भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की याचिका को स्वीकार अथवा अस्वीकार करने पर अदालत बुधवार को निर्णय लेगी। इस दौरान याचिका दाखिल करने वाले अधिवक्ता अदालत में मौजूद रहेंगे।
13.37 एकड़ जमीन पर 1973 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और कमेटी ऑफ मैनेजमेंट ट्रस्ट शाही ईदगाह मस्जिद के बीच हुए समझौते और उसके बाद की गई डिक्री को रद्द करने संबंधी याचिका पर बुधवार को निर्णय होगा।
यदि अदालत याचिका को स्वीकार कर लेती है तो इस संबंध में सभी विपक्षियों को समन जारी कर अग्रिम न्यायिक प्रक्रिया प्रारंम्भ हो जाएगी। कोर्ट में सुनवाई से पहले सभी धार्मिक स्थलों की सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। एसपी सिटी उदय शंकर सिंह ने बताया कि न्यायालय की सुरक्षा व्यवस्था भी बढ़ा दी गई है।
बता दें कि 25 सितंबर को भगवान श्रीकृष्ण विराजमान ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि कटरा केशवदेव पर हक के लिए सखी अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री, प्रवेश कुमार, राजेश मनि त्रिपाठी, करुणेश कुमार शुक्ला, शिवाजी सिंह और त्रिपुरारी तिवारी के माध्यम से सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में याचिका दाखिल की।
उन्होंने अधिवक्ता हरीशंकर जैन, विष्णु शंकर और पंकज शर्मा के माध्यम से अदालत से 13.73 एकड़ जमीन पर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और कमेटी ऑफ मैनेजमेंट ट्रस्ट शाही ईदगाह मस्जिद के बीच 1973 से पूर्व के समझौते और 1973 में हुई डिक्री रद्द करने की मांग की है।
सीनियर सिविल जज के अवकाश पर रहने के कारण सोमवार को लिंक कोर्ट एडीजे-2 पॉस्को कोर्ट की न्यायिक अधिकारी छाया शर्मा ने याचिका पर सुनवाई के लिए 30 सितंबर की तिथि निश्चित की है।
कई धार्मिक संस्थाएं भी कर सकती हैं याचिका दाखिल
जन्मभूमि को लेकर कोर्ट में दाखिल भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की याचिका बुधवार को सिविल कोर्ट में मंजूर हो जाती है तो मथुरा ही नहीं देेश में इसका असर देखा जाएगा। अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मामले के बाद मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर भगवान श्रीकृष्ण विराजमान द्वारा याचिका दायर करने का यह दूसरा मामला है। इस मुद्दे से काफी लोग जुड़े हुए हैं और संभव है कि कई धार्मिक संस्थाएं इस तरह की याचिका दाखिल कर सकती हैं।
एडीजीसी भगत सिंह आर्य ने बताया कि इस प्रकार के दावों के बाद में और भी लोग अपना दावा प्रस्तुत कर सकते हैं। लेकिन यह तब हो सकता है जब जिस परिस्थिति में दावा दाखिल किया गया है, उसी परिस्थिति में अदालत द्वारा स्वीकार किया जाए।
अयोध्या प्रकरण में रामलला विराजमान की याचिका ने अपना लक्ष्य प्राप्त किया। जिन लोगों ने भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की याचिका दाखिल की है। वे लोग अयोध्या प्रकरण से भी लंबे समय से जुड़े रहे हैं। शुक्रवार को दाखिल की गई याचिका की जानकारी मिलते ही अन्य लोग अदालत में दावा दाखिल करने की तैयारी में हैं। हालांकि यह दावा भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की याचिका मंजूर होने के बाद ही किया जा सकेगा।
मथुरा नगरी एक ऐसी नगरी है जहां के कण कण में गोपाल का वास है। इए लिए भगवान कृष्ण के प्राचीन स्थल पर मंदिर का भव्य निर्माण होना चाहिए। जिन लोगों ने इस स्थल को खाली कराने के लिए कोर्ट की शरण ली है, वह धन्यवाद के पात्र हैं। – विपिन स्वामी, विश्व सनतान धर्म रक्षक दल के संस्थापक, संरक्षक।
मथुरा प्रेम की एक ऐसी नगरी है, जहां हिंदू और मुसलमान वर्षों से आपस में भाईचारे के साथ रहते आए हैं। कृष्ण जन्माष्टमी और दीवाली का पर्व हम सभी मिलकर मनाते हैं। यहां न कभी कोई विवाद हुआ है और न होने की उम्मीद है। – मोहम्मद शाहिद कमरे वाले, राष्ट्रीय कार्यसमित सदस्य, आल इंडिया जमीअतुल कुरैश, मथुरा।
शाही मस्जिद ईदगाह का मसला हिंदुस्तान के मुसलमानों का मामला है। 1991 के एक्ट के तहत जब यह बात तय हो चुकी है कि इबादतगाहों में कोई तब्दीली नहीं होगी तो कोर्ट में याचिका क्यों दायर की गई? हम सरकार से गुजारिश करते हैं कि इस तरह के मसले उठाने वालों पर सख्ती की जाए। आज दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है और कारोबारी हालात से भी लोग बेहद परेशान हैं। – मौलाना मोहम्मद बरकतुल्लाह कादरी, काजी-ए-शहर, मथुरा।
सार
13.37 एकड़ जमीन पर 1973 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और कमेटी ऑफ मैनेजमेंट ट्रस्ट शाही ईदगाह मस्जिद के बीच हुए समझौते और उसके बाद की गई डिक्री को रद्द करने संबंधी याचिका पर बुधवार को निर्णय होगा।
