labor reform, labor code, labor law, Closure of companies becomes easy firm with upto 300 employees can hire and fire without government nod | कंपनियों को बंद करना हुआ आसान, 300 तक कर्मचारी संख्या वाले फर्म को छंटनी करने के लिए नहीं लेनी होगी सरकार से अनुमति

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नई दिल्लीएक घंटा पहले

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इन सुधारों का मकसद कारोबारी सहूलियत बढ़ाकर देश में निवेश आकर्षित करना और रोजगार में बढ़ोतरी करना है

  • संसद में औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा और पेशेवर सुरक्षा से जुड़े तीन लेबर कोड पारित हुए
  • वेतन से संबंधित पहला कोड संसद ने पिछले साल ही पारित कर दिया था
  • चारो कोड पारित होने के साथ ही 29 केंद्रीय श्रम कानून 4 व्यापक कोड में समाहित हो गए

संसद ने बुधवार को तीन महत्वपूर्ण श्रम सुधार विधेयक पारित कर दिए। इससे कंपनियों को बंद करने की प्रक्रिया आसान हो गई और 300 कर्मचारी संख्या तक वाली कंपनियों को स्टाफ को नौकरी से निकालने के लिए सरकार से अनुमति लेने की जरूरत खत्म हो गई। अभी तक यह सुविधा सिर्फ 100 तक कर्मचारी संख्या वाली कंपनियों को ही मिली हुई थी। इन सुधारों का मकसद कारोबारी सहूलियत बढ़ाकर देश में निवेश आकर्षित करना और रोजगार में बढ़ोतरी करना है।

राज्यसभा ने ध्वनि मत से औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा और पेशेवर सुरक्षा (इंडस्ट्र्रियल रिलेशंस, सोशल सिक्योरिटी और ऑक्यूपेशनल सेफ्टी) से जुड़े तीन लेबर कोड को पारित कर दिया। वेतन (वेज) पर पहले कोड को संसद ने पिछले साल ही पारित कर दिया था। इसके साथ ही 29 केंद्रीय श्रम कानून 4 व्यापक कोड में समाहीत हो गए।

मंगलवार को लोकसभा में तीनों श्रम विधेयक हो गए थे पारित

सरकार ने कारोबारी सहूलियत बढ़ाने और श्रमिकों को यूनीवर्सल सोशल सिक्योरिटी देने के लिए 29 केंद्रीय श्रम कानूनों को 4 व्यापक कोड में समाहीत करने की योजना बनाई थी। लोकसभा ने मंगलवार को तीनों विधेयक पारित कर दिए थे। अब इन विधेयकों को राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर करने के लिए भेजा जाएगा। उनके हस्ताक्षर के साथ ही ये विधेयक कानून बन जाएंगे।

बायलेटरल नेटिंग ऑफ क्वालिफाइड फाइनेंशियल कंट्रैक्ट्स बिल भी संसद में पारित

संसद ने बायलेटरल नेटिंग ऑफ क्वालिफाइड फाइनेंशियल कंट्रैक्ट्स बिल पारित कर दिया। लोकसभा में रविवार को यह पारित हो चुका था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि विधेयक के कानून बनने से अब दो काउंटर पार्टीज के लिए बायलेटरल नेटिंग के लिए एक ठोस कानूनी आधार बन गया है। क्लियरिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के मुताबिक मार्च 2018 में बायलेटरल डेरिवेटिव्स कांट्रैक्ट्स का मूल्य अनुमानित 56,33,257 करोड़ रुपए था।

फाइनेंशियल कांट्रैक्ट्स में बायलेटरल कांट्रैक्ट्स का 40 फीसदी और मल्टीलेटरल कांट्रैक्ट्स का 60 फीसदी हिस्सा है

देश के कुल फाइनेंशियल कांट्रैक्ट्स में बायलेटरल कांट्रैक्ट्स का 40 फीसदी और मल्टीलेटरल कांट्रैक्ट्स का 60 फीसदी हिस्सा है। मंत्री ने कहा कि यदि यह कानून 2017 में होता तो बैंकों के पास कर्ज देने लायक 42,192 करोड़ रुपए और उपलब्ध होते। यदि यह कानून 2018 में होता तो बैंकों के पास 45,956 करोड़ रुपए होते। 2019 में बैंकों के पास 67,792 करोड़ रुपए और मार्च 2020 में 58,308 करोड़ रुपए होते। फाइनेंशियल मार्केट की स्थिरता के लिए यह एक आवश्यक कानून है।

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