न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Thu, 17 Sep 2020 11:42 AM IST
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संसद के मानसून सत्र के चौथे दिन राज्यसभा में गुरुवार को वैश्विक महामारी कोरोना वायरस को लेकर चर्चा हुई। सदन में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन पहले ही बयान दे चुके हैं। ऐसे में शिवसेना ने इसे लेकर सरकार पर तंज कसा है। शिवसेना सांसद संजय राउत ने पूछा कि क्या लोग भाभीजी के पापड़ खाकर ठीक हो रहे हैं? दरअसल, केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने जुलाई में एक वीडियो जारी किया था। इसमें उन्होंने बीकानेर में बने भाभीजी नाम के पापड़ का प्रचार करते हुए दावा किया था कि यह पापड़ कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव में कारगर साबित होगा।
क्या पापड़ खाकर ठीक हुए लोग
शिवसेना सांसद ने कहा, ‘मैं सदस्यों से पूछना चाहता हूं कि इतने लोग कैसे ठीक हुए? क्या लोग भाभीजी के पापड़ खा करके ठीक हो गए? यह राजनीतिक लड़ाई नहीं है बल्कि लोगों की जान बचाने की लड़ाई है।’
क्या चरखा चलाने से अंग्रेज चले गए थे: सुधांशु त्रिवेदी
शिवसेना के तंज पर भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, ‘कोरोना अब तक की सबसे बड़ी आपदा है। जैसे गांधी जी ने अंग्रेजों को भगाने के लिए चरखे को एक प्रतीक बनाया था। वैसे ही प्रधानमंत्री मोदी ने दीये को सामाजिक चेतना का प्रतीक बनाया है। कुछ लोग पूछ रहे हैं कि क्या ताली-थाली बजाने से कोरोना खत्म होगा तो मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि क्या लोग इतिहास भूल गए? क्या चरखा चलाने से अंग्रेज चले गए थे? चरखा एक प्रतीक था जिसे गांधी जी ने चुना था। ठीक इसी तरह ताली-थाली बजाना एक प्रतीक था जिसके जरिए कोरोना योद्धाओं का मनोबल बढ़ाने की कोशिश की गई।’
जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट का न हो निजीकरण
शिवसेना के संजय राउत ने शून्यकाल में जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (जेएनपीटी) के निजीकरण का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि नोटबंदी व कोविड-19 महामारी के कारण देश की आर्थिक व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है। हमारी जीडीपी और हमारा रिजर्व बैंक भी खस्ताहाल हो गया है।
उन्होंने कहा ‘यही वजह है कि आज रेलवे, एलआईसी, एयर इंडिया का निजीकरण किया जा रहा है। जेएनपीटी एक लाभकारी उपक्रम है और सरकार को 30 फीसदी से अधिक मुनाफा देता है। सरकार इसके निजीकरण पर विचार कर रही है। इसके निजीकरण का मतलब राष्ट्रीय संपत्ति को गहरा नुकसान होना है। युद्ध के दौरान नौसेना के बाद इस बंदरगाह ने साजोसामान की ढुलाई में भी अहम भूमिका निभाई है।’
उन्होंने कहा ‘इस पोर्ट ट्रस्ट के निजीकरण का मतलब है 7,000 एकड़ जमीन को निजी हाथों में दे देना। इससे बेरोजगारी भी बढ़ेगी क्योंकि निजीकरण होने पर सबसे पहले कामगारों की छंटनी होगी। यह एक महत्वपूर्ण बंदरगाह है और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से भी यह खास है।’
संसद के मानसून सत्र के चौथे दिन राज्यसभा में गुरुवार को वैश्विक महामारी कोरोना वायरस को लेकर चर्चा हुई। सदन में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन पहले ही बयान दे चुके हैं। ऐसे में शिवसेना ने इसे लेकर सरकार पर तंज कसा है। शिवसेना सांसद संजय राउत ने पूछा कि क्या लोग भाभीजी के पापड़ खाकर ठीक हो रहे हैं? दरअसल, केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने जुलाई में एक वीडियो जारी किया था। इसमें उन्होंने बीकानेर में बने भाभीजी नाम के पापड़ का प्रचार करते हुए दावा किया था कि यह पापड़ कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव में कारगर साबित होगा।
क्या पापड़ खाकर ठीक हुए लोग
शिवसेना सांसद ने कहा, ‘मैं सदस्यों से पूछना चाहता हूं कि इतने लोग कैसे ठीक हुए? क्या लोग भाभीजी के पापड़ खा करके ठीक हो गए? यह राजनीतिक लड़ाई नहीं है बल्कि लोगों की जान बचाने की लड़ाई है।’
क्या चरखा चलाने से अंग्रेज चले गए थे: सुधांशु त्रिवेदी
शिवसेना के तंज पर भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, ‘कोरोना अब तक की सबसे बड़ी आपदा है। जैसे गांधी जी ने अंग्रेजों को भगाने के लिए चरखे को एक प्रतीक बनाया था। वैसे ही प्रधानमंत्री मोदी ने दीये को सामाजिक चेतना का प्रतीक बनाया है। कुछ लोग पूछ रहे हैं कि क्या ताली-थाली बजाने से कोरोना खत्म होगा तो मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि क्या लोग इतिहास भूल गए? क्या चरखा चलाने से अंग्रेज चले गए थे? चरखा एक प्रतीक था जिसे गांधी जी ने चुना था। ठीक इसी तरह ताली-थाली बजाना एक प्रतीक था जिसके जरिए कोरोना योद्धाओं का मनोबल बढ़ाने की कोशिश की गई।’
जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट का न हो निजीकरण
शिवसेना के संजय राउत ने शून्यकाल में जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (जेएनपीटी) के निजीकरण का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि नोटबंदी व कोविड-19 महामारी के कारण देश की आर्थिक व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है। हमारी जीडीपी और हमारा रिजर्व बैंक भी खस्ताहाल हो गया है।
उन्होंने कहा ‘यही वजह है कि आज रेलवे, एलआईसी, एयर इंडिया का निजीकरण किया जा रहा है। जेएनपीटी एक लाभकारी उपक्रम है और सरकार को 30 फीसदी से अधिक मुनाफा देता है। सरकार इसके निजीकरण पर विचार कर रही है। इसके निजीकरण का मतलब राष्ट्रीय संपत्ति को गहरा नुकसान होना है। युद्ध के दौरान नौसेना के बाद इस बंदरगाह ने साजोसामान की ढुलाई में भी अहम भूमिका निभाई है।’
उन्होंने कहा ‘इस पोर्ट ट्रस्ट के निजीकरण का मतलब है 7,000 एकड़ जमीन को निजी हाथों में दे देना। इससे बेरोजगारी भी बढ़ेगी क्योंकि निजीकरण होने पर सबसे पहले कामगारों की छंटनी होगी। यह एक महत्वपूर्ण बंदरगाह है और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से भी यह खास है।’
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Thu Sep 17 , 2020
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