विस्तार
भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की याचिका को स्वीकार अथवा अस्वीकार करने पर अदालत बुधवार को निर्णय लेगी। इस दौरान याचिका दाखिल करने वाले अधिवक्ता अदालत में मौजूद रहेंगे।
13.37 एकड़ जमीन पर 1973 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और कमेटी ऑफ मैनेजमेंट ट्रस्ट शाही ईदगाह मस्जिद के बीच हुए समझौते और उसके बाद की गई डिक्री को रद्द करने संबंधी याचिका पर बुधवार को निर्णय होगा।
यदि अदालत याचिका को स्वीकार कर लेती है तो इस संबंध में सभी विपक्षियों को समन जारी कर अग्रिम न्यायिक प्रक्रिया प्रारंम्भ हो जाएगी। कोर्ट में सुनवाई से पहले सभी धार्मिक स्थलों की सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। एसपी सिटी उदय शंकर सिंह ने बताया कि न्यायालय की सुरक्षा व्यवस्था भी बढ़ा दी गई है।
बता दें कि 25 सितंबर को भगवान श्रीकृष्ण विराजमान ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि कटरा केशवदेव पर हक के लिए सखी अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री, प्रवेश कुमार, राजेश मनि त्रिपाठी, करुणेश कुमार शुक्ला, शिवाजी सिंह और त्रिपुरारी तिवारी के माध्यम से सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में याचिका दाखिल की।
उन्होंने अधिवक्ता हरीशंकर जैन, विष्णु शंकर और पंकज शर्मा के माध्यम से अदालत से 13.73 एकड़ जमीन पर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और कमेटी ऑफ मैनेजमेंट ट्रस्ट शाही ईदगाह मस्जिद के बीच 1973 से पूर्व के समझौते और 1973 में हुई डिक्री रद्द करने की मांग की है।
सीनियर सिविल जज के अवकाश पर रहने के कारण सोमवार को लिंक कोर्ट एडीजे-2 पॉस्को कोर्ट की न्यायिक अधिकारी छाया शर्मा ने याचिका पर सुनवाई के लिए 30 सितंबर की तिथि निश्चित की है।
कई धार्मिक संस्थाएं भी कर सकती हैं याचिका दाखिल
जन्मभूमि को लेकर कोर्ट में दाखिल भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की याचिका बुधवार को सिविल कोर्ट में मंजूर हो जाती है तो मथुरा ही नहीं देेश में इसका असर देखा जाएगा। अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मामले के बाद मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर भगवान श्रीकृष्ण विराजमान द्वारा याचिका दायर करने का यह दूसरा मामला है। इस मुद्दे से काफी लोग जुड़े हुए हैं और संभव है कि कई धार्मिक संस्थाएं इस तरह की याचिका दाखिल कर सकती हैं।
एडीजीसी भगत सिंह आर्य ने बताया कि इस प्रकार के दावों के बाद में और भी लोग अपना दावा प्रस्तुत कर सकते हैं। लेकिन यह तब हो सकता है जब जिस परिस्थिति में दावा दाखिल किया गया है, उसी परिस्थिति में अदालत द्वारा स्वीकार किया जाए।
अयोध्या प्रकरण में रामलला विराजमान की याचिका ने अपना लक्ष्य प्राप्त किया। जिन लोगों ने भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की याचिका दाखिल की है। वे लोग अयोध्या प्रकरण से भी लंबे समय से जुड़े रहे हैं। शुक्रवार को दाखिल की गई याचिका की जानकारी मिलते ही अन्य लोग अदालत में दावा दाखिल करने की तैयारी में हैं। हालांकि यह दावा भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की याचिका मंजूर होने के बाद ही किया जा सकेगा।
मथुरा नगरी एक ऐसी नगरी है जहां के कण कण में गोपाल का वास है। इए लिए भगवान कृष्ण के प्राचीन स्थल पर मंदिर का भव्य निर्माण होना चाहिए। जिन लोगों ने इस स्थल को खाली कराने के लिए कोर्ट की शरण ली है, वह धन्यवाद के पात्र हैं।
– विपिन स्वामी, विश्व सनतान धर्म रक्षक दल के संस्थापक, संरक्षक।
मथुरा प्रेम की एक ऐसी नगरी है, जहां हिंदू और मुसलमान वर्षों से आपस में भाईचारे के साथ रहते आए हैं। कृष्ण जन्माष्टमी और दीवाली का पर्व हम सभी मिलकर मनाते हैं। यहां न कभी कोई विवाद हुआ है और न होने की उम्मीद है। – मोहम्मद शाहिद कमरे वाले, राष्ट्रीय कार्यसमित सदस्य, आल इंडिया जमीअतुल कुरैश, मथुरा।
शाही मस्जिद ईदगाह का मसला हिंदुस्तान के मुसलमानों का मामला है। 1991 के एक्ट के तहत जब यह बात तय हो चुकी है कि इबादतगाहों में कोई तब्दीली नहीं होगी तो कोर्ट में याचिका क्यों दायर की गई? हम सरकार से गुजारिश करते हैं कि इस तरह के मसले उठाने वालों पर सख्ती की जाए। आज दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है और कारोबारी हालात से भी लोग बेहद परेशान हैं। – मौलाना मोहम्मद बरकतुल्लाह कादरी, काजी-ए-शहर, मथुरा।