Sharad Pawar Attacks Rahul Gandhi For His Remarks Against Modi Sarkar On India China Tension – लद्दाख विवादः शरद पवार ने राहुल को दिलाई अतीत की याद, कहा- भूल नहीं सकते 1962 में क्या हुआ था

राहुल गांधी-शरद पवार (फाइल फोटो)
– फोटो : PTI

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गलवां घाटी में चीन के साथ तनाव को लेकर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी लगातार केंद्र सरकार पर हमला बोल रहे हैं। पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिकों की घुसपैठ को लेकर राहुल ने शुक्रवार को भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बारे में सच बोलें और अपनी जमीन वापस लेने के लिए कार्रवाई करें। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष के बयान पर उनके सहयोगी दल एनसीपी के प्रमुख शरद पवार ने उन्हें अतीत की याद दिलाई है।

राहुल के बयानों पर शरद पवार ने कहा, ‘हम नहीं भूल सकते कि 1962 में क्या हुआ था। चीन ने हमारी 45 हजार स्क्वेयर किमी जमीन पर कब्जा कर लिया था। वर्तमान में मुझे नहीं पता कि चीन ने जमीन ली है या नहीं, मगर इस पर बात करते वक्त हमें इतिहास याद रखना चाहिए। राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर राजनीति नहीं करनी चाहिए।’

पवार ने यह भी कहा कि लद्दाख में गलवां घाटी की घटना को रक्षा मंत्री की नाकामी बताने में जल्दबाजी नहीं की जा सकती, क्योंकि गश्त के दौरान भारतीय सैनिक चौकन्ने थे। पत्रकारों से बातचीत में पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह पूरा प्रकरण ‘संवेदनशील’ प्रकृति का है। गलवां घाटी में चीन ने उकसावे वाला रुख अपनाया। 

गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में 15 जून को चीन के साथ हिंसक झड़प में भारत के 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए। पूर्व रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत संचार उद्देश्यों के लिए अपने क्षेत्र के भीतर गलवान घाटी में एक सड़क बना रहा था। 

दिल्ली में बैठे रक्षा मंत्री की नाकामी नहीं कह सकते

पवार ने कहा, ‘उन्होंने (चीनी सैनिकों ने) हमारी सड़क पर अतिक्रमण करने की कोशिश की और धक्कामुक्की की। यह किसी की नाकामी नहीं है। अगर गश्त करने के दौरान कोई (आपके क्षेत्र में) आता है, तो वे किसी भी समय आ सकते हैं। हम यह नहीं कह सकते कि यह दिल्ली में बैठे रक्षा मंत्री की नाकामी है।’

उन्होंने कहा, ‘वहां गश्त चल रही थी। झड़प हुई इसका मतलब है कि आप चौकन्ना थे। अगर आप वहां नहीं होते तो आपको पता भी नहीं चलता कि कब वे (चीनी सैनिक) आए और गए। इसलिए मुझे नहीं लगता कि इस समय ऐसा आरोप लगाना सही है।’ राहुल गांधी द्वारा लगाए एक आरोप पर जवाब देते हुए पवार ने कहा कि यह कोई नहीं भूल सकता कि दोनों देशों के बीच 1962 के युद्ध के बाद चीन ने भारत की करीब 45,000 वर्ग किलोमीटर की जमीन पर कब्जा कर लिया था। 

उन्होंने कहा, ‘यह जमीन अब भी चीन के पास है। मुझे नहीं मालूम कि क्या उन्होंने (चीन) अब फिर से कुछ क्षेत्र पर अतिक्रमण कर लिया। लेकिन जब मैं आरोप लगाता हूं तो मुझे यह भी देखना चाहिए कि जब मैं सत्ता में था तो क्या हुआ था। अगर इतनी बड़ी जमीन अधिग्रहीत की जाती है तो इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है और मुझे लगता है कि इसका राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए।’

महाराष्ट्र में शरद पवार की पार्टी एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना के साथ मिलकर सरकार चला रही है। बीच-बीच में इस गठबंधन को लेकर आपसी मनमुटाव की खबरें आती रहती हैं।

गलवां घाटी में चीन के साथ तनाव को लेकर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी लगातार केंद्र सरकार पर हमला बोल रहे हैं। पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिकों की घुसपैठ को लेकर राहुल ने शुक्रवार को भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बारे में सच बोलें और अपनी जमीन वापस लेने के लिए कार्रवाई करें। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष के बयान पर उनके सहयोगी दल एनसीपी के प्रमुख शरद पवार ने उन्हें अतीत की याद दिलाई है।

राहुल के बयानों पर शरद पवार ने कहा, ‘हम नहीं भूल सकते कि 1962 में क्या हुआ था। चीन ने हमारी 45 हजार स्क्वेयर किमी जमीन पर कब्जा कर लिया था। वर्तमान में मुझे नहीं पता कि चीन ने जमीन ली है या नहीं, मगर इस पर बात करते वक्त हमें इतिहास याद रखना चाहिए। राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर राजनीति नहीं करनी चाहिए।’

पवार ने यह भी कहा कि लद्दाख में गलवां घाटी की घटना को रक्षा मंत्री की नाकामी बताने में जल्दबाजी नहीं की जा सकती, क्योंकि गश्त के दौरान भारतीय सैनिक चौकन्ने थे। पत्रकारों से बातचीत में पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह पूरा प्रकरण ‘संवेदनशील’ प्रकृति का है। गलवां घाटी में चीन ने उकसावे वाला रुख अपनाया। 

गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में 15 जून को चीन के साथ हिंसक झड़प में भारत के 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए। पूर्व रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत संचार उद्देश्यों के लिए अपने क्षेत्र के भीतर गलवान घाटी में एक सड़क बना रहा था। 

दिल्ली में बैठे रक्षा मंत्री की नाकामी नहीं कह सकते

पवार ने कहा, ‘उन्होंने (चीनी सैनिकों ने) हमारी सड़क पर अतिक्रमण करने की कोशिश की और धक्कामुक्की की। यह किसी की नाकामी नहीं है। अगर गश्त करने के दौरान कोई (आपके क्षेत्र में) आता है, तो वे किसी भी समय आ सकते हैं। हम यह नहीं कह सकते कि यह दिल्ली में बैठे रक्षा मंत्री की नाकामी है।’

उन्होंने कहा, ‘वहां गश्त चल रही थी। झड़प हुई इसका मतलब है कि आप चौकन्ना थे। अगर आप वहां नहीं होते तो आपको पता भी नहीं चलता कि कब वे (चीनी सैनिक) आए और गए। इसलिए मुझे नहीं लगता कि इस समय ऐसा आरोप लगाना सही है।’ राहुल गांधी द्वारा लगाए एक आरोप पर जवाब देते हुए पवार ने कहा कि यह कोई नहीं भूल सकता कि दोनों देशों के बीच 1962 के युद्ध के बाद चीन ने भारत की करीब 45,000 वर्ग किलोमीटर की जमीन पर कब्जा कर लिया था। 


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जमीन अब भी चीन के पास



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