United States Federal Court Restrains Ban On Donald Trump By H-1b – डोनाल्ड ट्रंप द्वारा एच-1बी पर लगाए गए प्रतिबंध को अमेरिका की संघीय अदालत ने रोका

हजारों भारतीय आईटी पेशेवरों को एक बड़ी राहत देते हुए अमेरिका में एक संघीय जज ने ट्रंप प्रशासन द्वारा एच-1बी वीजा पर लगाए गए अस्थायी प्रतिबंधों को रोक दिया है। अदालत ने जून में जारी किए गए एच-1बी वीजा प्रतिबंध के प्रवर्तन को यह कहते हुए रोका कि राष्ट्रपति ने अपने संवैधानिक अधिकार को पार कर लिया है।

यह आदेश कैलिफोर्निया के उत्तरी जिले के जिला न्यायाधीश जेफरी व्हाइट द्वारा जारी किया गया। यह आदेश उन संगठनों पर लागू होता है जिन्होंने अमेरिकी वाणिज्य तथा गृह सुरक्षा मंत्रालय के खिलाफ मुकदमा दायर किया था। इनमें अमेरिकी चैंबस ऑफ कॉमर्स, नेशनल एसोसिएशन ऑफ मैन्युफैक्चरर्स, नेशनल रिटेल फेडरेशन, टैकनेट और इंट्रा एंड इंक शामिल हैं।

बताया गया कि सत्तारूढ़ प्रतिबंधों की एक ऐसी श्रृंखला पर संघीय जज ने तत्काल रोक लगाई है जो कंपनियों व निर्माताओं को आर्थिक सुधार, विकास और नवाचार का समर्थन करने के लिए अहम नौकरियों को भरने से रोकती है। बता दें कि जून में, ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश जारी करके नए एच-1बी और एच-2बी, जे और एल वीजा समेत अन्य विदेशी वीजा जारी करने पर अस्थायी रोक लगा दी थी। ट्रंप ने इस आदेश के पीछे घरेलू नौकरियां बचाने की जरूरत बताई थी।

कई संगठनों ने जताया था विरोध

एच-1बी वीजा पर अमेरिकी सरकार के फैसले पर गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने निराशा जाहिर की थी। उन्होंने कहा था- प्रवासियों ने अमेरिका को आर्थिक तौर पर मजबूत बनाने में मदद की, देश को तकनीक में अव्वल बनाया। इन्हीं लोगों की वजह से गूगल इस जगह पहुंचा। हम इन लोगों को समर्थन करते रहेंगे। टेस्ला के सीईओ एलन मस्क और माइक्रोसॉफ्ट के अध्यक्ष ब्रेड स्मिथ ने भी ट्रंप के फैसले का विरोध किया था।

भारतीयों की 70 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी

मौजूदा लॉटरी सिस्टम के जरिए सालाना 85 हजार नए एच-1बी वीजा जारी किए जाते हैं। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, पिछले 5 साल में जारी किए एच-1बी वीजा में 70 फीसदी से ज्यादा भारतीयों को मिले हैं। 2015 में भारतवंशियों की संख्या 10 लाख का आंकड़ा पार कर चुकी है। 

वीजा प्रणाली में बदलाव के लिए विधेयक पेश

विधेयक में विविधता वीजा लॉटरी कार्यक्रम खत्म करने का भी प्रावधान

प्रभावशाली अमेरिकी सांसद एमओ ब्रूक्स ने एच-1बी वीजा प्रणाली में बदलाव और घरेलू कामगारों को नौकरी से निकालने से रोकने के लिए प्रतिनिधि सभा में एक विधेयक पेश किया। अमेरिकियों को पहले रोजगार संबंधी इस विधेयक में प्रावधान है कि यदि नियोक्ताओं ने हाल ही में अपने अमेरिकी कर्मचारियों को छुट्टी पर भेजा है या इसकी योजना बनाई है तो उन्हें एच-1बी वीजा धारक विदेशियों की नियुक्ति की अनुमति होगी।

विधेयक में विविधता वीजा लॉटरी कार्यक्रम खत्म करने को भी कहा गया है , जो योग्यता से परे दुनिया के 50 हजार लोगों को ग्रीन कार्ड जारी कर अमेरिकी हित पूरे करने में नाकाम हुआ है।

अमेरिकी कामगारों से ज्यादा भुगतान का प्रावधान

कांग्रेस सदस्य ब्रूक्स द्वारा पेश विधेयक में नियोक्ता को एच-1बी वीजा धारक को अमेरिकी कामगारों से अधिक भुगतान करने का प्रावधान भी है ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि बहुत जरूरी होने पर ही विदेशी कामगार की नियुक्ति हो। विधेयक में एफ-1 ओपीटी कार्यक्रम (ऐच्छिक प्रायोगिक प्रशिक्षण) भी स्थगित करने का प्रावधान है जिसके तहत सभी विदेशी विद्यार्थियों को अवधि बढ़ने योग्य कार्य परमिट मिलता है। इसके चलते अमेरिकी स्नातकों के बीच रोजगार बाजार में प्रतिस्पर्द्धा बढ़ती है। 

सस्ते विदेशी कामगार देश में आने से रुकेंगे

ब्रूक्स ने कहा, इस विधेयक से अमेरिकी कामगारों को अपने ही देश में नुकसान नहीं होगा। उन्होंने कहा, यह सस्ते विदेशी कामगारों को देश में आने से रोकेगा क्योंकि विधेयक के तहत एच-1बी वीजा पर नियोक्ता को विदेशी कर्मचारी को कम से कम 1,10,000 डॉलर का भुगतान करना होगा।

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