Pushpam Priya Choudhary Exclusive Interview With Amar Ujala On Bihar Assembly Election And Nitish Tejashwi – जब तक बिहार को नंबर वन न बना दूं, थकूंगी नहीं: पुष्पम प्रिया 

खुद को बिहार का सीएम उम्मीदवार घोषित करके सभी को चौंकाने वाली पुष्पम प्रिया दस साल में बिहार को बदलने की बात कहती हैं। उनका कहना है कि बिहार को यहां मौजूद सभी राजनेताओं से छुटकारा चाहिए।

‘अमर उजाला’ से खास बातचीत में पुष्पम प्रिया ने कहा, जो असली बिहारी हैं, वे बिहार को चलाएं। यहां कभी भी, कोई भी, किसी के साथ हो लेता है। सब एक ही हैं, सभी को पता है कि अगर एक शिक्षित मुख्यमंत्री बन गया तो ये फिर कभी वापस नहीं आ पाएंगे।

बदहाली के लिए यहां की राजनीति को जिम्मेदार मानते हुए पुष्पम कहती हैं, यहां कोई भी काम नहीं हुआ है, हर तरफ दिक्कतें हैं। संस्थागत ढांचा बहुत कमजोर है। मैं विदेश में रही हूं, वहां का लोकतंत्र देखा है, ऐसे नहीं चलता, जैसे यहां। यहां लोगों का महत्व नहीं है। सरकारी तंत्र ऐसे पेश आता है, जैसे वह हमारे लिए नहीं, हम उनके लिए काम करते हैं। यह तभी सुधरेगा जब सत्ता में बैठे मठाधीश हटेंगे।

लंदन से पढ़कर सीधे बिहार को बदलने के लिए मैदान में उतरीं पुष्पम अपनी प्लुरल्स पार्टी को बिहार का भविष्य मानती हैं। वह अपने साथ युवाओं और पढ़े-लिख वर्ग को जोड़ रही हैं। उनकी पार्टी से ऐसे ज्यादा जुड़ रहे हैं जिनका कोई राजनीतिक बैकग्राउंड नहीं है। पुष्पम प्रिया के परिवार का जदयू से जुड़ाव रहा है, लेकिन अलग पार्टी बनाकर राजनीति में कूदने पर कहती हैं, हमें यहां राजनीति के लिए नहीं आना था।

अगर राजनीति ही करनी होती तो चार-पांच साल में ब्रिटिश सिटिजनशिप लेने के बाद वहीं राजनीति करती। मुझे बिहार को बदलना है। वह कहती हैं कि परिवारवाद-भ्रष्ट सिस्टम के खिलाफ लड़ रही हूं, कोई पार्टी कैसे ज्वाइन कर लूं। राजनीति के टेढ़े-मेढ़े रास्तों पर थक कर न रुकने की बात कहते हुए पुष्पम प्रिया कहती हैं, मुझे तब तक थकावट नहीं होगी जब तक वो चीजें न कर दूं जो कहीं हैं। जब तक बिहार को नंबर वन न बना दूं।

बिहार की राजनीति में तीन युवा चेहरों तेजस्वी यादव, चिराग पासवान और पुष्पम प्रिया के मैदान में होने पर कहती हैं, कोई युवा नहीं है यहां पर। युवा वह होता है जो चीजों को अलग तरीके से देखे, जो क्रांतिकारी हो। बस कुर्ता-पायजामा पहन के पिताजी की राजनीति करना, यह युवा नहीं होता।

क्या बिहार की राजनीति में प्लुरल्स पार्टी, दिल्ली की तरह आम आदमी पार्टी बनकर निकलेगी, क्या प्लुरल्स को जनता का ‘आप’ की तरह साथ मिलेगा,  इस पर पुष्पम का जवाब है, दोनों पार्टियां एक जैसी नहीं हैं। प्लुरल्स को बहुत समस्याएं झेलनी पड़ रही हैं, जो आम आदमी पार्टी को नहीं झेलनी पड़ीं। ‘आप’ एक बहुत बड़े आंदोलन से निकली थी, लेकिन हमें बहुत परेशान किया जा रहा है। हमें जनसभा करने के लिए अनुमति में काफी दिक्कतें आ रही हैं। पुष्पम प्रिया को हाल ही में राजभवन ज्ञापन देने जाते समय हिरासत में ले लिया गया था।

बिहार में रोजगार, शिक्षा और विकास के मुद्दे हावी होने पर पुष्पम प्रिया कहती हैं, रोजगार की बात हमने करनी शुरू की, जात-पात की बात नहीं हो, यह भी हमने कहना शुरू किया था। सभी पार्टियां हमें ही कापी करने लगीं, अगर हमें ही कॉपी करना है तो हमें ही सरकार चलाने दीजिए। लोगों की समस्याओं को मैं उन्हें नहीं भूलने दूंगी। लोग जागरूक हैं और इन्हीं सारे मुद्दों पर वोट करेंगे। भारत की मौजूदा राजनीति में बदलाव की बात करते हुए पुष्पम प्रिया पार्टी पर हमलावर रही हैं। वह कहती हैं, राजनीतिक दलों ने 30 साल में बहुत पैसा और पावर इकट्ठा कर लिया। ये जो बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगते हैं वो आखिर कहां से लगते हैं, ये पैसे कहां से आते हैं, इन्हीं पैसों के बल पे वे चुनाव लड़ते हैं, और जीतते हैं।

 

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