हैदराबाद। देश में कोरोना वायरस लगातार अपनी पकड़ मजबूत करता जा रहा है। इस बीच सोशल पर एक सरकारी अस्पताल का निकम्मापन का एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में 26 वर्षीय युवक कह रहा रहा है- ‘‘मैं सांस नहीं ले पा रहा हूं। मुझे वेंटिलेटर से हटा दिया गया। ऑक्सीजन भी निकाल दी। विनती करने के बाद भी 3 घंटे से मुझे ऑक्सीजन नहीं दी गई है। मैं अब सांस नहीं ले पा रहा हूं डैडी। लग रहा है कि मेरी धड़कन रुक गई है। बाय डैडी। सबको बाय, डैडी।’’
यह वीडियो युवक ने मरने से चंद मिनटों पहले बनाया था। वीडियो में उसने कहा कि वह सांस नहीं ले पा रहा है क्योंकि डॉक्टर्स ने कथित तौर पर उसका वेंटिलेटर सपोर्ट हटा दिया है। कथित रूप से अस्पताल की लापरवाही ने उसकी जान ले ली।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वायरल हुआ वीडियो मौत से करीब एक घंटे पहले रिकॉर्ड किया गया। अब लोग सरकारी अस्पतालों में बदइंतजामी को लेकर गुस्सा जता रहे हैं। मृतक रवि की उम्र 34 साल थी। उनके पिता वेंकेटेश ने बताया उन्होंने बेटे को 24 जून को सरकारी चेस्ट हॉस्पिटल में भर्ती किया था। 26 जून को रवि की मौत हो गई।
युवक के पिता ने कहा कि उनका बेटा वीडियो भेजने के कुछ मिनटों बाद ही मर गया। बेटे का अंतिम संस्कार शनिवार को कर दिया गया है। पिता ने कहा, ’24 जून को मेरे बेटे को काफी तेज बुखार था। कुछ अस्पतालों में भर्ती कराने की कोशिश के बाद, आखिरकार उसे एक अस्पताल में भर्ती किया गया। इसी अस्पताल में 26 जून को युवक की मौत हो गई।’
हालांकि, इस मामले में अस्पताल ने आरोपों से इनकार किया है। अस्पताल के सुप्रीटेंडेंट महबूब खान ने कहा है कि वेंटिलेटर सपोर्ट मरीज को दिया गया था, लेकिन उनकी स्थिति इतनी गंभीर थी कि उन्हें ऑक्सीजन के बारे में पता नहीं चल पा रहा था।
खान ने कहा, ‘युवक की मौत अचानक से हृदय गति रुकने से मौत हो गई। पिछले कुछ दिनों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं। आमतौर पर, कोरोना संक्रमित बुजुर्गों की फेफड़ों में दिक्कत के बाद मौत हो रही है। लेकिन 25-40 साल की उम्र के युवाओं की मौत दिल में संक्रमण की वजह से हो रही है। ऐसे कई मामले समाने आए हैं। हम उन्हें ऑक्सीजन देते हैं, लेकिन यह नाकाफी साबित हो रहा है।’
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