Nda Can Benefit From The Split In Mahagathbandhan In Bihar Election – बिहार चुनाव: महागठबंधन में फूट से एनडीए को फायदे की उम्मीद

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली

Updated Sat, 26 Sep 2020 08:04 AM IST

नीतीश कुमार, नरेंद्र मोदी और चिराग पासवान
– फोटो : Amar Ujala

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चुनाव आयोग शुक्रवार को जब बिहार चुनाव की तारीखों  को घोषणा कर रहा था, तो राष्ट्रीय जनता दल कृषि कानूनों के खिलाफ बिहार बंद करा रहा था। बिहार से आई सूचनाओं के मुताबिक पटना को छोड़कर कहीं बंद सफल नहीं रहा।

इसे कोई संकेत माना जा सकता है, तो जाहिर है कि राजद का समर्थन बिहार में धीरे धीरे कम हो रहा है। यही वजह है कि चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा जदयू गठबंधन की स्थिति राजद के नेतृत्व वाले गठबंधन से बेहतर रहने की उम्मीद जता रही है।

जहां भाजपा, जदयू व लोजपा मजबूती से साथ खड़े हैं, वहीं दूसरी ओर विपक्षी दलों में मतभेद बार बार उभर कर बाहर आ रहे हैं। उपेंद्र कुशवाहा को रोलोसपा ने राजद के नेतृत्व में चुनाव लड़ने से इनकार करते हुए महागठबंधन का त्याग कर दिया। उनके एनडीए में शामिल होने की संभावना है । जीतन राम मांझी ने भी तेजस्वी यादव का नेतृत्व नामंजूर कर दिया है।

लोकसभा चुनाव में भी हुआ था सूपड़ा साफ

डेढ़ वर्ष पूर्व हुए लोकसभा चुनाव को कसौटी माना जाए तो भी राजद के नेतृत्व वाले गठबंधन का भविष्य सुनहरा नहीं दिख रहा। इन चुनाव में एनडीए के घटक दलों ने कुल मिलाकर 54.34 फीसदी वोट पाकर राज्य की 40 में से 39 लोकसभा सीटें जीतीं थीं। वहीं पार्टियों वाले विपक्षी गठबंधन ने 31.18 फीसदी का ही एक उम्मीदवार जीत पाया।

चुनाव आयोग शुक्रवार को जब बिहार चुनाव की तारीखों  को घोषणा कर रहा था, तो राष्ट्रीय जनता दल कृषि कानूनों के खिलाफ बिहार बंद करा रहा था। बिहार से आई सूचनाओं के मुताबिक पटना को छोड़कर कहीं बंद सफल नहीं रहा।

इसे कोई संकेत माना जा सकता है, तो जाहिर है कि राजद का समर्थन बिहार में धीरे धीरे कम हो रहा है। यही वजह है कि चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा जदयू गठबंधन की स्थिति राजद के नेतृत्व वाले गठबंधन से बेहतर रहने की उम्मीद जता रही है।

जहां भाजपा, जदयू व लोजपा मजबूती से साथ खड़े हैं, वहीं दूसरी ओर विपक्षी दलों में मतभेद बार बार उभर कर बाहर आ रहे हैं। उपेंद्र कुशवाहा को रोलोसपा ने राजद के नेतृत्व में चुनाव लड़ने से इनकार करते हुए महागठबंधन का त्याग कर दिया। उनके एनडीए में शामिल होने की संभावना है । जीतन राम मांझी ने भी तेजस्वी यादव का नेतृत्व नामंजूर कर दिया है।

लोकसभा चुनाव में भी हुआ था सूपड़ा साफ
डेढ़ वर्ष पूर्व हुए लोकसभा चुनाव को कसौटी माना जाए तो भी राजद के नेतृत्व वाले गठबंधन का भविष्य सुनहरा नहीं दिख रहा। इन चुनाव में एनडीए के घटक दलों ने कुल मिलाकर 54.34 फीसदी वोट पाकर राज्य की 40 में से 39 लोकसभा सीटें जीतीं थीं। वहीं पार्टियों वाले विपक्षी गठबंधन ने 31.18 फीसदी का ही एक उम्मीदवार जीत पाया।

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