SEBI relaxes rules to raise share capital for Reits and Invites | सेबी ने रीट्स और इनविट्स के लिए शेयर पूंजी जुटाने संबंधी नियमों में ढील दी

नई दिल्लीएक घंटा पहले

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बाजार नियामक ने महामारी के दौरान फंड रेजिंग को आसान बनाया, लिस्टेड रीट और इनविट्स के लिए अपने-अपने यूनिट्स के प्रेफरेंशियल और इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट संबंधी नियमों को किया सरल

  • दो इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट्स के बीच अनिवार्य टाइम गैप को 6 महीने से घटाकर सिर्फ 2 सप्ताह किया गया
  • 31 दिसंबर तक रीट्स और इनविट्स के प्रेफरेंशियल इश्यू के लिए यूनिट्स की प्राइसिंग में भी बदलाव किया गया

कोरोनावायरस महामारी को देखते हुए फंड जुटाने की प्रक्रिया आसान बनाने के लिए बाजार नियामक सेबी ने सोमवार को लिस्टेड रीट्स और इनविट्स के लिए अपने-अपने यूनिट्स के प्रेफरेंशियल और इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट संबंधी नियमों में कुछ ढील दे दी। रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (रीट) और इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (इनविट्स) अब इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट के जरिये शेयर पूंजी जुटाने के दो सप्ताह बाद फिर से इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट के जरिये पूंजी जुटा सकते हैं। इससे पहले दो इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट्स के बीच 6 महीने का अनिवार्य टाइम गैप था।

प्रेफरेंशियल आधार पर अलॉट की जाने वाली यूनिट्स तीन साल के लिए लॉक-इन हो जाएंगी

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने लगभग समान भाषा वाले दो अलग-अलग सर्कुलर में कहा कि कोरोनावायरस महामारी के कारण पैदा हुई परिस्थितियों को देखते लिस्टेड रीट्स और इनविट्स को शेयर पूंजी जुटाने के लिए शर्तों में कुछ ढील दी गई हैं। सर्कुलर की तिथि से लेकर 31 दिसंबर 2020 के बीच की अवधि में रीट्स और इनविट्स के प्रेफरेंशियल इश्यू के लिए यूनिट्स की प्राइसिंग में भी बदलाव किया गया है। रेगुलेटर द्वारा निर्धारित प्राइसिंग पद्धति से जो युनिट्स प्रेफरेंशियल आधार पर अलॉट की जाएंगी, वे तीन साल के लिए लॉक-इन हो जाएंगी।

स्पांसर के पास पहले से मौजूद और 3 साल के लिए लॉक्ड-इन यूनिट्स के आधार पर होगी लॉक-इन रिक्वायरमेंट की गणना

जिन यूनिटहोर्ल्डस को मंजूरी दी जाएगी, उन्हें सभी अलॉटमेंट एक प्राइसिंग पद्धति से किए जाएंगे। लॉक-इन की जरूरत की गणना के लिए रीट और इनविट रेगुलेशन के तहत स्पांसर के पास पहले से मौजूद और तीन साल के लिए लॉक-इन की गई यूनिट्स को ध्यान में रखा जाएगा। जो युनिट्स रीट और इनविट नियमों के तहत लॉक-इन हो चुके हैं और जो प्रेफरेंशियल इश्यू के समय लॉक-इन से मुक्त हो चुके हैं, उन पर नया लॉक-इन नहीं लगाया जाएगा, भले ही उनके आधार पर लॉक-इन रिक्वायरमेंट की गणना की जाएगी।

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