Bihar Election 2020 What Will Be The Role Of Prashant Kishor And Kanhaiya Kumar In Elections – Bihar Election 2020: नीतीश के खिलाफ ताल ठोकने वाले प्रशांत किशोर और कन्हैया कुमार की विधानसभा चुनाव में क्या होगी भूमिका?

बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान सितंबर महीने में ही होने की पूरी संभावना है। हालांकि, चुनाव की तारीखों की घोषणा में कुछ दिन बाकी हैं, लेकिन सभी राजनीतिक पार्टियां पूरे दमखम के साथ मैदान में उतर चुकी है। सत्ताधारी पार्टी जदयू कोरोना काल में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देजनर बीते चार माह से राज्य की जनता से सीधे संवाद कर रही है। इसके लिए दल ने अपने वरिष्ठ नेताओं, पार्टी पदाधिकारियों से लेकर पंचायत और बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं के जरिए जनता तक पहुंचने की न केवल रणनीति बनाई बल्कि इसे गंभीरता से जमीन पर भी उतारा है। 

वहीं, नेता प्रतिपक्ष और राजद के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव लगातार नीतीश सरकार पर हमला कर रहे हैं। कोरोना, बाढ़, बेरोजगारी और युवाओं से जुड़े मुद्दे पर लगातार नीतीश सरकार से सवाल पूछ रहे हैं। इसी बीच हम आपको बता रहे हैं बिहार की राजनीति में खासे चर्चा में रहने वाले युवा नेता कन्हैया कुमार और नीतीश कुमार के सिपहसलार रहे प्रशांत किशोर के बारे में।

कुछ दिन पहले तक बिहार में विधानसभा की सबसे हॉट सीटों में से एक बेगूसराय का बछवारा विधानसभा क्षेत्र से कन्हैया कुमार के चुनाव लड़ने की चर्चा हो रही थी। पिछले दिनों सोशल मीडिया पर यह भी चर्चा थी कि जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार बछवारा से अपनी उम्मीदवारी कर सकते हैं। लेकिन, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महागठबंधन में शामिल होने के बाद अब महागठबंधन में शामिल कांग्रेस से दिवंगत विधायक रामदेव राय के पुत्र शिव प्रकाश गरीबदास की उम्मीदवारी तय मानी जा रही है। ऐसे में अभी तक यह निश्चित नहीं हो पाया है कि कन्हैया कुमार विधानसभा चुनाव में किस सीट से चुनाव लड़ेंगे या चुनाव लड़ेंगे भी या नहीं।

2020 के शुरू में ही कन्हैया कुमार बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर खासे सक्रिय रहे और अक्सर बताते रहे कि चुनावी मुद्दा क्या होने वाला है। कन्हैया कुमार सीएए, एनपीआर और एनआरसी के विरोध में बिहार दौरे पर निकले थे और कई जगह उनको लोगों का विरोध भी झेलना पड़ा था। एक-दो जगह तो काफिले पर लोगों के हमले के बाद पुलिस को सुरक्षित निकालने के लिए मशक्कत करनी पड़ी थी।

वहीं, दूसरी ओर जेडीयू से निकाले जाने के बाद प्रशांत किशोर ने भी बिहार को विकास के रास्ते पर ले जाने की पूरजोर वकालत करते हुए पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद लगा था कि प्रशांत किशोर 2020 के विधानसभा चुनाव में प्रभावी भूमिका निभाएंगे, लेकिन मौजूदा दौरा में ऐसा कुछ नजर नहीं आ रहा है।

प्रशांत किशोर ने भी एक मुहिम शुरू की थी – ‘बात बिहार की’। मुहिम को लेकर लंबे चौड़े दावे भी किए थे, लेकिन कुछ दिन बाद ही सब ठंडा पड़ गया। वजह भी कोई ऐसी वैसी नहीं थी, कोरोना वायरस और लॉकडाउन के चलते दुनिया की बाकी चीजों की तरह परंपरागत राजनीति के तौर तरीके भी बदल गए। सोशल मीडिया और वर्चुअल कैंपेन का ही सहारा बचा जो सत्ता पक्ष के लिए तो ठीक रहा, लेकिन विपक्षी खेमा ज्यादा कुछ कर पाने में असमर्थ साबित होने लगा।

गौर किया जाए तो कोरोना लॉकाडउन का सबसे ज्यादा और बुरा असर अगर किसी पर पड़ा तो वे प्रवासी मजदूर हैं, लेकिन राजनीति के हिसाब से देखें तो प्रशांत किशोर और कन्हैया कुमार का हाल तो उनके जैसा भी नहीं लग रहा है। कम से कम बिहार की राजनीति के मामले में तो ऐसा ही है। प्रवासी मजदूरों के साथ एक बात तो है कि विधानसभा चुनाव में एक वोट बैंक के रूप में उनकी पूछ बनी रहेगी, लेकिन प्रशांत किशोर और कन्हैया कुमार तो आजकल किसी आवाज का हिस्सा नहीं लग रहे हैं।

प्रशांत किशोर और कन्हैया कुमार ने जिस तरह बिहार चुनाव को लेकर तत्परता दिखाई थी, फोर्ब्स मैगजीन ने दुनिया के टॉप-20 निर्णायक लोगों की एक सूची जारी की थी। सूची में कन्हैया कुमार और चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर को अगले दशक का निर्णायक चेहरा बताया गया था। सूची में कन्हैया कुमार ने 12वें स्थान पर जगह बनाई थी और प्रशांत किशोर 16वें पायदान पर थे।

कन्हैया कुमार ने 2019 में बेगूसराय लोकसभा सीट पर भाजपा के दिग्गज नेता गिरिराज सिंह को टक्कर दी थी। हालांकि वह चुनाव हार गए थे, लेकिन गिरिराज सिंह को जीत के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। 

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