गौरतलब है कि लोजपा की रणनीति पर भले ही बिहार भाजपा के नेता हमलावर हैं, मगर केंद्रीय भाजपा की ओर से इस संदर्भ में अब तक कोई टिप्पणी सामने नहीं आई है।
विवाद के बाद कोई कार्यक्रम नहीं
दरअसल बिहार भाजपा ने प्रधानमंत्री की 20 से अधिक रैलियों का खाका खींचा है। पहले चरण में प्रधानमंत्री की दो और बाकी के दो चरणों में 18 रैलियां कराने की है। जाहिर तौर पर राजग में शामिल सभी दलों के उम्मीदवार पीएम की रैलियां कराने के लिए सबसे ज्यादा प्रयास कर रहे हैं।
अधिसूचना जारी होने से पहले पीएम कई वर्चुअल रैलियों और कार्यक्रमों को संबोधित कर चुके हैं। हालांकि लोजपा संबंधी विवाद के बाद उनका राज्य से संबंधित एक भी कार्यक्रम नहीं हुआ है।
जदयू को इसलिए है इंतजार
लोजपा की भाजपा के साथ नीतीश के खिलाफ की चुनावी रणनीति से जदयू आशंकित है। भले ही प्रदेश भाजपा के नेताओं ने लोजपा के खिलाफ मोर्चा खोला है, मगर केंद्रीय स्तर पर बड़े नेता चुप हैं।
इस संदर्भ में केंद्रीय नेतृत्व की ओर से अब तक कोई टिप्पणी नहीं की गई है। इसी बीच भाजपा के कई दिग्गज नेता चुनाव लड़ने के लिए लोजपा में शामिल हो रहे हैं। ये ऐसे नेता हैं जिनकी सीटें बंटवारे के क्रम में या तो जदयू के खाते में गई है या फिर भाजपा ने जिन्हें टिकट नहीं दिया है।
भाजपा ने पाला बदलने वाले नेताओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी नहीं की है। अलबत्ता, पटना में भाजपा नेताओं ने कहा था कि जो पार्टी या राजग गठबंधन के बाहर लड़ेंगे, वह पार्टी से बाहर माने जाएंगे।
जदयू चाहता है कि केंद्रीय नेतृत्व की ओर से भी लोजपा के संदर्भ में रुख स्पष्ट कर दिया जाना चाहिए। अब प्रधानमंत्री की रैलियां होनी हैं, ऐसे में सबकी निगाहें पीएम की लोजपा के संदर्भ में की जाने वाली टिप्पणियों टिकीं पर हैं।
पासवान के निधन के बाद सबकी निगाहें
लोजपा के संरक्षक और केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान के निधन के बाद पीएम की बिहार रैलियों के प्रति सबकी दिलचस्पी बढ़ गई है। दिलचस्पी यह जानने में है कि क्या पीएम अपनी रैलियों में पासवान के नाम और उनके योगदान की चर्चा करेंगे? अगर करेंगे तो किस तरह? ऐसा इसलिए कि लोजपा इस बार राजग के साथ चुनाव नहीं लड़ रही।