न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटना
Updated Wed, 23 Sep 2020 11:09 PM IST
आईपीएस गुप्तेश्वर पांडेय
– फोटो : पीटीआई
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‘सिविल सेवा की कोचिंग नहीं की’
करीब आधे घंटे के अपने फेसबुक लाइव में उन्होंने अपनी पढ़ाई के बारे में बात की और बताया कि वह बिना कोचिंग कैसे आईपीएस अधिकारी बने। उन्होंने कहा कि मैंने सिविल सेवा की कोई कोचिंग नहीं की थी। पटना विश्वविद्यालय में तब 100 रुपये में कोचिंग होती थी, लेकिन मैंने कभी कोई कोचिंग नहीं की। मैं जिद्दी था, मुझमें हौसला था और दृढ़ इच्छा थी। इसी की वजह से मैं यहां तक पहुंच सका। उन्होंने कहा कि मेरा कोई सपोर्ट सिस्टम नहीं रहा है।
‘जनता से जुड़ना मेरे स्वभाव में है’
पांडेय ने कहा कि आईपीएस बनने के बाद मेरी पोस्टिंग चतरा में हुई, जो नक्सलियों का गढ़ हुआ करता था। इसके बाद बेगूसराय में मेरी पोस्टिंग हुई। मेरी पोस्टिंग के बाद वहां की स्थिति एकदम बदल गई थी, आपराधिक वारदातें रुक गई थीं। वहां मैंने 500 नौजवानों को संगठित किया था, जिन्होंने शांति व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग किया। उन्होंने कहा कि बेगूसराय में मेरी तैनाती के बाद 40 दुर्दांत अपराधियों का एनकाउंटर हुआ, जिसके बाद कईयों ने आत्मसमर्पण किया।
पूर्व डीजीपी ने कहा कि मैंने अपनी जिम्मेदारी से कभी मुंह नहीं मोड़ा, फिर मेरी तैनाती कहीं भी हुई हो। मैंने हमेशा कम्युनिटी पुलिसिंग के जरिए अपराध को खत्म करने का प्रयास किया। जहां जहां भी मैं एसपी रहा, जनता से जुड़ा रहा, यह मेरे स्वभाव में शामिल है। मैंने जनता दरबार में हमेशा लोगों से बात की। जिस दिन मैंने वीआरएस लिया उस दिन भी मैंने एक-एक आदमी से उसकी बात सुनी थी। मैं गरीब का बेटा हूं, यही मेरे काम करने का तरीका है, इसमें राजनीति है क्या।
‘जरूरत पड़ी तो राजनीति में आऊंगा’
गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा कि कई लोग मुझे और मेरे वीआरएस को सुशांत मामले से जोड़ रहे हैं। सुशांत बिहार का बेटा था और देश की शान था। सुशांत के पिता की एफआईआर के बाद हमने वही किया जो पुलिस अधिकारी होने के नाते मेरा दायित्व था। उन्होंने कहा कि कोई कुछ भी कहता रहे, अगर जरूरत पड़ी तो मैं राजनीति में जरूर आऊंगा। मैंने अभी किसी पार्टी से जुड़ने का एलान नहीं किया है। यह भी नहीं कहा है कि मैं चुनाव लड़ूंगा। लेकिन क्या एक गरीब किसान का बेटा चुनाव नहीं लड़ सकता है?