Nepal India Border Lipulekh | Kalapani-Lipulekh Border Dispute (India News): KP Sharma Oli Nepal Government Wants To Conduct Census In Limpiyadhura | नेपाल का प्लानिंग कमीशन लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा में जनगणना कराना चाहता है, दूसरे विभागों को भारत के विरोध का डर

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काठमांडूएक घंटा पहले

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लिपुलेख में भारत ने कई निर्माण कार्य किए हैं। नई सड़कें भी बनाई गई हैं। कुछ क्षेत्रों में काम चल रहा है। नेपाल इस क्षेत्र को अपने नक्शे में शामिल कर चुका है। (फाइल)

  • नेपाल में अगले साल 28 मई से जनगणना की तैयारियां चल रही हैं, देश में यह 12वीं जनगणना होगी
  • नेशनल प्लानिंग कमीशन और सेंट्रल ब्यूरो ऑफ स्टैटिसटिक्स तीन क्षेत्रों को लेकर परेशान

नेपाल में अगले साल 28 मई से 12वीं जनगणना शुरू करने की तैयारी है। इसके लिए सरकारी स्तर पर योजना भी तैयार कर ली गई है। जनगणना के साथ ही मकानों की गिनती भी की जाएगी। लेकिन, इसमें एक बड़ी दिक्कत सामने आ गई है। दरअसल, भारत और नेपाल के बीच तीन क्षेत्रों कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को लेकर विवाद चल रहा है। दोनों देश इन तीन इलाकों को अपना हिस्सा बताते हैं। नेपाल ने दो महीने पहले नया नक्शा जारी किया था। इसमें तीनों क्षेत्रों को अपना बताया गया था।

जनसंख्या में शामिल नेशनल प्लानिंग कमीशन इन क्षेत्रों में जनगणना कराना चाहता है। लेकिन, सेंट्रल ब्यूरो ऑफ स्टैटिसटिक्स को डर है कि इस कार्रवाई से भारत नाराज हो सकता है। यही डर नेपाल की केपी शर्मा ओली सरकार को भी सता रहा है।

दस साल में एक बार जनगणना
‘काठमांडू पोस्ट’ की रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाल में जनगणना के लिए 40 हजार कर्मचारी तैनात किए गए हैं। 9 हजार सुपरवाइजर्स होंगे। ये हर घर जाकर कुछ सवाल पूछेंगे, जो जनगणना का हिस्सा होंगे। परेशानी तीन क्षेत्रों को लेकर है। कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा भारत के कब्जे में हैं। नेपाल इन्हें न सिर्फ अपना हिस्सा बताता है, बल्कि नए नक्शे में भी इन्हें शामिल कर चुका है। भारत भी इन तीनों को अपना हिस्सा बताता है। यहां रोड और कई दूसरे कंस्ट्रक्शन भी किए गए हैं।

भारत मंजूरी नहीं देगा
नेपाल के कुछ सांसद और सर्वे डिपार्टमेंट के पूर्व अफसर मानते हैं कि तीनों इलाकों में जनगणना के लिए भारत मंजूरी नहीं देगा। और उसकी मंजूरी के बिना जनगणना संभव नहीं। दोनों देशों के बीच सीमा विवाद नवंबर में शुरू हुआ था। 20 मई को नेपाल ने नया नक्शा जारी किया। भारत ने इसे नामंजूर कर दिया।

नेपाली अफसर क्या कहते हैं
नेपाल के प्लानिंग कमिश्नर मिन बहादुर शाई ने कहा- कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा में जनगणना जरूर होगी। डोर टू डोर सर्वे के बारे में भी हम विचार कर रहे हैं। अगर सर्वे नहीं हो पाया तो दूसरे विकल्पों पर भी विचार किया जाएगा। खास बात ये है कि लिपुलेख में आखिरी बार जनगणना 60 साल पहले हुई थी। इस क्षेत्र में तीन गांव कुंजी, नावी और कुटी भी आते हैं। 1991 में यहां अनौपचारिक सर्वे नेपाल ने किया था। तब इन गांवों की जनसंख्या 723 और मकान 150 मिले थे।

इस बार आसान नहीं
प्लानिंग कमीशन के पूर्व डायरेक्टर जनरल बुद्धि नारायण श्रेष्ठ कहते हैं- 1991 में अनौपचारिक तौर पर हमने कुछ सर्वे कर लिया था। तब भी भारतीय सुरक्षा बलों ने हमारी टीम को कालापानी क्षेत्र में नहीं जाने दिया था। इस बार तो ये बेहद मुश्किल होगा। हमने चारुंग में चेक पोस्ट बनाया तो भारत नाराज हो गया। मुझे नहीं लगता कि इस बार हमारा कोई कर्मचारी वहां जा पाएगा।

भारतीय सेना सतर्क
रिपोर्ट के मुताबिक, चीन से तनाव के चलते लिपुलेख और कालापानी में भारतीय सेना के तगड़ी तैयारी की है। ऐसे में नेपाल भी कोई रिस्क नहीं लेना चाहेगा। भारत यहां स्कूलों में मुफ्त शिक्षा दे रहा है। स्टेट बैंक का ब्रान्च भी यहां है। धाराचूला से सांसद गणेश थागुना कहते हैं- अभी वहां जो हालात हैं, उनको देखते हुए वहां जनगणना होना नामुमकिन है। काठमांडू में बैठे लोग जैसा सोचते हैं, हालात वैसे नहीं हैं। नेपाल के एक अफसर कहते हैं- भारतीय रक्षा मंत्रालय की मंजूरी के बिना तीन क्षेत्रों में जाना संभव नहीं है। और भारत इसकी मंजूरी देगा नहीं।

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