेजस्वी के लिए राघोपुर में मुश्किल कैसे बढ़ेगी

रघुवंश सिंह राजद के फॉरवर्ड फेस थे। पार्टी में शामिल ज्यादातर फॉरवर्ड चेहरे रघुवंश सिंह से सीधा वास्ता रखते थे। अंतिम समय में राजद में परिवारवाद के वर्चस्व को लेकर रघुवंश की टिप्पणी पार्टी के फॉरवर्ड नेताओं का मोहभंग कराए तो आश्चर्य नहीं होगा। इससे भी बड़ी मुसीबत तेजस्वी को राघोपुर विधानसभा सीट पर नजर आ रही है, जहां करीब 50 हजार राजपूत वोटरों के बंटवारे का फायदा उन्हें शायद ही मिल सके। यह सीट यादव बहुल है, लेकिन रघुवंश के कारण निर्णायक राजपूत वोट भी कटकर राजद में आ जाते थे। पिछली बार जदयू के साथ रहते हुए भी तेजस्वी करीब 22 हजार वोट से ही जीत सके थे।

रघुवंश के विजय रथ को रोका था रामा ने

  • 1996 में वृषिण पटेल को हराया
  • 1998 में वृषिण पटेल को हराया
  • 1999 में लवली आनंद को हराया
  • 2004 में विजय शुक्ला को हराया
  • 2009 में मुन्ना शुक्ला को हराया
  • 2014 में रामा सिंह से हार गए
  • 2019 में वीणा देवी से हार गए

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