Americans must take Trump’s threat seriously | ट्रम्प बोल चुके हैं या तो उन्हें दोबारा चुना जाए या फिर वे यह मतदान अवैध घोषित कर देंगे; अमेरिकियों को ट्रम्प की धमकी को गंभीरता से लेना होगा

एक घंटा पहले

  • कॉपी लिंक

थाॅमस एल. फ्रीडमैन, तीन बार पुलित्ज़र अवॉर्ड विजेता एवं ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ में नियमित स्तंभकार। -फाइल फोटो

ट्रम्प ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अमेरिकियों के पास केवल दो विकल्प हैं और जिनमें जो बाइडेन को चुनना शामिल नहीं है। राष्ट्रपति हजारों तरीकों से बता चुके हैं कि या तो उन्हें दोबारा चुना जाए या फिर वे यह दावा कर मतदान अवैध घोषित कर देंगे कि डाक से मत अमान्य हैं। ट्रम्प की मंशा स्पष्ट है।

अगर वे इलेक्टोरल कॉलेज में नहीं जीते तो वे नतीजों को खराब कर देंगे, ताकि नतीजे केवल सुप्रीम कोर्ट या हाउस ऑफ रिप्रिजेंटेटिव्स ही तय कर सकें। ट्रम्प को दोनों ही जगह अभी बढ़त हासिल है। मैं यह और अधिक स्पष्टता से नहीं कह सकता कि अमेरिकी लोकतंत्र खतरे में है। इससे पहले ऐसा खतरा कभी नहीं था।

मैंने अपने कॅरिअर की शुरुआत लेबनान का दूसरा गृहयुद्ध कवर करते हुए की थी और उसका मुझपर काफी असर हुआ। मैंने देखा कि तब क्या होता है, जब एक देश में सबकुछ राजनीति हो जाए, जब बड़ी संख्या में राजनेता देश से पहले पार्टी को रखने लगें, जब जिम्मेदारों को लगने लगता है कि वे नियम तोड़-मरोड़ सकते हैं और इससे व्यवस्था नहीं टूटेगी। लेकिन जब अतिवादी बढ़ते हैं और नरमपंथी चले जाते हैं, तब व्यवस्था टूट सकती है। मैंने ऐसा होते देखा है। मैं इस बात को लेकर चिंतित हूं कि कहीं ऐसा अमेरिका में भी न हो जाए। मुझे चिंता है क्योंकि फेसबुक और ट्विटर हमारे लोकतंत्र के दो स्तंभों, सत्य और विश्वास को नष्ट कर रहे हैं। सोशल नेटवर्क ने उन्हें आवाज दी, जिन्हें कोई नहीं सुन रहा था।

यह अच्छा है लेकिन ये प्लेटफॉर्म साजिश के सिद्धांतों की गर्त भी बन गए हैं, जिनपर बड़ी संख्या में लोग विश्वास कर रहे हैं और उन्हें फैला रहे हैं। ये सोशल नेटवर्क अमेरिका की झूठ और सच में अंतर करने की समझ को खत्म कर रहे हैं।

तथ्यों के आधार पर फैसला लिए बिना हमारी बड़ी चुनौतियों का समाधान नहीं हो सकता और बिना इस विश्वास के, कि दोनों पक्ष लोकहित चाहते हैं, कुछ भी बड़ा हासिल करना असंभव है।

हीब्रू विश्वविद्यालय के धार्मिक दार्शनिक मोशे हालबर्तल कहते हैं, ‘राजनीति में मूल्यों, तथ्यों और ऐसे नेताओं की जरूरत है जो इस बात का सम्मान करते हैं कि ऐसे फैसले लेना जरूरी है जो राजनीतिक बढ़त के लिए नहीं, बल्कि लोकहित के लिए हों।’

वे कहते हैं कि जब जनता को लगता है कि लोकहित होता ही नहीं है और सब सिर्फ राजनीति है, तो उनका विश्वास खत्म हो जाता है। मौजूदा अमेरिका में भी ऐसा ही हो रहा है। ऐसे संस्थान जिन्हें हम मानते हैं कि वे राजनीति से दूर हैं, वे भी राजनीति का शिकार हो गए हैं।

इनमें वैज्ञानिक, कुछ न्यूज मीडिया, अदालतें आदि शामिल हैं। ऐसे संस्थान कम बचे हैं जिनपर सभी विश्वास कर सकें और जो लोकहित के लिए काम कर रहे हों। आप ऐसी स्थिति में स्वस्थ लोकतंत्र बनाए नहीं रख सकते। और इसीलिए इन चुनावों में जो बाइडेन ही एकमात्र विकल्प हैं। डेमोक्रेट्स भी राजनीति का खेल खेलते हैं लेकिन वे रिपब्लिकन्स से काफी पीछे हैं। डेमोक्रेट्स की उम्मीदवारों की पसंद हमेशा सही रही है।

साउथ कैरोलिना में उन्होंने अश्वेतों को नेतृत्व का अवसर दिया और सोशलिस्ट उम्मीदवार को नकार कर जो बाइडेन जैसे नरमपंथी व्यक्ति को मौका दिया। वहीं रिपब्लिकन्स ने भी रोनाल्ड रीगन और जॉर्ज एच.डब्ल्यू. बुश जैसे लोकहित सोचने वालों को चुना था। ‘बांटो और राज करो’ वाले ट्रम्प के और चार साल हमारे संस्थानों को बर्बाद कर देंगे, देश को मिटा देंगे। मेरे हिसाब से अमेरिका के लिए बाइडेन को चुनना और जीओपी को ट्रम्पवादी और बाकी बचे नरमपंथी रिपब्लिकन्स में बांटना ही एकमात्र उम्मीद है। और फिर यह आशा कर सकते हैं कि बड़े मध्य-वापमंथी और छोटे मध्य-दक्षिणपंथी नेता देश को आगे बढ़ाने और लोकहित के लिए पर्याप्त चीजों पर सहमत होंगे।

अगर ट्रम्प के डिबेट में भयानक प्रदर्शन के बाद भी आपको लगता है कि आप उन्हें चार वर्ष के लिए और राष्ट्रपति बनाना चाहते हैं, आपको लगता है कि वे हारने पर चुनाव के नतीजों का सम्मान करेंगे, कि वे देश को एक करेंगे, कि वे अपने आस-पास अच्छे लोगों को रखेंगे, तो आप और मैं शायद अलग-अलग डिबेट देख रहे थे।

अमेरिका में एकता और बुद्धिमानी के अहसास के लिए बाइडेन को जीतना ही होगा। इसीलिए मेरे पास हर सवाल का एक ही जवाब है: अमेरिकी बाइडेन को वोट दें। कोशिश करें कि मास्क पहनकर खुद वोट डालने जाएं। अगर डाक से वोटों की गिनती का इंतजार करने की बजाय, पर्याप्त अमेरिकी मतदाता चुनाव के दिन ही वोट डालकर बाइडेन को सीधी जीत दिलाएं, तो ट्रम्प और फॉक्स न्यूज को नतीजे खराब करने का मौका नहीं मिलेगा। यह जरूरी है क्योंकि अमेरिका का लोकतंत्र अब इसी पर निर्भर है। (ये लेखक के अपने विचार हैं)

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin becomes the first television show to shoot outdoor post lockdown : Bollywood News

Tue Oct 6 , 2020
Star Plus’ upcoming show Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin is all set to take entertainment to a higher notch with scenes getting shot in real locations. Neil Bhatt (Virat Chavhan) and Aishwarya Sharma (Patralekha) who will soon be seen essaying lead roles in the show have recently spent a day […]

You May Like