When the interference of tigers returned to the forest, Bengal Tigers regained the traditional heritage | दखल घटा तो जंगल में लौटी बाघों की बादशाहत, बंगाल टाइगर्स ने फिर हासिल की पारंपरिक विरासत

  • 4 साल पुराने जिम कॉर्बेट पार्क में बाघों को मिल रही ज्यादा जगह, वर्चस्व का संघर्ष भी घटा
  • 822 वर्ग किमी क्षेत्र पर बंगाल टाइगर का कब्जा, बाघों की तादाद भी 215 से बढ़कर 260 हुई

एम. रियाज हाशमी

Jun 27, 2020, 06:24 AM IST

रामनगर. देश के सबसे पुराने जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में इन दिनों बाघों की स्वतंत्र बादशाहत है। लॉकडाउन में इंसानी दखल बंद है तो बंगाल टाइगर्स ने भी 12 वर्ग किमी के दायरे में अपनी विरासत को दोबारा हासिल कर लिया है। बाघों की तादाद भी 2014 के 215 से बढ़कर 260 हो गई है।

रामगंगा की घाटी में 1318.54 वर्ग किमी में फैले जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में 821.99 वर्ग किमी क्षेत्र बाघों के लिए आरक्षित है। 74 साल के इतिहास में पहली बार पार्क कोरोना के कारण 17 मार्च से 12 जून तक बंद रहा। अनलॉक वन में 8 जून से खोला गया, पर पर्यटक नहीं बढ़े, क्योंकि देश के 31 कोरोना प्रभावित शहरों के पर्यटकों के आने पर रोक है और मानसून के कारण ढिकाला और दुर्गादेवी जोन नहीं खोले गए।

बिजरानी, ढेला, झिरना और पांखरो जोन को भी डे-विजिट के लिए खोला गया

बिजरानी, ढेला, झिरना और पांखरो जोन को भी मात्र डे-विजिट के लिए खोला गया। हालांकि, हर साल बरसात में पर्यटकों के लिए इसे तीन महीने बंद कर दिया जाता है। वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर डॉ. विवेक बैनर्जी कहते हैं कि लॉकडाउन अवधि में रॉयल बंगाल टाइगर ने अपनी परंपरागत 12 वर्ग किमी में रहने की विरासत को हासिल किया है।

इसका एक बड़ा कारण निर्विघ्न वातावरण है और अगले तीन महीने इस क्रम में अत्यंत महत्वपूर्ण होंगे। भारतीय वन सेवा के वरिष्ठ अधिकारी सुनील चौधरी बताते हैं कि एक बाघ 12 स्क्वायर किमी के एरिया में रहता है, जिसमें तीन से चार बाघिन होती हैं। एरिया तंग होने से बाघों में आपसी वर्चस्व के लिए संघर्ष होने लगता है, लेकिन जीटीआर में लॉकडाउन अवधि में ऐसी कोई घटना नहीं हुई।

बाघ बढ़ने के बावजूद कोरोना के कारण बजट घटा
जिम कॉर्बेट में बाघों की तादाद बढ़ने के बावजूद बजट घटा दिया गया है। कोरोना के कारण सालाना बजट 17 करोड़ की जगह 14 करोड़ रु कर दिया है। इससे ट्रैप कैमरे, सुरक्षा उपकरण जैसे काम प्रभावित होंगे।

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