Economy News In Hindi : Health insurance claims not contestable after 8 yr of premium payment Irdai | लगातार 8 साल तक प्रीमियम का भुगतान होने के बाद स्वास्थ्य बीमा दावा पर नहीं हो सकता विवाद : इरडा

  • सभी मौजूदा स्वास्थ्य बीमा उत्पादों को नए दिशानिर्देशों के मुताबिक एक अप्रैल 2021 से नवीनीकरण के समय किया जाएगा संशोधित
  • सभी जरूरी दस्तावेज मिलने के 30 दिनों के भीतर बीमा कंपनी के लिए दावे का निपटान या उसे अस्वीकार करना जरूरी है

दैनिक भास्कर

Jun 14, 2020, 06:55 PM IST

नई दिल्ली. भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) ने अपने ताजा दिशानिर्देशों में कहा है कि स्वास्थ्य बीमा कंपनियां लगातार आठ साल तक प्रीमियम लेने के बाद बीमा दावों पर एतराज नहीं कर सकती हैं। इरडा ने कहा कि इन दिशानिर्देशों का मकसद क्षतिपूर्ति आधारित स्वास्थ्य बीमा (व्यक्तिगत दुर्घटना और घरेलू/विदेश यात्रा को छोड़कर) उत्पादों में बीमे की रकम पाने के लिए सामान्य नियम और शर्तों का मानकीकरण करना है। इसके लिए पॉलिसी करार के सामान्य नियमों और शर्तों की भाषा को आसान बनाया जाएगा और पूरे उद्योग में एकरूपता सुनिश्चित की जाएगी।

पुराने बीमा उत्पादों में नए दिशानिर्देशों के मुताबिक होगा संशोधन

इरडा ने कहा कि ऐसे सभी मौजूदा स्वास्थ्य बीमा उत्पाद, जो इन दिशानिर्देशों के अनुरूप नहीं हैं, उन्हें एक अप्रैल 2021 से नवीनीकरण के समय संशोधित किया जाएगा। बीमा नियामक ने कहा कि पॉलिसी के लगातार आठ साल पूरे होने के बाद पॉलिसी को लेकर कोई पुनर्विचार लागू नहीं होगा। मोरेटोरियम अवधि के बीतने के बाद कोई भी स्वास्थ्य बीमा कंपनी किसी भी दावे पर विवाद नहीं कर सकती है। हालांकि, इसमें धोखाधड़ी के साबित मामले शामिल नहीं है। पॉलिसी अनुबंध में स्थायी रूप से जिस चीज को अलग रखा गया है उसे भी शामिल नहीं माना जाएगा। साथ ही पॉलिसी अनुबंध के अनुसार सभी सीमा, उप-सीमा, सह-भुगतान और कटौती लागू होंगी। आठ वर्षों की अवधि को मोरेटोरियम अवधि कहा जाता है।

दावे के भुगतान में देरी के मामले में बीमा कंपनी को ब्याज का भुगतान करना होगा

नियामक ने स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी अनुबंध में सामान्य नियम और शर्तों का मानकीकरण पर जारी दिशानिर्देशों में कहा कि 8 साल का यह मोरेटोरियम पहली पॉलिसी की बीमा राशि के लिए लागू होगा और उसके बाद बढ़ी बीमा राशि की तिथि से 8 साल का मोरेटोरियम केवल बढ़ी हुई बीमा राशि पर लागू होगा। दावा निपटान पर इरडा ने कहा कि सभी जरूरी दस्तावेज मिलने के 30 दिनों के भीतर बीमा कंपनी के लिए दावे का निपटान या उसे अस्वीकार करना जरूरी है। किसी दावे के भुगतान में देरी के मामले में नियामक ने कहा कि ऐसे में बीमा कंपनी को ब्याज का भुगतान करना होगा। ब्याज की दर बैंक की दर से 2 फीसदी ज्यादा होगी।

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